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धरा रह गया मां-बाप का भौकाल, रॉकी यादव अब जेल में चक्की पीसेगा

आदित्य सचदेवा रोडरेज: कोर्ट ने रॉकी व दो अन्य को दी उम्रकैद की सजा.

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सौरभ
6 सितंबर 2017 (Updated: 6 सितंबर 2017, 11:31 AM IST) कॉमेंट्स
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बिहार के गया में मई 2016 को हुए चर्चित आदित्य सचदेवा रोडरेज कांड में निचली अदालत ने रॉकी यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने रॉकी के पिता बिंदी यादव को भी 5 साल जेल की सजा सुनाई है. मामले में दो अन्य आरोपियों को भी आजीवन कारावास की सजा दी गई है. रॉकी यादव की मां मनोरमा देवी जेडीयू की एमएलसी थीं और पिता बिंदेश्वरी यादव एक बाहुबली और गैंगस्टर. मगर कोर्ट के आगे मां-बाप का भौकाल धरा रह गया. 31 अगस्त को अतिरिक्त न्यायिक दंडाधिकारी सच्चिदानंद सिंह की कोर्ट ने रॉकी यादव के अलावा राजेश कुमार और टीना यादव को हत्या का दोषी करार दिया था. रॉकी के पिता बिंदी यादव को सबूत मिटाने के आरोप में भी दोषी करार दिया गया था.

क्या हुआ था?
रॉ़की यादव अपनी लैंड रोवर कार में दोस्तों को बैठाकर कहीं जा रहा था. उसी वक्त बोध गया से अपने चार साथियों के साथ 20 साल का आदित्य कुमार सचदेवा जिला मुख्यालय लौट रहा था. आदित्य ने आगे बढ़ने के लिए गाड़ी ओवरटेक की. रॉकी इसी बात से चिढ़ गया. रॉकी ने अपनी कार की स्पीड बढ़ाई और आदित्य की कार के आगे जाकर गाड़ी लगा दी. रॉकी ने कार से उतरकर आदित्य को गोली मार दी. कार में आदित्य के साथ बैठे लोगों के साथ भी मारपीट करने की.
शूटिंग का शौकीन है रॉकी.
शूटिंग का शौकीन है रॉकी.

उस रात की कहानी दोस्तों की जुबानी

रॉकी यादव ने जब आदित्य सचदेवा को गोली मारी, तब आदित्य अकेला नहीं था. उसकी कार में उसके साथ 4 दोस्त और थे. उन चार दोस्तों ने अदालत को उस दिन की घटना का पूरा ब्योरा लिखित में दिया था. आदित्य के इन चार दोस्तों के नाम हैं - मोहम्मद कैफी, आयुष अग्रवाल, अंकित और नासिर हुसैन. पढ़िए, अदालत में किसने क्या कहा:
नासिर हुसैन हम स्विफ्ट कार नंबर BR 02AC 2699 से बोधगया से गया आ रहे थे. महारानी पेट्रोल पंप के पास हमने एक लैंड रोवर गाड़ी को क्रॉस किया. उसका नंबर था DL1 TEMP AU 7063. हम जब आगे बढ़ गए तो लैंडरोवर के ड्राइवर ने हमसे हॉर्न देकर पास मांगा. लेकिन हम पास नहीं दे सके, क्योंकि सड़क पर ट्रैफिक था. फिर भी वो पास मांगता रहा. फिर हम पुलिस लाइन की तरफ मुड़ गए, जहां एक मंदिर है. जब हम मंदिर क्रॉस कर रहे थे हमने फायर की आवाज सुनी. वो सुनकर हमने कार रोकी. लैंडरोवर का ड्राइवर पिस्टल लहरा रहा था. उसने हमसे कहा कि रुक जाओ वरना शूट कर दूंगा. हम बाहर आए तो देखा कि एक लड़का हाथ में पिस्टल लिए खड़ा था और उसके साथ एक बॉडीगार्ड था, जिसके पास कार्बाइन थी. ड्राइवर ने मुझे और कैफ को पीटना शुरू कर दिया. हाथ में पिस्टल लिए वह चिल्ला रहा था कि उसका नाम रॉकी यादव है और वह बिंदी यादव का बेटा है.
मुझे इतना पीटा कि मेरी नाक से खून बहने लगा. हमने एक और गोली की आवाज सुनी. हम डर गए. हमने जल्दी से कार में बैठकर वहां से भाग जाने की कोशिश की. हम गोलियों से बचने के लिए झुक गए. आयुष कार में बैठा था. वो चिल्लाया कि आदित्य को गोली लग गई. फिर हम वहां से भागे और आदित्य को लेकर तुरंत मगध अस्पताल पहुंचे. हम यह देखने के लिए पीछे नहीं मुड़े कि हमलावर कहां गए. अस्पताल पहुंचकर पता लगा कि आदित्य की पहले ही मौत हो चुकी है. उस दिन कार मैं ही चला रहा था.
आयुष अग्रवाल 7 मई को मैं, नासिर, कैफी, आदित्य और अंकित बोधगया से गया लौट रहे थे. हम स्विफ्ट कार में थे, लेकिन उसका नंबर मुझे याद नहीं है. महारानी पेट्रोल पंप के पास मैंने सिल्वर कलर की एक लैंडरोवर को क्रॉस किया था.
अंकित कुमार ये रात करीब सवा 8 बजे की घटना है. हम एक बर्थडे पार्टी से लौट रहे थे. महारानी पेट्रोल पंप पर एक सिल्वर रंग की लैंडरोवर कार को हमने ओवरटेक किया. हम सफेद स्विफ्ट कार में थे. लैंडरोवर तब से हमें ओवरटेक करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हम पास नहीं दे सके, क्योंकि ट्रैफिक काफी था.


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