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बालासोर हादसे की नई रिपोर्ट सामने आई, किसकी गलती है पता चल गया!

बालासोर ट्रेन हादसे की जांच के बाद रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में उन सभी वजहों का जिक्र है, जिसके चलते हादसा हुआ और 293 लोगों की मौत हुई.

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Balasore Train Accident investigation report mentions wrong labelling wires mix up human error
बालासोर ट्रेन हादसे की जांच रिपोर्ट में क्या-क्या पता चला? (फोटो: PTI)
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ज्योति जोशी
4 जुलाई 2023 (Updated: 4 जुलाई 2023, 09:46 AM IST) कॉमेंट्स
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बालासोर ट्रेन हादसे (Balasore Train Accident) की जांच के बाद रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) ने रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में उन सभी वजहों का जिक्र है, जिसके चलते हादसा हुआ और 293 लोगों की मौत हुई. बताया गया है कि कई स्तरों पर चूक हुई थी. लोकेशन बॉक्स के अंदर तारों की गलत लेबलिंग की बात भी सामने आई है. कहा गया कि अगर खामियां नजरअंदाज नहीं की जातीं, तो हादसा रोका जा सकता था.

CRS रिपोर्ट 28 जून को रेलवे बोर्ड को सौंपी गई थी. ये रिपोर्ट CBI जांच का हिस्सा है इसलिए आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है. इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े अविषेक दस्तीदार ने अपने सूत्रों के हवाले से इस रिपोर्ट के कुछ बिंदुओं को छापा है.

क्या क्या पता चला?

- लेवल-क्रॉसिंग लोकेशन बॉक्स के अंदर तारों की गलत लेबलिंग थी जो कि सालों तक पकड़ में नहीं आई. उसके चलते ही मेंटेनेंस वर्क के दौरान गड़बड़ी हुई.

- हादसे के लिए मुख्य तौर पर सिग्नलिंग डिपार्टमेंट जिम्मेदार पाया गया. सिग्नलिंग कंट्रोल सिस्टम की गड़बड़ी का पता लगाने में विफल रहने के लिए स्टेशन मास्टर का नाम भी रिपोर्ट में लिखा गया है.

- सीनियर रेलवे बोर्ड अधिकारी ने बताया कि प्रोटोकॉल है कि जब भी किसी एसेट का मेंटेनेंस का किया जाता है तो संबंधित इंजीनियरिंग स्टाफ के साथ-साथ परिचालन स्टाफ भी ट्रेन्स की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है. चाहे वो ट्रैक से संबंधित हो या सिग्नलिंग से संबंधित. 

- साइट पर सिग्नलिंग स्टाफ ने बताया कि हादसे वाले दिन लेवल क्रॉसिंग पर 'इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर' रिप्लेस करते समय टर्मिनल पर गलत लेबलिंग के चलते गड़बड़ी हुई. उन्होंने बताया कि ट्रेन को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक तक ले जाने वाले पॉइंट के सर्किट को पहले ही शिफ्ट कर दिया गया था.

- जिस लोकेशन बॉक्स पर सारे तार जुड़े हुए थे उसमें गलत लेबलिंग हुई थी. जिसके चलते गलत फंक्शन इंडिकेट हो रहे थे.

- 2015 में पूरा वायरिंग डायग्राम कागज पर बदला गया था और अप्रूव भी किया गया था. ये टेक्नीशियंस को दिखाने के लिए किया गया कि मेंटेनेंस के बाद वायरिंग को कैसे जोड़ा जाता है. पता चला है कि लेबलिंग सिर्फ कागज पर बदली गई, फिजिकली नहीं.

- 2018 में पॉइंट की स्थिति का पता लगाने वाले सर्किट को लोकेशन बॉक्स के अंदर शिफ्ट कर दिया गया. तब भी लेकिन इस बदलाव को ठीक से लेबल नहीं किया गया था. ना तो डायग्राम पर, ना ही केबल टर्मिनल रैक पर.

- पता चला है कि बालासोर के एक अन्य लोकेशन बॉक्स के डायग्राम का इस्तेमाल बहनागा बाजार के लोकेशन बॉक्स के लिए किया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि ये एक गलत कदम था जिसके चलते गलत वायरिंग हुई.

- दुर्घटना से करीब दो हफ्ते पहले खड़गपुर मंडल के बांकड़ा नयाबाज स्टेशन पर गलत रिंग और केबल की खराबी के चलते ऐसी ही घटना हुई थी. अगर उस घटना के बाद गलत वायरिंग को ठीक करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए गए होते तो दुर्घटना नहीं होती.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस में मेन लाइन के लिए ग्रीन सिग्नल था लेकिन 'पॉइंट' या ट्रेन की डायरेक्शन डिसाइड करने वाला सिस्टम गलत तरीके से 'लूप लाइन' की ओर इशारा करता रहा जिससे दुर्घटना हुई.

वीडियो: बालासोर ट्रेन हादसे के लिए जिस इंजीनियर आमिर खान को 'गायब' बताया गया, उसका सच ये निकला!

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