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आधी रात दिल्ली पुलिस को हड़काने वाले जज का ट्रांसफ़र ऑर्डर आधी रात को ही आ गया

क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मामले पर सफ़ाई दी है.

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जस्टिस मुरलीधर के इस ट्रांसफर से बवाल खड़ा हो गया है (फ़ाइल फोटो ANI)
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27 फ़रवरी 2020 (Updated: 27 फ़रवरी 2020, 07:16 IST)
Updated: 27 फ़रवरी 2020 07:16 IST
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दिल्ली हाईकोर्ट के जज एस. मुरलीधर का ट्रांसफर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कर दिया गया. जिस रात जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली हिंसा पर दिल्ली पुलिस और सरकार को फटकार लगाई, उसके ठीक अगले दिन जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर का नोटिफिकेशन आ गया.

जजों के ट्रांसफर तो होते रहे हैं, लेकिन मुरलीधर के ट्रांसफर पर पहले भी बवाल हो चुका है. दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इस ट्रांसफर के ख़िलाफ़ एक दिन की हड़ताल कर चुका है. अब दिल्ली हिंसा मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर को उनके कड़े तेवर से जोड़कर देखा जा रहा है.

जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर को लेकर क़ानून और न्याय मंत्रालय से जारी नोटिस में कहा गया,


'भारत के संविधान के अनुच्छेद 222 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्ति का उपयोग करते हुए राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श करने के बाद, दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एस. मुरलीधर को स्थानांतरित करते हैं. उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में अपने पद का कार्यभार संभालने का निर्देश दिया जाता है.'

हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट के वकीलों समेत सभी कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट से अपील कर रहे हैं कि उन्हें इस फ़ैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए
हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट के वकीलों समेत सभी कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट से अपील कर रहे हैं कि उन्हें इस फ़ैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए

# किसने किया ट्रांसफर?

इनका ट्रांसफर सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में किया है. कॉलेजियम वो सिस्टम है, जिसके अंतर्गत जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर किया जाता है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के पांच सीनियर जज होते हैं, जो मिलकर तबादले का फैसला लेते हैं. इस कॉलेजियम का नेतृत्व चीफ जस्टिस एसए बोबडे कर रहे हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन ने इस ट्रांसफर का विरोध किया और 20 फरवरी, गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में हड़ताल की. बार एसोसिएशन ने फैसले पर विचार करने की अपील की.


# विरोध की वजह क्या थी ?

जस्टिस मुरलीधर कठोर फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सेक्रेटरी अभिजात ने कहा कि ट्रांसफर को लेकर बार एसोसिएशन ने आपत्ति इसलिए जताई है, क्योंकि ईमानदार और निष्पक्ष जजों के ट्रांसफर न्याय-व्यवस्था के लिए तो खतरनाक है ही, साथ ही इससे आम लोगों के बीच भरोसा भी कम होगा.


# दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी

दिल्ली हिंसा में जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली पुलिस की जमकर खिंचाई की थी. दिल्ली हिंसा के बीच आधी रात को कोर्ट लगी. एस मुरलीधर के आवास पर. सुनवाई के समय दिल्ली पुलिस को निर्देश देते हुए जजों ने कहा कि सबसे पहले सुनिश्चित करें कि घायलों को अस्पताल तक सुरक्षित पहुंचाया जा सके. फिर सुबह भी सुनवाई हुई. सुनवाई के समय दिल्ली पुलिस की ओर से कोर्ट में उपस्थित हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता. कोर्ट में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, सांसद प्रवेश वर्मा और वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर के वीडियो पर बात शुरू हुई. जस्टिस एस मुरलीधर ने एसजी मेहता से पूछा कि क्या आपने तीनों वीडियो देखे हैं? मेहता ने मना कर दिया. इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि क्या कोर्टरूम में कोई सीनियर पुलिस अधिकारी मौजूद है? एक पुलिस अधिकारी सामने आया.

कोर्ट ने पुलिस अधिकारी से पूछा कि क्या आपने तीनों वीडियो देखे हैं? पुलिस अधिकारी ने कहा कि दो देखे हैं, लेकिन कपिल मिश्रा वाला नहीं देखा. इस पर जस्टिस मुरलीधरन ने आपत्ति जताई. कहा, "क्या आप कह रहे हैं कि पुलिस कमिश्नर ने वो वीडियो ही नहीं देखा है, जो खुद उनसे जुड़ा हुआ है? ये एक गंभीर मुद्दा है. मैं दिल्ली पुलिस का कामकाज देखकर चकित हूं."


अनुराग ठाकुर ने दिल्ली में चुनावी सभा के दौरान भड़काने वाले नारे लगवाए थे. (फाइल फोटो- ANI)
अनुराग ठाकुर ने दिल्ली में चुनावी सभा के दौरान भड़काने वाले नारे लगवाए थे. (फाइल फोटो- ANI)

इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि पुलिस अधिकारियों और एसजी मेहता के लिए कोर्ट में वीडियो चलाए जाएं. कपिल मिश्रा का वीडियो चलाते हुए जस्टिस मुरलीधर ने चिह्नित किया और कहा, "देखिए, वो (कपिल मिश्रा) तब बोल रहे हैं, जब डीसीपी उनके बगल में खड़ा है."

दिल्ली चुनाव के दौरान अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा ने आपत्तिजनक और साम्प्रदायिक रूप से भड़काऊ बयान दिए थे, जिसके बाद चुनाव आयोग ने इन दो नेताओं पर कार्रवाई की थी. 23 फरवरी, 2020 को बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने मौजपुर चौक पर दिल्ली पुलिस की मौजूदगी में भड़काऊ भाषण दिया. कहा कि तीन दिन इंतज़ार करेंगे, उसके बाद पुलिस की भी नहीं सुनेंगे.

कोर्ट ने कहा कि इस अदालत के होते हुए दिल्ली में दूसरा 1984 नहीं होने दे सकते हैं. सरकार से कहा कि तेज़ी से काम करें. संवैधानिक पदों पर बैठे जिन भी लोगों के पास Z श्रेणी की सुरक्षा है, वे नार्थ-ईस्ट दिल्ली के तनावग्रस्त इलाकों में जाएं. लोगों से बात करें. दिल्ली पुलिस से कहा कि हेल्पलाइन बढ़ाएं.


# जस्टिस मुरलीधर के बड़े फ़ैसले

जस्टिस मुरलीधर को दिल्ली हाईकोर्ट में 2006 में बतौर जज नियुक्त किया गया था. उनका कार्यकाल 2023 में पूरा होगा. 2018 में मुरलीधर ने 1984 सिख दंगों में शामिल रहे सज्जन कुमार को भी उम्रकैद का फैसला सुनाया था. जस्टिस मुरलीधर होमोसेक्सुअलिटी को डिक्रिमिनलाइज करने वाली दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच का भी हिस्सा रहे थे.

जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर के बारे में पहले भी दो बार चर्चा हो चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों के विरोध के बाद इसे रोक दिया गया था. उनके ट्रांसफर पर पहली बार दिसंबर 2018 में और फिर जनवरी 2019 में चर्चा हुई थी.


# सरकार की सफाई 

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मसले पर सफाई दी. कहा कि रूटीन के तहत ट्रांसफर किया गया है. और ट्रांसफर की संस्तुति 12 फरवरी को ही हो गयी थी. जज से सहमति भी ली गयी थी.


कहा कि जस्टिस लोया के जजमेंट को सुप्रीम कोर्ट ने भी सेटल कर दिया था. जो सवाल उठा रहे हैं, वो शीर्ष अदालत के निर्णय को नहीं मानते हैं. क्या राहुल गांधी खुद को कोर्ट से ऊपर समझते हैं? कहा कि वो न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं. ऐसा कहने के बाद रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी पर भी कई सारे आरोप लगाए.


वीडियो देखें: 
दिल्ली हिंसा में मारे गए राहुल सोलंकी के पिता ने रोते हुए कहा- दंगे की आग कपिल मिश्रा ने भड़काई

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