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CAA के जरिए मुसलमानों को नागरिकता क्यों नहीं दे रहे? अमित शाह ने अब इसका सीधा जवाब दे दिया

Amit Shah ने CAA को पत्थर की लकीर बताते हुए एक बार फिर दोहराया किया कि इससे किसी की नागरिकता नहीं जाएगी. NRC के सवाल पर भी शाह ने जवाब दिया, और क्या-क्या बोले?

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amit shah says pok is integral part of india and caa was always part of bjp agenda
अमित शाह ने इंडिया टुडे कनक्लेव में सीएए पर उठ रहे सवालों के जवाब दिए. (तस्वीर:India Today)
16 मार्च 2024 (Updated: 16 मार्च 2024, 10:15 IST)
Updated: 16 मार्च 2024 10:15 IST
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) को भारत का अंग बताया है. अमित शाह ने वहां के रहने वाले हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों को भारत का हिस्सा बताया है. 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद विपक्ष की कई पार्टियां इसको लेकर लगातार सवाल उठा रही हैं. अमित शाह ने CAA कानून पर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह पत्थर की लकीर थी, और इसको लागू होना ही था. 

‘POK तो…’

अमित शाह इंडिया टुडे कनक्लेव, 2024 में मुखातिब हुए. उनसे बलूचिस्तान में मुस्लिम समुदाय पर हो रहे अत्याचार और उनको CAA के दायरे से बाहर करने पर सवाल पूछा गया. जिसपर गृह मंत्री शाह ने पीओके को भारत का हिस्सा बताया. उन्होंने कहा, 


“POK भारत का हिस्सा है और वहां हिंदू-मुसलमान का सवाल ही नहीं पैदा होता. वहां के मुसलमान भी हमारे हैं, वहां के हिंदू भी हमारे हैं.”

इसके जवाब में शाह से वहां के बलोच को लेकर सवाल किया गया. जिसपर उन्होंने कहा, 

“इतने बड़े फैसले (सीएए) किसी एक या दो लोगों के उदाहरण को देखकर नहीं लिए जाते हैं. नीतियां बड़े समाधान को लेकर बनती हैं. अगर कोई बलोच हमारे पास अप्रोच करेगा, तो हम सोचेंगे उसपर. लेकिन उनके कारण जो करोड़ों शरणार्थी आए हैं, उनकी जिंदगी बलोच-बलोच बोलकर बर्बाद नहीं कर सकते.” 

मुस्लिम समुदायों के लिए ऐसा क्यों नहीं?

CAA के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय को नागरिकता दी जाएगी. इसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों को शामिल नहीं किया गया है. शाह से पूछा गया कि CAA से मुस्लिमों को अलग क्यों रखा गया. तो उन्होंने कहा,

“पाकिस्तान में आजादी के वक्त में 23 प्रतिशत हिंदू थे. आज 2.7 प्रतिशत हैं. कहां गए भाई? धर्म परिवर्तन हो गया. बेशुमार अत्याचार हुए. महिलाओं के साथ अत्याचार हुए. बच्चियों को उठा लिया गया. बच्चियों के साथ निकाह पढ़ लिया गया. वो कहां जाएं? वो भारत की शरण में आए.

बांग्लादेश में लगभग-लगभग 23 प्रतिशत हिंदू थे, आज 10 प्रतिशत से कम बचे हैं. वो या तो भारत की शरण में आए, या उनका धर्म परिवर्तन हो गया. 1990 में दो लाख से ज्यादा सिख और हिंदू अफगानिस्तान में थे, आज 378 हैं.  वो लोग अपना धर्म, अपना सामान, अपने परिवार की, महिलाओं की इज्जत बचाने के लिए भारत की शरण में आए हैं, और ये लोग कहते हैं कि हम उन्हें नागरिकता न दें.”

NRC पर जवाब चुनाव के बाद

अमित शाह का अप्रैल, 2019 में दिया एक बयान एक बार फिर से वायरल है. पांच साल पुराना बयान जिसमें उन्होंने क्रोनॉलॉजी समझाते हुए कहा था कि पहले सीएए आएगा जिसके तहत सारे शरणर्थियों को नागरिकता दी जाएगी और उसके बाद NRC आएगा. CAA का नोटिफिकेशन लागू होने के बाद अब कई लोग NRC को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं. इसको लेकर अमित शाह से इंडिया टुडे कनक्लेव में सवाल किया गया. जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि वे इसका जवाब चुनाव के बाद देंगे. उन्होंने कहा, 

“मैंने कभी नहीं कहा कि एनआरसी आएगा. मैंने ऐसा कहा है कि इस सवाल का जवाब मैं चुनाव के बाद दूंगा. ”

अमित शाह ने कहा कि वे साफ कर देना चाहते हैं कि CAA में NRC का कोई वायरस नहीं है. दोनों अलग-अलग हैं. इसमें नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है.

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