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"1987 से 2017 तक मेरा रेप हुआ", हाई कोर्ट ने पूछा, "...तो आरोप लगाने में इतना वक्त कैसे लगा?"

कोर्ट ने कहा कि FIR 2018 में दर्ज करवाई गई है. लेकिन FIR दर्ज करवाने में इतना समय क्यों लगा, इस बात का भी कोई जवाब नहीं दिया गया है.

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bombay high court rape case
जस्टिस ए एस गडकरी और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा है कि FIR की रिपोर्ट सहमति से बने संबंध का संकेत देती है. (फ़ोटो/आजतक)
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मनीषा शर्मा
2 अगस्त 2024 (Updated: 2 अगस्त 2024, 05:02 PM IST) कॉमेंट्स
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने 3 दशक तक ‘रेप’ होने का आरोप लगाने वाली महिला का केस खारिज कर दिया है. उसने 72 साल के व्यक्ति पर आरोप लगाया था कि उसने ‘1987 से लेकर 2017 तक उसका रेप किया’ था. बॉम्बे हाई कोर्ट ने ये कहते हुए केस रद्द कर दिया कि महिला उस शख्स के साथ रिश्ते में थी और दोनों में आपसी सहमति से संबंध बना था.

जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा है कि FIR की रिपोर्ट सहमति से बने संबंध का संकेत देती है. बेंच ने कहा कि 30 सालों तक रेप होते रहने के खिलाफ FIR 2018 में क्यों दर्ज करवाई गई है. इतना समय क्यों लगा, इस बात का भी कोई जवाब नहीं दिया गया है.

जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा,

"31 साल से दोनों पक्षों के शारीरिक संबंध थे. शिकायतकर्ता ने कभी भी इस संबंध पर अपनी कथित आपत्ति के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा. यह एक ऐसा क्लासिक मामला है जिसमें दोनों पक्षों के बीच रिश्ते खराब हो गए और इसके बाद शिकायतकर्ता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई."

1987 में मिले थे

PTI के हवाले से छपी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार महिला ने FIR में बताया कि 1987 में वह उस व्यक्ति की कंपनी में गई थी. उस समय आरोपी ने कथित तौर पर उसका रेप किया. इसके बाद जुलाई 1987 से 2017 के बीच 30 सालों तक आरोपी ने कल्याण, भिवंडी और अन्य जगहों पर होटलों में उसका ‘रेप’ किया.

महिला ने यह भी बताया कि आरोपी ने उससे शादी का वादा किया था. दावा किया कि 1993 में उसके गले में मंगलसूत्र डाला और कहा कि वह उसकी दूसरी पत्नी है. महिला के मुताबिक आरोपी ने यह भी कहा कि वह उसे किसी और से शादी करने की अनुमति नहीं देगा. महिला ने आगे बताया कि 1996 में आरोपी को हार्टअटैक आया था. इसलिए वह कंपनी संभालने लग गई थी. लेकिन सितंबर 2017 में महिला की मां को कैंसर हुआ तो उसने कुछ टाइम के लिए ब्रेक लिया. जब वह दोबारा काम पर लौटी तो उसने देखा कि ऑफिस बंद था. कंपनी का गेट बंद था.

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FIR के मुताबिक जब महिला ने आरोपी से संपर्क करने की कोशिश की तो उसने शादी से इनकार कर दिया. बैंकिंग, टैक्स, मेडिकल शॉप से संबंधित एग्रीमेंट और सोने के मंगलसूत्र से संबंधित दस्तावेज भी नहीं दिए. मिलने से भी इनकार कर दिया.

इसके बाद महिला अदालत पहुंची. लेकिन सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि मामले दर्ज FIR बताती है कि महिला को पता था कि आरोपी शादीशुदा है. यह जानकारी होने के बावजूद भी महिला आरोपी की शादी करने वाली बातों पर भरोसा करती रही. कोर्ट ने कहा,

"महिला इतनी एडल्ट है कि वह जानती है कि कानून दूसरी शादी की मनाही करता है. शिकायत में ऐसा कोई आरोप नहीं है कि आरोपी ने अपनी पहली पत्नी को तलाक देने और फिर उससे शादी करने का वादा किया था."

कोर्ट ने आगे कहा कि पिछले 31 सालों में महिला के पास अलग होने और आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के कई अवसर आए, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया.

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