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CAA, NRC लागू नहीं होगा इसका सपना भी नहीं देखना है, अमित शाह ने जता दिया है

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सब साफ कर दिया है.

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Union Home Minister Amit Shah
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (फाइल फोटो: PTI)
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सुरभि गुप्ता
25 नवंबर 2022 (Updated: 25 नवंबर 2022, 09:11 AM IST)
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने एक कार्यक्रम में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) पर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी का स्टैंड साफ कर दिया है. उन्होंने कहा है कि CAA देश का कानून है और अब इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ और खुली बहस के बाद BJP यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता लाकर रहेगी.

अमित शाह बोले- ‘CAA वास्तविकता है और इस देश का कानून है’

गुरुवार, 24 नवंबर को न्यूज चैनल टाइम्स नाउ के एक कार्यक्रम में अमित शाह ने कहा कि CAA का विरोध करने वालों को अब ये सपना देखना बंद कर देना चाहिए कि CAA वापस लिया जाएगा या लागू नहीं किया जाएगा. शाह से पूछा गया था कि क्या CAA को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. 

इस पर गृह मंत्री ने जवाब दिया,

"CAA, NRC ठंडे बस्ते में नहीं गए है. CAA देश का कानून है. अब इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता. हमें रूल्स बनाने हैं. कोविड के उतार-चढ़ाव के कारण इसे रोक रखा था. कोविड अब समाप्त होने को आया है. मैं आज इतना जरूर कह सकता हूं कि CAA पर अमल नहीं होगा ऐसा स्वप्न देखने वाले भूल कर रहे हैं. CAA वास्तविकता है और इस देश का कानून है."

'यूनिफॉर्म सिविल कोड हमारी राजनीतिक यात्रा का एक वादा रहा है'

वहीं यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर शाह ने कहा कि बीजेपी इसे लाने के लिए अडिग है और वो ये लाकर रहेगी. टाइम्स नाउ समिट 2022 में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर शाह ने कहा,

“यूनिफॉर्म सिविल कोड निश्चित रूप से भारतीय जनसंघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी की आजतक की हमारी राजनीतिक यात्रा का एक वादा रहा है. न केवल भारतीय जनता पार्टी, संविधान सभा ने भी देश भर के विधानमंडलों को और संसद को ये सलाह दी कि जब भी उचित समय आए यूनिफॉर्म सिविल कोड इस देश में आना चाहिए. क्योंकि किसी भी पंथनिरपेक्ष राष्ट्र के लिए, राज्य के लिए, धर्म के आधार पर कानून नहीं होने चाहिए. अगर राष्ट्र और राज्य पंथनिरपेक्ष हैं तो धर्म के आधार पर कानून कैसे हो सकते हैं. हर धर्म के मानने वालों के लिए एक कानून होना चाहिए, जो देश की संसद पारित करे.”

गृह मंत्री ने बताया कि बीजेपी शासित तीन राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों की अध्यक्षता में एक पैनल बनाया गया है, जहां विभिन्न धर्मों के लोग अपना-अपना पक्ष रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस पर आने वाली सिफारिशों के आधार पर काम किया जाएगा. बीजेपी सभी लोकतांत्रिक चर्चाओं के बाद समान नागरिक संहिता लाने के लिए प्रतिबद्ध है. 

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