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दिल्ली में फायरिंग हुई, एक ताइक्वांडो प्लेयर का सब कुछ उजड़ गया

कहानी 16 साल के एक खिलाड़ी की. जिसने बदमाशों के हमले में पिता, भाई और अपनी दोनों टांगें खो दीं. दिल्ली पुलिस 'सेवा में तत्पर' का बोर्ड लगाकर बैठी रही.

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राजन ताइक्वांडो प्लेयर था.
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पंडित असगर
27 जून 2016 (Updated: 27 जून 2016, 11:29 AM IST) कॉमेंट्स
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एक जमीनी विवाद ने स्टेट लेवल के प्लेयर के सपनों को कुचल दिया. दिल्ली की एक सड़क पर गोलियां चलीं और खिलाड़ी के दोनों पैर कट गए. पिता की जान चली गई. इससे पहले गोलियां चली थीं तो बड़ा भाई दुनिया से रुखसत हो गया.
एक-एक कर खानदान के लोगों को मारा जा रहा है. परिवार खत्म हो रहा है. दिल्ली पुलिस नाकाम है, जबकि उसके पास अपराधियों के सीसीटीवी फुटेज हैं. गाड़ी है. अपराधी कहां हैं कुछ पता नहीं.
राजन ताईक्वांडो का स्पेशलिस्ट. कराटे का चैंपियन. ब्लैक बेल्ट. महज 16 साल की उम्र में राजन ने स्टेट लेवल पर काफी नाम कमा लिया था. उसके घरवालों का कहना है कि वो देश के लिए खेलना चाहता था. पर एक जमीन का झगड़े ने उससे सब छीन लिया. पिता, भाई और अपनी दोनों टांगे.
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राजन उस परिवार का दुलारा है जो इस वक्त दुश्मनों की गोलियों के निशाने पर है. उसका सपना था नेशनल लेवल का प्लेयर बने. लेकिन अब उसके पास वो पैर ही नहीं रहे. क्योंकि दिल्ली के भजनपुरा में बदमाश आते हैं. जमीन के लिए गोलियां चलते हैं और राजन के सपने बिखर जाते हैं. अब वो एक कदम चल भी नहीं सकता. राजन शूटिंग का भी अच्छा प्लेयर था. इस वक्त वो एम्स के ट्रॉमा सेंटर में एडमिट है.
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राजन अस्पताल में इलाज के दौरान.

दर्द और खतरे में डूबा परिवार

राजन के पिता कैलाश अपने परिवार के साथ पहले गाजियाबाद के इंद्रापुरी इलाके में रहते थे. राजन की मां सोनम का कहना है कि वो लोग इनकी जमीन हड़पना चाहते थे. इसी वजह से एक बार कैलाश गुप्ता की सबने पिटाई भी की थी. डर कर कैलाश दिल्ली के हर्ष विहार में आकर बस गए. सोचा दिल्ली उनके लिए सुरक्षित होगी. 20 मार्च को बदमाशों ने कैलाश गुप्ता को अपना निशाना बनाया और उन्हें गोली मार दी. पर कैलाश गुप्ता की किस्मत अच्छी थी. गोली लगने के बावदजूद वो बच गए. इसके बाद एक बार फिर से सुनील पहलवान अपने पांच साथियों के साथ पिछले साल 17 अप्रैल के दिन इनके घऱ पहुंच गया. उस वक्त घर में कैलाश नहीं थे. वो लोग जाते वक्त जबरदस्ती अपने साथ कैलाश के बड़े बेटे विशाल को ले गए और उसे गोली मारकर फेंक दिया. करीब ढाई महीने इलाज के बाद भी विशाल नहीं बचा और 29 जून को उसकी मौत हो गई.
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राजन के बड़े भाई विशाल को 17 अप्रैल को गोली मार दी गई.

इस घटना के बाद पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया जबकि दो लोग फरार रहे. सुनील पहलवान इसके बाद भी कैलाश पर समझौता करने का दबाव बनाता रहा. सोनम का कहना है कि इसी वजह से एक पंचायत हुई और समझौते की बात हुई, पर 21 जून को बदमाशों ने कैलाश और उनके बेटे राजन को गोली का निशाना बना दिया. भजनपुरा में कैलाश अपने छोटे बेटे राजन के साथ कहीं जा रहे थे. गुंडों की पिस्तौल फिर बाप बेटे पर चली. चार गोलियां कैलाश को लगती हैं और चार ही राजन को. इस बार कैलाश की किस्मत ने भी साथ नहीं दिया और मौके पर ही मौत हो गई. राजन जो खिलाड़ी था उसे पुलिस और अस्पताल की लापरवाही की वजह से अपने दोनों पैर कटवाने पड़े. पुलिस राजन को अस्पताल पहुंचाने में देरी करती है. इतना ही नहीं पुलिस और राजन के परिवार वाले उसे लेकर सफदरजंग अस्पताल पहुंचते हैं, वहां जरूरी मशीन नहीं होती. तब एम्स लेकर जाते हैं. एम्स वाले भर्ती नहीं करते. आखिर में एम्स ट्रामा सेंटर में भर्ती किया जाता है तब तक बहुत देर हो जाती है.
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दिल्ली के भजनपुरा में बदमाशों की गोली का शिकार हुए कैलाश गुप्ता.

दिल्ली पुलिस पर आरोप

गुंडे आते है. बंदूक लहराते हैं. वारदात को अंजाम देते हैं. और फरार हो जाते हैं. पुलिस के पास सीसीटीवी फुटेज है. और वो गाड़ी भी जिसे वारदात अंजाम देने में इस्तेमाल किया गया. लेकिन बदमाश पुलिस गिरफ्त से अब तक दूर हैं. राजन की मां का कहना है कि पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही. उल्टा उन पर दबाव बनाया जा रहा है कि जमीन उन बदमाशों के नाम कर दी जाए, जिससे मामला खत्म हो. परिवार में सब खत्म होने की कगार पर है. हमला फिर से कब हो जाए, कुछ नहीं पता. अब मां है और एक बिन पैरों का बेटा.

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