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सर्दी-जुकाम, बुखार है? ये वाली दवा तो नहीं खा रहे?

दवा खाने से पहले, IMA की गाइडलाइन्स पढ़ लीजिए.

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IMA advisory on rise in fever cases
खांसी, जुकाम और बुखार के मामले बढ़े हैं (सांकेतिक तस्वीर: आजतक)
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सुरभि गुप्ता
4 मार्च 2023 (Updated: 6 मार्च 2023, 10:48 PM IST)
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देशभर में बढ़ते बुखार, खांसी, जुकाम के मामलों पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने एक एडवाइजरी जारी की है. IMA ने कहा है इस तरह के मामलों में एंटीबायोटिक दवाइयों के इस्तेमाल पर ध्यान देने की जरूरत है. एंटीबायोटिक मतलब बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों के खिलाफ काम करने वाली दवाइयां. IMA ने ऐसे मामलों के लिए डॉक्टरों को लक्षणों का इलाज करने की सलाह दी है. 

इन्फ्लूएंजा वायरस के मामले

IMA की ओर से कहा गया है,

खांसी, मिचली, उल्टी, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द और दस्त जैसे लक्षण वाले मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई है. संक्रमण आमतौर पर लगभग पांच से सात दिनों तक रहता है. बुखार तीन दिनों में चला जाता है, लेकिन खांसी तीन हफ्ते तक बनी रह सकती है. नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल (NCDC) के मुताबिक ज्यादातर मामले H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस के हैं.

बता दें कि वायरल बीमारियों में एंटीबायोटिक दवाइयां लेने से कोई फायदा नहीं होता. लेकिन फिर भी दुनियाभर में एंटीबायोटिक दवाइयों का बेवजह इस्तेमाल जारी है. 

ये भी पढ़ें- अगर आपने खांसी-जुकाम के लिए ये वाली दवा ली है, तो एक दिक्कत की बात है

एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं

IMA के मुताबिक अक्टूबर से फरवरी के बीच इन्फ्लूएंजा और दूसरे वायरस के कारण सीजनल सर्दी या खांसी होना सामान्य है. IMA ने कहा,

ऐसे में सिर्फ लक्षणों का इलाज करें, एंटीबायोटिक देने की जरूरत नहीं है. लेकिन अब लोग एज़िथ्रोमाइसिन और एमोक्सिक्लेव जैसे एंटीबायोटिक लेना शुरू कर देते हैं. दवा की डोज और दवा कितनी बार लेनी है, इस पर भी ध्यान नहीं देते. वहीं बेहतर महसूस होने पर इन एंटीबायोटिक का इस्तेमाल रोक देते हैं. इसे रोकने की जरूरत है क्योंकि इससे एंटीबायोटिक रजिस्टेंस का खतरा बढ़ाता है.

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस यानी बैक्टीरिया पर मौजूदा एंटीबायोटिक्स का असर न होना. इस वजह से संबंधित बैक्टीरियल इन्फेक्शन का इलाज मुश्किल हो जाता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में इंटरनल मेडिसिन के डायरेक्टर डॉ. सतीश कौल कहते हैं,

बुखार-खांसी के मौजूदा मामलों में ज्यादातर मामले वायरल इन्फेक्शन के हैं, इसलिए इन मामलों में एंटीबायोटिक दवाइयों के इस्तेमाल को रोकना चाहिए. अगर हम बेवजह एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो इससे ऐसे बैक्टीरिया के उभरने का खतरा बढ़ता है, जिन पर मौजूदा एंटीबायोटिक दवाइयों का असर न हो.

उन्होंने कहा कि जब तक डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक न लिखे, तब तक खुद से एंटीबायोटिक दवाइयों को लेने से बचना चाहिए. 

हाल में खांसी, जुकाम और बुखार के मामले बढ़ने की खबर कई शहरों से आई हैं. लोगों का कहना है कि इन्फेक्शन के बाद काफी लंबे समय तक खांसी, गले में दिक्कतें और सीने में जकड़न रह रही है. इस तरह के मामलों में एक्सपर्ट्स की सलाह है कि मरीजों को आराम करना चाहिए. खाने में तरल चीजें लेनी चाहिए और बुखार को कम करने के लिए पेरासिटामोल लेना चाहिए. अगर आप भी फ्लू से जूझ रहे हैं तो मास्क जरूर पहनें. भीड़-भाड़ में जाने से बचें. और खुद से कोई भी एंटीबायोटिक या कोई भी दवा ना लें.

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वीडियो: सेहत: एंटीबायोटिक मेडिसिन यानी दवाई खाते वक़्त ये गलतियां भूलकर भी न करें

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