वो बच्चा राय नहीं है, वो आदमी एजुकेशन का शॉपिंग मॉल है
झुग्गी से कॉलेज चला रखा था, ऑफिस था, लैब थी, लाइब्रेरी थी बस क्लासरूम नहीं थे.
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फोटो - thelallantop


बहुत जल्द ही वो एक यूनिवर्सिटी भी खोलने वाला था. नाम होता, Lord Buddha R.D.R.L.M Bihar University.
ये जो ऊपर दिखे न, स्कूल और कॉलेज. वो सिर्फ वैशाली जिले में थे. समझे? पूरा शॉपिंग मॉल चलता था. जहां से मन आओ कर लेओ. पढ़ लेओ. सारे स्कूल-कॉलेज इतने बुरे नहीं दिखते थे. काहे कि कई तो दिखते ही नहीं थे, काहे कि वो थे ही नहीं. इस चराचर जगत में भौतिक रूप से विद्यमान ही नहीं थे. वो सिर्फ कागजों पर थे. उनका नाम था, नाम चलता भी था. बस नेत्र गोलकों की मदद से दिखता नहीं था. ऊपर जिस डिग्री कॉलेज की फोटो लगी है. वो एक खेतहरे के बीच में था. चार ठो कमरा था और एक प्रिंसिपल ऑफिस था, एक कॉलेज का ऑफिस था, एक लैब थी, प्रैक्टिकल्स जरुरी होते हैं कि नहीं, एक लाइब्रेरी थी क्योंकि किताबें इंसान की सच्ची दोस्त होती हैं, लेकिन क्लासरूम नहीं थे. जब बच्चे बिन क्लास लिए टॉप कर जाते हैं तो क्लासरूम का अचार डालिएगा. खोजने वाले जब ठाकुर देवी रामचंद्र राजदेव बौआजी राय (+2) हायर सेकेंडरी स्कूल खोजने गए तो उनको नहीं मिला. उनने पूरे लालगंज में खोजा नहीं मिला. घंटों खोजा नहीं मिला. लोगों से पूछा नहीं मिला. लोगों ने बताया, हमको भी कभी नहीं मिला. लोगों ने बताया, यहां डिग्री कॉलेज तो है पर स्कूल नहीं है. नहीं है. नहीं है.एक जने थे, नाम बताए सुभाष. उनने कहा यहां डिग्री कॉलेज है, लेकिन स्कूल नहीं है. नहीं है. नहीं है.उनने गलत बताया है, स्कूल है, था और रहेगा, बच्चा राय के कागजों में.