The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • agniveer scheme feedback resul...

अब दोगुने अग्निवीरों की हो सकती है पर्मानेंट भर्ती, पेंशन भी... आर्मी के भीतर चल रही चर्चा

जब इस स्कीम की चर्चा शुरू हुई थी, तब भी इस तरह के तर्क दिए गए थे कि अगर मात्र 25% को ही पक्की जगह मिलेगी, तो कडेट्स आपस में एक-दूसरे को कभी सहयोग नहीं करेंगे. ऐसा ही हाल में किए गए एक सर्वे में निकल कर आया है.

Advertisement
agniveer changes
अगर ये बदलाव लागू होते हैं, तो बहुत बड़े स्ट्रक्चर पर असर पड़ेगा. (फ़ोटो - PTI)
pic
सोम शेखर
13 जून 2024 (Published: 15:58 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) में बदलाव हो सकते हैं. संभावित बदलावों पर अंदरख़ाने चर्चा हो रही है. इसमें अग्निवीरों के रिटेंशन परसेंट को 25 प्रतिशत से बढ़ाने की बात है, और उनके प्रशिक्षण की अवधि भी. दरअसल, हाल ही में तीनों सेनाओं में एक सर्वे किया गया था. वहीं से इस स्कीम पर कुछ फ़ीडबैक आया है. हालांकि, ये अभी चर्चा के स्टेज पर है. सरकार को औपचारिक सिफ़ारिशें नहीं दी गई हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की अमृता नायक दत्ता की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, सेना को जो फ़ीडबैक मिला है, उसमें ये निकल कर आया है कि अग्निवीरों के बीच सामंजस्य और सौहार्द की कमी है. एक तरह की प्रतिस्पर्धा है, जिससे वो एक-दूसरे का सहयोग नहीं करते, आपस में घुलते-मिलते नहीं.

रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है: ऐसे गुण सशस्त्र बलों में वांछनीय नहीं है. रिटेंशन को बढ़ाने का असली मक़सद यही है.

जब इस स्कीम की चर्चा शुरू हुई थी, तब भी इस तरह के तर्क दिए गए थे कि अगर मात्र 25% को ही पक्की जगह मिलेगी, तो कडेट्स आपस में एक-दूसरे को कभी सहयोग नहीं करेंगे.

ये भी पढ़ें - NEET पर सरकार का बड़ा एलान, 1563 छात्रों के ग्रेस मार्क्स कैंसिल, 23 जून को री-एग्जाम

अब सेना के भीतर अन्य सेवाओं में मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 50 प्रतिशत अग्निवीरों को बनाए रखने की चर्चा चल रही है. विशेष बलों सहित तकनीकी और विशेषज्ञ सैनिकों के लिए लगभग 75 प्रतिशत. सेना के सूत्रों ने कहा कि इसका लक्ष्य एक-दूसरे को साथ लेकर चलने की इच्छा और आपसी भाईचारा बढ़ाना है.

सेना में अग्निपथ स्कीम की घोषणा से पहले सैनिकों के लिए प्रशिक्षण अवधि 37 से 42 सप्ताह के बीच थी. सेना को मिले फ़ीडबैक के मुताबिक़, अग्निवीरों के लिए इस ट्रेनिंग पीरियड को घटाकर 24 हफ़्ते करने से उनकी ट्रेनिंग पर सही असर नहीं पड़ रहा है. अगर ये क़दम लागू होता है, तो अग्निवीर ESM के लिए लागू लाभों के लिए भी पात्र हो जाएंगे और पेंशन योग्य सेवा के हिस्से के रूप में गिने जाएंगे.

जिन सुझावों पर चर्चा की जा रही है, उनमें अर्धसैनिक बलों में शुरू से शुरू करने के बजाय केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में लैट्रल एंट्री की बात भी चल रही है. 

फ़िज़िकल फ़िटनेस के मानकों से पता चलता है कि अग्निवीर इस मामले में फ़िट हैं और पढ़ाई करने के इच्छुक हैं. हालांकि, ये भी पता चला है कि उनका ध्यान ट्रेनिंग के बजाय रिटेंशन टेस्ट पर ज़्यादा रहता है. और, ज़्यादातर आवेदक शहरों से आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें - 'अग्निपथ' के अलावा भर्ती का कोई और विकल्प नहीं, अग्निवीरों को लेकर सेनाओं ने क्या-क्या कहा?

कोविड-19 महामारी की वजह से दो साल तक सैन्य भर्तियां रोक दी गई थीं. जून 2022 में अग्निपथ योजना की घोषणा हुई थी, जिसका उद्देश्य चार साल के लिए सशस्त्र बलों में सैनिकों, वायुसैनिकों और नौसैनिकों की भर्ती करना था. लेकिन पर्मानेंट नहीं. चार साल के लिए. चार साल पूरे हो जाने के बाद उनमें से 25% को रखा जाएगा.

रेगुलर सेवा में नियुक्त सैनिक और अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए गए सैनिक के बीच सबसे बड़ा अंतर ये है कि रेगुलर सैनिक को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन मिलेगी, जबकि अग्निवीर को किसी भी पेंशन लाभ का हक़दार नहीं माना जाएगा.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: ये मांग मानेंगे पीएम मोदी? नायडू ने मांगी बड़ी चीज, नीतीश के नेता UCC, Agniveer पर क्या बोले?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement