बांग्लादेश ने खारिज किया भारतीय विदेश मंत्रालय का जवाब, पूछा- हाई कमीशन तक कैसे पहुंची भीड़?
Bangladesh Rejects MEA Response: भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स को प्रोपेगेंडा करार दिया था. कहा था कि कुछ युवाओं की भीड़ Bangladesh में मारे गए हिंदू नागरिक की हत्या के विरोध में नारे लगा रही थी. इससे उच्चायोग की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं था.

बांग्लादेश ने भारतीय विदेश मंत्रालय की उस टिप्पणी को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि बांग्लादेश हाई कमीशन के सामने हुआ प्रदर्शन शांतिपूर्ण था. बांग्लादेश ने सवाल उठाया कि लोगों का समूह इतने संवेदनशील इलाके में कैसे पहुंचा.
बांग्लादेशी न्यूज एजेंसी BSS के अनुसार अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार एम तौहीद हुसैन ने कहा कि हम भारतीय प्रेस नोट (भारत के जवाब की विज्ञप्ति) को पूरी तरह से खारिज करते हैं. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को ऐसे पेश किया गया है, जैसे यह बहुत आसान हो, जबकि असल में ऐसा नहीं है. हमारा मिशन डिप्लोमैटिक इलाके के काफी अंदर है, किनारे पर नहीं. उन्होंने कहा,
‘सिर्फ नारे ही नहीं और बयान भी दिए’वे (भारत) कहते हैं कि शायद 20-25 लोग थे, लेकिन बात यह नहीं है. सवाल यह है कि एक हिंदू चरमपंथी संगठन के 25 या 30 लोगों का एक समूह एक सुरक्षित इलाके में इतनी दूर तक कैसे आ सकता है. सामान्य परिस्थितियों में, उन्हें वहां बिल्कुल भी नहीं पहुंचना चाहिए था.
तौहीद हुसैन ने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों ने सिर्फ बांग्लादेश में एक हिंदू नागरिक की हत्या को लेकर नारे नहीं लगाए, बल्कि दूसरे बयान भी दिए. कहा कि बांग्लादेशी अखबारों में छपी रिपोर्टें काफी हद तक सही थीं और गुमराह करने वाली नहीं थीं, जैसा कि भारत ने दावा किया है. हालांकि उन्होंने कहा कि उनके पास बांग्लादेशी राजदूत को जान से मारने की धमकी मिलने का कोई सबूत नहीं है. कहा कि लेकिन धमकियां देते हुए सुना गया था.
भारत ने बताया था प्रोपेगेंडाबांग्लादेशी विदेश सलाहकार का जवाब भारतीय विदेश मंत्रालय के एक बयान के बाद आया है. दरअसल, कई बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि नई दिल्ली में स्थित बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर विरोध प्रदर्शन किए गए, जिससे कमीशन की सुरक्षा को खतरा था. इससे जुड़े सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इन रिपोर्ट्स को प्रोपेगेंडा करार दिया था. उन्होंने कहा,
हमने इस घटना को लेकर बांग्लादेश मीडिया के कुछ हिस्सों में गुमराह करने वाला प्रोपेगेंडा देखा है. सच यह है कि 20 दिसंबर को नई दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के सामने लगभग 20-25 युवा इकट्ठा हुए और मैमनसिंह में दीपू चंद्र दास की भयानक हत्या के विरोध में नारे लगाए. साथ ही बांग्लादेश में सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की भी मांग की. किसी भी समय बाड़ तोड़ने या सुरक्षा की स्थिति खराब करने की कोई कोशिश नहीं की गई. मौके पर मौजूद पुलिस ने कुछ ही मिनटों में ग्रुप को तितर-बितर कर दिया. इन घटनाओं के विज़ुअल सबूत सभी के देखने के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं. भारत वियना कन्वेंशन के अनुसार अपने क्षेत्र में विदेशी मिशनों/पोस्टों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

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रणधीर जायसवाल ने आगे कहा कि भारत बांग्लादेश में बदलती स्थिति पर कड़ी नज़र रखे हुए है. हमारे अधिकारी बांग्लादेश के अधिकारियों के संपर्क में हैं और हमने उन्हें अल्पसंख्यकों पर हमलों पर अपनी गहरी चिंता जताई है. हमने यह भी आग्रह किया है कि दास की बर्बर हत्या के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए.
वीडियो: भारत के खिलाफ बयान देने वाले हादी की मौत पर बांग्लादेश में राष्ट्रीय शोक

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