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मायावती नए संसद के उद्घाटन पर जाएंगी? पूर्व CM की बात पर विपक्ष बुरा मान जाएगा

मायावती ने उद्घाटन के बहिष्कार को अनुचित बताया है, लेकिन...
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मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार ने नए संसद भवन को बनाया है इसलिए उद्घाटन करने का उसे हक है. (फोटो: आजतक)
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बहुजन समाज पार्टी (BSP) की अध्यक्ष मायावती ने नए संसद के उद्घाटन को लेकर मचे राजनीतिक बवाल को 'अनुचित' बताया है. उनका कहा है कि BSP देश और जनहित के मुद्दों पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर स्टैंड लेती है. हालांकि उन्होंने साथ में ये भी कह दिया कि वो 28 मई को होने वाले संसद उद्घाटन समारोह में नहीं जाएंगी.

क्या बोलीं मायावती?

गुरुवार, 25 मई को मायावती ने एक के बाद एक ट्वीट्स किए. पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा,

"केंद्र में पहले चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या अब वर्तमान में बीजेपी की, बीएसपी ने देश और जनहित निहित मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है तथा 28 मई को संसद के नए भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए इसका स्वागत करती है."

दूसरे ट्वीट में बसपा सुप्रीमो ने लिखा,

"राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा नए संसद का उद्घाटन नहीं कराए जाने को लेकर बहिष्कार अनुचित है. सरकार ने इसको बनाया है, इसलिए उसके उद्घाटन का उसे हक है. इसको आदिवासी महिला सम्मान से जोड़ना भी अनुचित. ये उन्हें निर्विरोध न चुनकर उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़ा करते वक्त सोचना चाहिए था."

वहीं तीसरे ट्वीट में पूर्व सीएम ने लिखा,

“देश को समर्पित होने वाले कार्यक्रम अर्थात नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का निमंत्रण मुझे प्राप्त हुआ है, जिसके लिए आभार और मेरी शुभकामनाएं. लेकिन पार्टी की लगातार जारी समीक्षा बैठकों संबंधी अपनी पूर्व निर्धारित व्यस्तता के कारण मैं उस समारोह में शामिल नहीं हो पाऊंगी.”

कौन-कौन सी पार्टी उद्घाटन में हिस्सा नहीं लेंगी?

मायावती का बयान उद्घाटन को लेकर उठे विवाद के बाद आए हैं. इस मुद्दे पर 24 मई को 19 विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान जारी कर उद्घाटन के बहिष्कार का एलान किया. इसमें कहा गया,

‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय न केवल एक गंभीर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है.’

बयान में आगे लिखा है,

‘राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है. फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है. ये अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है. ये सम्मान के साथ सबको साथ लेकर चलने की उस भावना को कमजोर करता है जिसके तहत देश ने अपनी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति का स्वागत किया था.’

विपक्षी दलों के इस संयुक्त बयान में आगे कहा गया है कि जब लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निकाल दिया गया है तो उन्हें नई इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता.


वीडियो: नए संसद भवन के उद्घाटन में ये 19 पार्टियां नहीं जाएंगी, एक पार्टी का नाम तो चौंका देगा!


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