Booker Prize 2025: डेविड स्जाले का 'Flesh' बना साल का बेस्ट नॉवेल, किरन देसाई रह गईं पीछे
हर साल किसी एक लेखक को Booker Prize दिया जाता है. विनर को 50,000 पाउंड्स, माने लगभग 60 लाख रुपये का चेक मिलता है. लेकिन बात पैसे की नहीं है. लिट्रेचर की दुनिया में ये बहुत ही प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है.

साल 2025 के लिए बुकर प्राइज (Booker Prize 2025) का ऐलान हो गया है. हर साल किसी एक लेखक को ये पुरस्कार दिया जाता है. विनर को 50,000 पाउंड्स, माने लगभग 60 लाख रुपये का चेक मिलता है. लेकिन बात पैसे की नहीं है. लिट्रेचर की दुनिया में ये बहुत ही प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है. 56 साल के बुकर के इतिहास में अरुंधती रॉय, सलमान रश्दी और वीएस नायपॉल जैसे कुल छ: भारतीय लेखक ही बुकर पुरस्कार जीत पाए है. गीतांजलि श्री और बानू मुश्ताक ने ‘अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार’ जीता था. अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार और बुकर प्राइज, दोनों अलग-अलग अवॉर्ड्स हैं. 2025 का बुकर प्राइज डेविड स्जाले (David Szalay) के उपन्यास 'फ्लेश' (Flesh)को मिला है. तो समझते हैं, क्या है Flesh और उसके लेखक डेविड की कहानी. साथ ही ये भी समझते हैं कि प्राइज जीतने की रेस में शामिल भारतीय लेखक की क्या कहानी है.

डेविड का जन्म कनाडा में हुआ और उन्होंने लेबनान, बेल्जियम, हंगरी और यूके में जीवन बिताया. उनका उपन्यास ‘Flesh’ एक तेज रफ्तार और असरदार उपन्यास है, जिसमें एक आदमी की कहानी है. ये आदमी उन घटनाओं से बिखरता चला जाता है जिन्हें वो समझ भी नहीं पाता.
ये कहानी एक 15 साल के लड़के की है. 15 साल का इस्त्वान अपनी मां के साथ हंगरी की एक शांत सी जगह पर अपार्टमेंट लेकर रहता है. वो उस जगह पर नया-नया आया है और बहुत शर्मीला है, इसलिए स्कूल के नियमों से अनजान है. जल्द ही वह अकेला पड़ जाता है और उसकी पड़ोसन ही उसकी अकेली साथी बन जाती है. वो एक शादीशुदा और लगभग उसकी मां की उम्र की महिला है. दोनों की मुलाकातें धीरे-धीरे एक छिपे रिश्ते में बदल जाती हैं, जिसे इस्त्वान ठीक से समझ भी नहीं पाता, और फिर उसकी जिंदगी बेकाबू होने लगती है.
समय के साथ, इस्त्वान 21वीं सदी की दौलत और ताकत की लहरों पर हिलोरे लेता हुआ आगे बढ़ता है. इस सफर में फौज भी है और लंदन के अमीर-ओ-रईस भी. प्यार, अपनापन, रुतबा और दौलत की उसकी खींचतान उसे खूब सारी धन-दौलत तो दिलाती है, लेकिन आखिरकार उसे तोड़ने भी लगती है. सीधे और पैने अंदाज में लिखा गया Flesh कुछ बड़े सवाल पूछता है, जिंदगी को क्या चलाता है? उसे क्या चीज जीने लायक बनाती है? और उसे क्या तोड़ता है?
Booker Prize की रेस में भारतीय लेखक भी थींइसी कहानी को 6 शॉर्टलिस्ट की हुई कहानियों में से बुकर प्राइज 2025 के लिए चुना गया है. शॉर्टलिस्ट से पहले 153 किताबों पर गौर किया गया. फाइनल लिस्ट में उन बेहतरीन अंग्रेज़ी उपन्यासों को शामिल किया गया है जो 1 अक्टूबर 2024 से 30 सितंबर 2025 के बीच यूके या आयरलैंड में प्रकाशित हुए. शॉर्टलिस्ट हुई 6 किताबों में से एक भारतीय लेखक की किताब भी थी. ये किरन देसाई का उपन्यास ‘The Loneliness of Sonia and Sunny’ था.

ये उपन्यास दो युवाओं की दिलचस्प कहानी है. उनकी तक़दीर उन्हें अलग-अलग सालों और देशों में कभी मिलाती है, कभी दूर कर देती है. इस कहानी में सब कुछ है, प्यार और परिवार, भारत और अमेरिका, परंपरा और आधुनिक सोच. सोनिया और सनी जब पहली बार रात की ट्रेन में एक-दूसरे को देखते हैं, तो वे तुरंत एक-दूसरे की ओर खिंच जाते हैं. लेकिन दोनों के बीच कुछ झिझक भी है, क्योंकि कभी उनके दादा-दादी ने उन्हें आपस में मिलाने की कोशिश की थी. वो अजीब-सी दखलअंदाजी ही सोनिया और सनी को एक-दूसरे से दूर कर गई थी.
सोनिया, एक उभरती हुई उपन्यासकार है. वो हाल ही में अमेरिका के वर्मोंट की बर्फीली पहाड़ियों में पढ़ाई पूरी करके भारत लौटी है. उसे लगता है कि वह उस अंधेरे जादू से घिरी हुई है, जो एक कलाकार ने उस पर डाला था, वही कलाकार जिसका उस पर असर था, क्योंकि सोनिया ने उसके साथ नजदीकी बढ़ाने की कोशिश की थी. दूसरी ओर सनी है, जो एक जुझारू पत्रकार है और अब न्यूयॉर्क में बस गया है. सनी अपने झगड़ालू खानदान की हिंसा और हुक्म चलाने वाली मां से भागना चाहता है.
अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित सोनिया और सनी मिलकर खुशी की तलाश शुरू करते हैं. और दोनों ही आज की आधुनिक दुनिया में मौजूद अकेलेपन और दूरियों से जूझते हैं. "द लोनलीनेस ऑफ़ सोनिया एंड सनी" दो युवाओं की खूब विस्तृत कहानी है, जो अपने जीवन को आकार देने वाली कई ताकतों से जूझते हैं. मसलन, देश, वर्ग, नस्ल, इतिहास और पीढ़ियों को जोड़ने वाले रिश्तों की जटिलताएं. ये एक प्रेम कहानी भी है, एक पारिवार की गाथा भी है और खूब सारे विचारों से भरा उपन्यास भी. हमारे समय की एक शानदार उपन्यासकार की ये बहुत ही महत्वाकांक्षी और सफल कृति है.
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