बिहार महादलित विकास मिशन घोटाला: 'स्पोकन इंग्लिश' के नाम पर कैसे हुई हेरा-फेरी
एक निलंबित और तीन रिटायर्ड IAS अधिकारियों समेत 10 लोगों पर FIR.
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28 जनवरी 2010 को दशरथ मांझी कौशल विकास योजना के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
पढ़ने में ये कितना अच्छा लगता है कि समाज की मुख्यधारा से पिछड़े और वंचित लोगों को जोड़ने के लिए सरकार फलाना योजना लेकर आई है. कितना अच्छा लगता है, जब सरकारें लोक कल्याण के लिए करोड़ों के बजट की घोषणा करती हैं. कितना अच्छा लगता है, जब अनुच्छेद 46 का हवाला देते हुए कहा जाता है- राज्य अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य कमजोर समुदाय के शैक्षिक और आर्थिक हितों की उन्नति में बढ़ावा देगा और सामाजिक अन्याय व सभी प्रकार के सामाजिक शोषण से उनकी रक्षा करेगा. बिहार सरकार महादलित समुदाय के लिए ऐसी ही एक योजना लेकर आई, 'दशरथ मांझी कौशल विकास योजना'. योजना जिनके लिए लाई गई थी, उनका विकास हो पाता, इससे पहले ही अधिकारीगण अपने 'विकास' में लग गए. यही वजह है कि हम आज यहां इस योजना की चर्चा कर रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?10 former officials of Bihar Mahadalit Vikas Mission booked for alleged involvement in fraudulent disbursement of Rs 7.3 crore to a private agency: Officials
— Press Trust of India (@PTI_News) July 17, 2020
आजादी के बाद से सरकारों द्वारा अनुसूचित जाति के शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के लिए कई योजनाएं लाई गईं. लेकिन इसके बावजूद इस वर्ग का एक बड़ा हिस्सा इन योजनाओं से अछूता रह गया. या यूं कहें कि ये योजनाएं उन तक पहुंच ही नहीं पाईं. ऐसे में बिहार सरकार ने अगस्त, 2008 में राज्य महादलित आयोग, बिहार का गठन किया. आयोग ने राज्य सरकार को महादलित विकास मिशन गठित करने का सुझाव दिया. इस मिशन का उद्देश्य सभी महादलितों को उनकी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक रूप से सशक्त बनाते हुए समाज निर्माण में उनकी पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करना था.
7 अप्रैल, 2008 को राज्य सरकार ने बिहार महादलित विकास मिशन का गठन किया. मिशन के अंतर्गत दशरथ मांझी कौशल विकास योजना शुरू की गई. इस योजना में 16 तरह की स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग देने की निशुल्क व्यवस्था की गई. इसी योजना के अंतर्गत छात्रों के लिए इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स भी शुरू किया गया. अंग्रेजी सिखाने का काम दिया गया ब्रिटिश लिंग्वा नाम के संस्थान को. ये संस्थान बीरबल एकेडमी एंड पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड का हिस्सा है. इसे महादलित विकास मिशन के अंतर्गत 22 जिलों में अंग्रेजी बोलने की ट्रेनिंग देने का काम दिया गया.बिहार महादलित विकास मिशन #BiharGovtInitiative
— IPRD Bihar (@IPRD_Bihar) December 21, 2017
#BiharWelfareDepartment
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FIR में कहा गया है कि ब्रिटिश लिंग्वा की ओर से कई नियमों की अनदेखी की गई.
हेरा-फेरी कहां हुई?
15 जुलाई, 2020. बिहार के विजिलेंस इनवेस्टिगेश ब्यूरो ने एक FIR दर्ज की. इस FIR के मुताबिक, अंग्रेजी बोलने की ट्रेनिंग के लिए स्टूडेंट्स की फर्जी एंट्री दिखाकर 7.3 करोड़ रुपए से अधिक ट्रांसफर किए गए. महादलित विकास मिशन ने दावा किया कि उसने वित्त वर्ष 2012-13 और 2015-16 के बीच 14,826 बच्चों को ट्रेनिंग दी है. लेकिन विजिलेंस अधिकारियों ने पाया कि कई ट्रेनी एक ही समय पर और एक ही नाम-पते से अलग-अलग ट्रेड में ट्रेनिंग कर रहे थे. यानी कि फर्जी तरीके से एक ही छात्र को कई बैच में ट्रेनिंग लेते दिखाया गया. FIR में कहा गया है कि विजिलेंस को अलग-अलग रजिस्टरों में इन छात्रों के हस्ताक्षर मिले हैं, जो आरोपियों द्वारा की गई जालसाजी के सबूत हैं. जांच में ये भी पता चला है कि ब्रिटिश लिंग्वा ने 2012-13 और 2015-16 के बीच 7.3 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि निकाली है.

एक निलंबित, तीन पूर्व IAS पर मुकदमा
इस FIR में निलंबित आईएएस अधिकारी एसएम राजू और तीन रिटायर्ड आईएएस- राघवेंद्र झा, राजानारायण लाल, रामाशीष पासवान के नाम दर्ज हैं. ये चारों IAS अधिकारी मिशन के निदेशक रह चुके हैं. FIR में ब्रिटिश लिंग्वा के मैनेजिंग डायरेक्टर बीरबल झा का भी नाम शामिल है. बीरबल झा ने इन आरोपों को झूठा और मनगढ़ंत बताते हुए इसे अपनी छवि धूमिल करने का प्रयास बताया.
पहले भी हो चुका है घोटाला
महादलित विकास मिशन में जुड़ा ये कोई पहला घोटाला नहीं है. समाज के पिछड़े तबकों के विकास के लिए मिल रहे फंड को लेकर पहले भी खेल किया गया है. 2017 में भी महादलित विकास मिशन में गड़बड़ी की बात सामने आई थी. यह मामला भी महादलित विकास मिशन में स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग के नाम पर फर्जीवाड़े का था. इसमें 4 करोड़, 25 लाख रुपये की गड़बड़ी का मामला सामने आया था. इस मामले में भी SC/ST कल्याण विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव एसएम राजू और दो अन्य IAS अधिकारियों समेत 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था.
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