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दिल्ली में डटे किसानों के लिए पीएम मोदी का क्या ‘कमिटमेंट’ है, कृषि मंत्री ने बता दिया है

आंदोलन कर रहे किसानों से जुड़े कई मुद्दों पर कृषि मंत्री ने सरकार का पक्ष रखा है

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कृषि कानूनों के विरोध का झंडा बुलंद किए किसान जहां पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, वहीं सरकार इस संकट से निपटने का हल ढूंढने में जुटी है. (फोटो- PTI)
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अभिषेक त्रिपाठी
2 दिसंबर 2020 (Updated: 2 दिसंबर 2020, 01:18 PM IST) कॉमेंट्स
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देश की राजधानी दिल्ली में किसानों का आंदोलन गरमाया हुआ है. पड़ोसी राज्य खासकर पंजाब-हरियाणा-यूपी के किसान पिछले एक हफ्ते से ‘दिल्ली चलो’ का नारा बुलंद कर रहे हैं. बॉर्डरों पर डटे हुए हैं. केंद्र सरकार से किसानों के प्रतिनिधियों की एक दौर की बातचीत नाकाम हो चुकी है. वार्ता का अगला दौर गुरुवार 3 दिसंबर को होना है. इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों की चिंताओं, आशंकाओं पर सरकार का पक्ष रखा. 'इंडिया टुडे' के राहुल कंवल से विशेष बातचीत में कृषि मंत्री ने क्या-क्या कहा, आइए जानते हैं– # APMC टैक्स पर कृषि मंत्री ने कहा कि कानून बना देना हर बात का समाधान नहीं होता. हमें उम्मीद है कि बातों से ही बात बनेगी. रही बात APMC (कृषि उपज विपणन समिति) टैक्स की, तो नए ट्रेड ऐक्ट के तहत राज्यों को ही इसे तय करना है. APMC पर कोई ख़तरा नहीं है, बल्कि भविष्य में इसका रोल बढ़ने ही वाला है. # MSP पर नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ये (MSP) कभी भी कानून का हिस्सा नहीं था. पीएम मोदी फिर भी किसानों को MSP दिलाने की कोशिश में रहे और उनको लाभ मिला भी. UPA की तुलना में NDA के समय दोगुनी फसल खरीदी गई. MSP के लिए भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. मोदी जी ने किसानों को इस पर आश्वासन दिया है. #  मंडी सिस्टम पर कृषि मंत्री तोमर का कहना था कि 17 राज्यों में कृषि कानून लागू किए जा रहे हैं. इन राज्यों में से पंजाब में मंडी सिस्टम मजबूत है. इसीलिए यहां ये प्रचलित धारणा है कि मंडी सिस्टम को खत्म किया जा रहा है. रही बात बिहार में APMC खत्म होने की, तो वहां इसकी अलग वजहें थीं. वहां भ्रष्टाचार काफी बढ़ गया था. # किसानों से पहले बात क्यों नहीं की? कृषि मंत्री ने इस सवाल के जवाब में कहा कि 2003 में स्वामीनाथन आयोग बना था. हमने अभी जो बातें बिल में शामिल की हैं, उनमें से कई का ज़िक्र इस आयोग ने भी किया था. शेतकारी संगठन ने भी ऐसी ही मांगें रखी थीं. कांग्रेस के 2019 के घोषणा पत्र में भी यही बातें थीं. कहने का मतलब ये है कि ये प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है. बस हमने इसे असल रूप अब दिया है. # राजनीति पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसान संगठन इस बात पर कायम हैं कि कोई भी राजनीतिक दल उनके आंदोलन का हिस्सा न बने. विपक्ष को भी ऐसा नहीं करना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी जी को पसंद करने वाले करोड़ों हैं, तो विरोध करने वाले भी कुछ तो होने चाहिए. मोदी सरकार का उद्देश्य है कि किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी हो.   कृषि मंत्री की बातें तो सुन लीं, अब किसान आंदोलन के कारण बंद रास्तों का अपडेट भी जान लीजिए. ताजा अपडेट ये है कि दिल्ली-नोएडा का एक रास्ता भी बंद कर दिया गया है, क्योंकि आंदोलन के चलते यहां से आना-जाना अभी मुमकिन नहीं है. दिल्ली का फरीदाबाद, गुड़गांव से लगने वाला बॉर्डर पहले से ही बंद है.

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