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बाहुबली-2 के विजुअल्स को और मजेदार बनाने वाले इस इंसान से मिलिए

600 दिन तक लगातार शूट करने वाले सेंथिल कुमार ने बताया क्या है इस बार नया.

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26 अप्रैल 2017 (Updated: 26 अप्रैल 2017, 02:22 PM IST) कॉमेंट्स
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फिल्म बाहुबली के सिनमेटोग्रफर सेंथिल कुमार से DailyO वेबसाइट के लिए 'मोना रामावत' ने बात की. वेबसाइट की इजाज़त से हम इसका हिंदी ट्रांसलेशन आपको पढ़वा रहे हैं.


 क्या 'बाहुबली: द कनक्लूज़न' पिछली फिल्म से विजुअली ज़्यादा मजेदार होगी?

यह सही है. पूरी फिल्म ज्यादा इंटेंस है. भावनाओं से भरी हुई है. पिछले 2 साल में विकसित टेक्नॉलजी के यूज़ करने से ये फिल्म टेक्निकली भी और बेहतर हुई है. हमारा मकसद था कि हम पार्ट-2 को हर हाल में पार्ट-1 से बेहतर बनाएं.


सेंथिल कुमार
सेंथिल कुमार

फिल्म में अपके पसंदीदा सीन कौन-कौन से हैं?

बहुत से ऐसे सीन हैं जो हमारी प्लैनिंग से भी ज्यादा शानदार बने. बहुत अच्छा लगता है जब कोई दर्शक किसी सीन के बारे में फीडबैक देता है, वो सीन स्पेशल बन जाता है. कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मार डाला, इस सवाल से जुड़ा शॉट अपने आप में फेमस हो गया है और यह दिलचस्प है. पार्ट-1 की शुरुआत में शिवगामी (राम्या कृष्णन) के साथ कुछ शॉट दिन में लिए गए थे पर बाद में उन्हें ऐसे दिखाया गया जैसे वो रात के शॉट्स हों. फिल्म के डायरेक्टर एस एस राजामौली इससे काफी इम्प्रेस हुए और हमने पार्ट-2 के रात के कुछ सीन भी दिन में शूट किए जो और भी अच्छे शूट हुए.


एस एस राजामौली बाहुबली के सेट पर
एस एस राजामौली बाहुबली के सेट पर

आउटडोर शूटिंग करते हुए किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है?

किसी भी तरह की आउटडोर शूटिंग करते हुए सबसे बड़ा चैलेंज होता है मौसम. जैसे पार्ट-1 में अवंतिका (तमन्ना भाटिया) के किरदार का पहला सीक्वेंस महाबलेश्वर में शूट किया गया, हमें पूरे उजाले की उम्मीद थी, लेकिन मौसम के पूर्वानुमान से अलग बारिश हो रही थी. रोशनी बादलों की वजह से कम थी.  1000 के करीब लोग इसमें शामिल थे तो शूट को किसी और दिन या किसी और जगह पर करना भी मुश्किल था. फाइनल आउटपुट देखने के बाद हमने फैसला किया कि सीक्वेंस के लिए ये मौसम भी अच्छा है.

ऐसा ही कुछ पार्ट-2 के कुछ सीन शूट करते हुए भी हुआ. फिल्म को 600 दिनों में शूट किया गया. इसमें एक और चैलेंज था हर शॉट में एक जैसे रंग दिखाना. रंग मैच करने के बजाए हमें सारे विज़ुअल को एक जैसे मूड और रौशनी में शूट करना था और इन परिस्थितियों को एक जैसा बनाए रखना था.

बाहुबली जैसे बड़े प्रोजेक्ट के दौरान अपनी पर्सनल लर्निंग कैसी रही?

कलाकार और टेक्नीशियन के तौर पर फिल्म मेकिंग के बारे में बहुत कुछ सीखा भी और भूलना भी पड़ा. क्योंकि बहुत सी चीज़ें पहली बार आज़माई गईं. बाहुबली के बाद मैं अपनी कला से और भी ज़्यादा प्यार करने लगा हूं. इस प्रोजेक्ट में इतने सारे लोग होने के बावजूद, राजामौली ने हर सिचुएशन को अकेले संभाला. उनकी अप्रोच समाधान ढूंढने की रहती है न कि प्रॉब्लम पर फोकस करने की. यह मेरे लिए वास्तव में प्रेरणादायक था, और हां मैंने शांत रहना भी सीखा.

कौन से सीक्वेंस को शूट करते हुए सबसे ज़्यादा टेक लेने पड़े?

लड़ाई के कुछ सीन को ज़्यादा टेक की ज़रूरत थी. कहीं-कहीं तो 30 टेक भी लेने पड़े. हम नहीं चाहते थे कि किसी भी सीन में कोई कमी रह जाए. अगर हम कुछ हज़ार लोगों के साथ भी शूट कर रहे थे, उन सबका कैरेक्टर में होना ज़रूरी था. अगर एक भी इंसान सीधे खड़ा दिख जाता जो एक्शन में नहीं है तो हमें दोबारा शूट करना पड़ता था.

क्या आप खुद फिल्म देखने सिनेमा हॉल जाएंगे?

बिल्कुल. कंप्यूटर ग्राफ़िक्स टीम या VFX टीम के साथ गलतियां ढूंढने के लिए फिल्म देखना अलग बात है. मगर दर्शक की तरह मूवी देखने का अपना मज़ा है. थिएटर में बैठी ऑडियंस की एनर्जी अलग ही होती है. मैं पहले भी कई बार फिल्म देख चुका हूं, लेकिन मुझे बेसब्री से फर्स्ट डे-फर्स्ट शो का इंतज़ार रहता है.

जब आप फिल्मों में व्यस्त नहीं होते तब आप क्या करते हैं?

मैं परिवार के साथ वक़्त बिताता हूं. फोटोग्रफी करता हूं. मैं पिक्चर बनाना बंद नहीं कर सकता.



ये आर्टिकल दी लल्लनटॉप के साथ इंटर्नशिप कर रहे भूपेंद्र ने ट्रांसलेट किया है.




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