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'नूपुर शर्मा पर FIR के बाद हिंदुत्ववादी फैन नाराज न हो जाएं, इसलिए मुझ पर कर दिया केस'

असदुद्दीन ओवैसी ने ये भी कहा, 'FIR में कहीं भी यह नहीं लिखा कि मेरा जुर्म आखिर क्या है.'

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Asaduddin Owaisi
असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)
9 जून 2022 (Updated: 9 जून 2022, 20:00 IST)
Updated: 9 जून 2022 20:00 IST
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AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने अपने ऊपर हुई एफआईआर पर सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने सवाल किया है कि आखिर उनकी कौन सी टिप्पणी आपत्तिजनक थी, जिस पर केस दर्ज किया गया है. असदुद्दीन ओवैसी पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने FIR दर्ज की है. ये एफआईआर उनके कथित भड़काऊ बयान को लेकर दर्ज की गई है. 

इस मामले में असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा,

मुझे एफआईआर का एक हिस्सा मिला है. यह पहली एफआईआर मैंने देखी है, जो ये स्पष्ट नहीं करती है कि अपराध क्या है. कल्पना कीजिए, हत्या के मामले में FIR दर्ज हो और पुलिस यही ना बताए पाए कि किस हथियार से हमला किया गया या हत्या का कारण क्या था. इसी तरह मुझे नहीं पता कि मेरी किस टिप्पणी के कारण मुझ पर एफआईआर की गई है.

लोगों को भड़काने की कोशिश करने वालों के खिलाफ केस

ओवैसी ही नहीं पुलिस ने शादाब चौहान, सबा नकवी, हफिजुल हसन अंसारी, बिहारी लाल यादव, मौलाना मुफ्ती नदीम, अब्दुर रहमान, नगमा शेख, विनीता शर्मा, इम्तियाज अहमद, दानिश कुरैशी और यति नरसिंहानंद समेत कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. एक एफआईआर बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) के खिलाफ भी दर्ज की गई है.

इसके बारे में दिल्ली पुलिस की ओर से ट्वीट कर बताया गया था,

हमने सार्वजनिक शांति भंग करने और विभाजनकारी लाइन पर लोगों को भड़काने की कोशिश करने वालों के खिलाफ FIR दर्ज की है. सोशल मीडिया एनालिसिस के आधार पर उपयुक्त धाराओं में ये दो एफआईआर दर्ज की गई हैं. एक एफआईआर नूपुर शर्मा से संबंधित है और दूसरी कुछ सोशल मीडिया पर मौजूद हस्तियों के खिलाफ है.

'दिल्ली पुलिस में हिम्मत नहीं'

वहीं ओवैसी का आरोप है कि पुलिस में यति नरसिंहानंद, नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल जैसों के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस नहीं है. उन्होंने ट्वीट किया,

ऐसा लगता है कि दिल्ली पुलिस में यती, नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल जैसों के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाने का साहस नहीं है, देरी से और कमजोर प्रतिक्रिया का यही कारण है.

ओवैसी ने आगे लिखा, 

असल में यति ने मुसलमानों के खिलाफ नरसंहार और इस्लाम का अपमान करके अपनी जमानत की शर्तों का बार-बार उल्लंघन किया है. दिल्ली पुलिस शायद हिंदुत्ववादी फैंस को ठेस पहुंचाए बिना इन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का तरीका सोचने की कोशिश कर रही थी.

'बैलेंस-वाद सिंड्रोम से जूझ रही दिल्ली पुलिस'

ओवैसी यहां तक कह गए कि दूसरे पक्ष पर सिर्फ इसलिए शिकायत हो रही है, जिससे बीजेपी समर्थकों को खुश रखा जाए. उन्होंने ट्वीट किया,

दिल्ली पुलिस "संतुलन-वाद" सिंड्रोम से पीड़ित है. एक पक्ष ने खुले तौर पर हमारे पैगंबर का अपमान किया है, जबकि दूसरे पक्ष का नाम भाजपा समर्थकों को शांत करने के लिए है और ऐसा दिखाने के लिए है कि दोनों पक्षों में नफरती भाषा थी.

उन्होंने आगे लिखा, 

यह भी ध्यान दें कि हेट स्पीच सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ताओं और उनके करीबी प्रमुख "धर्म गुरुओं" की ओर से थी. इसे बिना किसी सामाजिक या राजनीतिक समझ के सोशल मीडिया के रैंडम पोस्ट के बराबर माना जा रहा है. मेरे मामले में एफआईआर में यह भी नहीं है कि आपत्तिजनक क्या था.

ओवैसी के मुताबिक यति नरसिंहानंद, नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही. उन्होंने लिखा,

यति, नरसंहार संसद गैंग, नूपुर, नवीन वगैरह इसके अभ्यस्त हो गए हैं. ये कमजोर कार्रवाई तभी की गई जब हफ्तों तक आक्रोश या अंतरराष्ट्रीय निंदा हुई या जब अदालतों ने पुलिस की खिंचाई की.

ओवैसी का आरोप- मुस्लिम लोगों को जेल में डाला गया

ओवैसी का आरोप है कि देश में मुस्लिम छात्र, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामले दर्ज होते हैं. उन्होंने ट्वीट में लिखा,

इसके विपरीत मुस्लिम छात्रों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं को केवल मुस्लिम होने के कारण जेल में डाल दिया गया. हिंदुत्व संगठनों की एक संस्कृति है, इनमें हेट स्पीच और उग्रवाद को प्रमोशन के साथ पुरस्कृत किया जाता है. उदाहरण के लिए, योगी की नफरत को लोकसभा सीटों और सीएम पद से पुरस्कृत किया गया.

उन्होंने लिखा,

मोदी के नफरत भरे भाषणों को इसी तरह पुरस्कृत किया गया. वास्तव में जिन लोगों ने मुझे गोली मारने की कोशिश की, उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया, ताकि वे प्रमुख हिंदुत्व राजनेता बन सकें. यह संस्कृति खत्म होनी चाहिए.

ओवैसी ने आगे ट्वीट में लिखा,

अगर मोदी ईमानदार होते तो वे नकली बैलेंस-वाद में शामिल हुए बिना हेट स्पीच को रोकते. नरसंहार से जुड़े नफरती भाषा बोलने वालों को ईनाम देने की बजाए गैर-जमानती सख्त कानूनों के तहत जेल में डाला जाना चाहिए.

असदुद्दीन ओवैसी ने बताया कि वे एफआईआर को लेकर वकीलों से सलाह लेंगे और धमकियों से डरेंगे नहीं. 

जहां तक ​​मेरे खिलाफ FIR का सवाल है, हम अपने वकीलों से कंसल्ट करेंगे और जैसी जरूरत होगी, इसका समाधान करेंगे. हम इन धमकियों से नहीं डरेंगे. हेट स्पीच की आलोचना करने और हेट स्पीच देने के बीच तुलना नहीं की जा सकती.

वीडियो- कानपुर हिंसा और नूपुर शर्मा पर क्या बोले असदुद्दीन ओवैसी?

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