अब गैर-ब्राह्मण भी मंदिरों में पुजारी बन सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को साफ कह दिया है. जाति, जन्म या कोई भी अड़ंगा जिसे संविधान नहीं मानता. वो किसी भी आदमी को किसी भी मंदिर या धार्मिक जगह में पुजारी बनने के आड़े नहीं आ सकता.
बात आई ऐसे कि तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने एक कानून बनाया था. जिसके बाद दूसरे लोग जिन्हें अच्छे से मंदिर का टीम-टाम, रीति-रिवाज सब पता हो वो पुजारी बन सकते हैं, भले वो ब्राह्मण न हों. मदुरै के मीनाक्षी मंदिर के पुजारियों को ये बहुत रास नहीं आया था. वो पहले अपने बालकों को पुजारी बना दिया करते थे, तमिलनाडु सरकार ने कानून बना कर ये सिस्टम खत्म कर दिया था.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून का कोई रिव्यू नहीं किया है लेकिन ये कहा है कि अगर ऐसे कोई पुजारी बनता है. और उस पर कोई मुकदमा खड़ा होता है, तो वो उस मामले पर गौर करेंगे.