भारत की 'आंख' बनेगा ये रडार, दूर से दुश्मन के आंगन में झांक लेने वाला ये अवाक्स सिस्टम है क्या?
युद्ध और शांति, दोनों ही समय अवाक्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आसमान से दुश्मन के क्षेत्र में जाए बिना, वहां की जानकारी जुटाने के लिहाज से अवाक्स एक बहुत ही जरुरी सिस्टम है. और क्या-क्या करता है ये सिस्टम?

भारतीय वायुसेना को कुछ विमानों का इंतजार है. पर ये जंगी जहाज़ नहीं हैं. Indian Air Force को जिन विमानों की दरकार है, वो दरअसल जासूसी और निगरानी के काम में आते हैं. इनमें एक खास तरह का सर्विलांस सिस्टम होता है. इसे 'एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (Airborne Early Warning and Control), शॉर्ट में अवाक्स (AWACS) कहा जाता है.
युद्ध और शांति, दोनों ही समय अवाक्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. आसमान से दुश्मन के क्षेत्र में जाए बिना, वहां की जानकारी जुटाने के लिहाज से अवाक्स एक बहुत ही जरूरी हिस्सा है. फिलवक्त में भारतीय वायुसेना को 12 ऐसे जहाजों की जरूरत है. इनमें से 6 इंब्रेयर एयरक्राफ्ट होंगे. बाकी के 6 जहाज भारत की डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइज़ेशन (DRDO) डेवलप करेगा. DRDO के डेवलप किए गए सिस्टम को एयरबस ए-321 (Airbus A-321) एयरक्राफ्ट पर लगाना है. अभी भारतीय वायुसेना जो अवाक्स सिस्टम इस्तेमाल कर रही है, उसे 'नेत्र' के नाम से जाना जाता है.

भारतीय वायुसेना का एक काम भारत के एयरस्पेस की निगरानी करना भी है. इसके लिए भारत अवाक्स सिस्टम का इस्तेमाल करता है. वायुसेना के पास इस समय तीन विमान हैं जिनपर अवाक्स सिस्टम लगा है. अवाक्स से लैस जहाजों में एडवांस रडार लगे होते हैं, जो काफी दूर से दुश्मन की थाह लेने की काबिलियत रखते हैं. भारत फिलहाल 'नेत्र' नाम का अवाक्स सिस्टम इस्तेमाल कर रहा है. आइए जानते हैं, क्या है नेत्र की खासियत? और क्यों एयरफोर्स को इसकी ज़रूरत है?
नेत्र रडारनेत्र का काम है सर्विलांस करना, ट्रैकिंग करना, दुश्मन को पहचानना, हवाई-ज़मीनी खतरों को कैटेगराइज़ करना और सबसे अहम देश पर किसी हमले की सूरत में दुश्मन की मिसाइल आने की सूचना देना. नेत्र को एम्ब्रेयर जहाज़ पर लगाया जाता है. एम्ब्रेयर एक ब्राजीलियन कंपनी है. इसमें 37 से 50 की सिटिंग क्षमता होती है. निगरानी के लिए मोडिफाई करने पर जगह कम या ज़्यादा हो सकती है. 37 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर उड़ते हुए ये विमान अपने ऊपर लगे नेत्र सिस्टम से सर्विलांस करते हैं. फुल टैंक पर ये जहाज़ 3700 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकते हैं.
आसमान से नेत्र 240 डिग्री के कोण तक दुश्मन को साफ-साफ देख सकता है. ये सिस्टम ये तक बता सकता है कि टारगेट चल रहा है या किसी एक जगह ठहरा हुआ है. नेत्र सिस्टम का सबसे अहम हिस्सा है इसका रडार. जैसा कि अवाक्स के नाम से जाहिर है, ये एक अर्ली वार्निंग मतलब समय से पहले चेतावनी देने वाला सिस्टम है. और ये तभी मुमकिन होगा जब ये काफी दूर रहते ही दुश्मन को इंटरसेप्ट कर सके. इसके लिए नेत्र में इस्तेमाल होता है एक उन्नत किस्म का रडार. ये किसी भी आ रहे एयरक्राफ्ट या मिसाइल की 'अर्ली' जानकारी देता है. जिस विमान में नेत्र लगाया गया है, उसमें भी एक सेल्फ प्रोटेक्शन सुईट लगा हुआ है जो किसी भी मिसाइल से खुद का बचाव कर सकता है.
पड़ोसी देश और भारतभारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के साथ भारत का तनाव अक्सर बना रहता है. चीन और पाकिस्तान भी अपने-अपने अवाक्स सिस्टम से लैस हैं. बीते दिनों सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हुईं. कहा जाने लगा कि ये चीन का नया अवाक्स से लैस KJ-600 है. हालांकि चीन की अवाक्स फ्लीट भारत से काफी बड़ी है. सबसे बड़े पैमाने पर चीन जिस अवाक्स सिस्टम का इस्तेमाल करता है उसे KJ-2000 के नाम से जाना जाता है. इस सिस्टम को रशियन मेड विमान A50- मेन्सटे पर फिट किया गया है. थलसेना के अलावा चीन की नौसेना और वायुसेना भी बड़े पैमाने पर अवाक्स सिस्टम का इस्तेमाल करती है. नौसेना जहां Y8J श्रेणी का इस्तेमाल करती है, वहीं वायुसेना KJ500 और KJ-6000 सिस्टम का इस्तेमाल करती है.

बात करें पाकिस्तान की तो मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया जाता है कि 2024 की शुरुआत में पाकिस्तानी एयरफोर्स में Saab-2000 अवाक्स विमानों को अपने बेड़े में शामिल कर लिया. इस नए इंडक्शन के साथ पाकिस्तानी अवाक्स का बेड़ा 9 की संख्या तक पहुंच गया है. पाकिस्तानी मीडिया का दावा है कि फ़रवरी 2019 में भारत पर हमले के दौरान भी पाकिस्तान ने SAAB अवाक्स विमानों का इस्तेमाल किया था.

कुल मिलाकर देखें तो वर्तमान में भारत की अवाक्स क्षमता पाकिस्तान और चीन, दोनों पड़ोसियों से थोड़ी पिछड़ रही है. यही वजह है कि वायुसेना ने नए अवाक्स विमानों का ऑर्डर दिया है. बॉर्डर पर बढ़ते तनाव, हिंद महासागर में पायरेट्स का खतरा, आतंकी घुसपैठ जैसी चुनौतियां भारत के सामने लगातार पांव पसार रही हैं. ऐसे में भारत के लिए अवाक्स सिस्टम और भी ज़रूरी हो जाता है.
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