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'अखलाक की फैमिली पर कार्रवाई हो, वरना भीड़ का गुस्सा नहीं रुकेगा'

दादरी के बिसाहड़ा गांव में फिर हुआ उसी मंदिर से ऐलान. जुटे आरोपियों के हमदर्द और 'वरना' की भाषा में दी धमकी.

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मोहम्मद अखलाक.
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कुलदीप
7 जून 2016 (Updated: 6 जून 2016, 04:03 AM IST) कॉमेंट्स
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दादरी दादरी दादरी!

गाय गाय गाय!

भीड़ भीड़ गुस्सा!

गुस्सा गुस्सा गुस्सा!

उत्तर प्रदेश में चुनाव करीब आ रहे हैं और ये आवाज़ें फिर सर उठाने लगी हैं. मोहम्मद अखलाक के घर में मटन नहीं, बीफ था. ऐसी रिपोर्ट आने के बाद दादरी के बिसाहड़ा गांव में तनाव बढ़ गया है. अखलाक के परिवार के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बनाया जा रहा है. धमकियां दी जा रही हैं.
अखलाक की हत्या के आरोपियों के हमदर्दों ने सोमवार को गांव में सभा की. इसके बाद प्रशासन को चेतावनी दी गई. कहा गया कि 20 दिन के अंदर अखलाक की फैमिली के खिलाफ गोमांस रखने का केस हो, वरना भीड़ का गुस्सा हम नहीं रोक पाएंगे.
इसमें दो बातें अंडरलाइन करने वाली हैं. ये सभा गांव के उसी मंदिर में हुई, जिससे कथित तौर पर घटना के दिन इखलाक का घर घेरने का ऐलान किया गया था. दूसरी, इस सभा में बीजेपी नेता संजय राणा भी मौजूद थे. वही संजय राणा जिनका बेटा अखलाक मर्डर केस के आरोपियों में शामिल है. वही संजय राणा जो पिछले साल 28 सितंबर को हुई इस घटना के बाद अखलाक को अपना बड़ा भाई बता रहे थे. कह रहे थे कि अखलाक की बेटी, उनकी बेटी की तरह है. उसे न्याय मिलना चाहिए.
https://youtu.be/dH3ZBr-hCXA?t=15s
अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, सोमवार को उसी मंदिर में गांव के कुछ लोग जमा हुए, ताकि अखलाक के परिवार पर गोहत्या और बीफ रखने के मामले में कार्रवाई का दबाव प्रशासन पर बनाया जा सके.
28 सितंबर 2015 को इसी मंदिर से ऐलान किया गया था कि मोहम्मद अखलाक के घर में गोमांस है और उसके घर का घेराव किया जाना चाहिए. इसके बाद लाठी-डंडे और सरिया लेकर भीड़ अखलाक के घर पहुंची थी. भीड़ 50 साल के अखलाक को घर से निकाला और पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी. उसके बेटे को भी पीट-पीटकर घायल कर दिया गया.
मथुरा की फॉरेन्सिक लैब ने 6 दिन पहले ही रिपोर्ट दी थी कि अखलाक के घर से मिला मांस 'काऊ फैमिली' के किसी जानवर (गाय या बछड़ा) का था. इसके बाद बिसाहड़ा के कुछ लोग पुलिस थाने पहुंचे थे और अखलाक के परिवार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी.
संजय राणा ने सोमवार की सभा में कहा, 'गाय हमारी आस्था का मुद्दा है. हम शांतिप्रिय लोग हैं और न्याय के सिस्टम में यकीन करते हैं. हालांकि, 20 दिनों के अंदर सरकार को सारे विकल्पों पर विचार करना चाहिए और हमारी मांगें सुननी चाहिए. वरना, मेरे गांव में जनता के गुस्से को कोई नहीं रोक पाएगा.'
इस बयान में 'शांतिप्रिय' और 'न्याय का सिस्टम' भूमिका के तौर पर है और 'वरना' के बाद असल बात कही गई है. गांव के प्रधान रह चुके बाग सिंह ने भी ऐसी ही बात कही. उन्होंने कहा, 'अगर सरकार ने हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया और गोहत्या का केस दर्ज नहीं हुआ, तो हम कड़ा एक्शन लेंगे.'
घटना के बाद मोहम्मद अखलाक के घर का मातम. Photo: Reuters
घटना के बाद मोहम्मद अखलाक के घर का मातम. Photo: Reuters
संसद में बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने यह मुद्दा उठाया था, यह याद दिलाते हुए एक और पूर्व प्रधान प्रताप सिंह सिसोदिया ने आत्मदाह की धमकी दी. उन्होंने कहा, 'अगर निर्दोष बच्चों (आरोपियों) के साथ न्याय नहीं हुआ तो हम महापंचायत बुलाएंगे. खुद को आग भी लगा लेंगे.'
इस सभा में 18 आरोपियों के परिवार और शिवसेना के लोकल मेंबर्स भी शामिल थे. खुद को शिवसेना की वेस्ट यूपी विंग का अध्यक्ष बताने वाले महेश कुमार आहूजा ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की. उन्होंने अखलाक की 'मौत' की नई थ्योरी दी. कहा कि अखलाक काफी बीमार रहता था, उसकी मौत की वजह ये भी हो सकती है.
उन्होंने कहा, 'समझ नहीं आता कि अखलाक का परिवार और चीफ मिनिस्टर सीबीआई जांच क्यों नहीं चाहते. अखलाक को यहां के लोगों ने नहीं मारा. सीबीआई जांच से साबित हो जाएगा कि वह बीमार था और अपने आप मर गया.'
आरोपियों के परिवार और हमदर्द सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं तो उसकी वजह है. अभी जांच यूपी की सपा सरकार के अंडर आने वाली यूपी पुलिस कर रही है. सीबीआई बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के अंडर आती है.
यह सभा सुरक्षा के भारी इंतजामों के बीच हुई. जिला लेवल के सीनियर पुलिस अफसर बिसाहड़ा पहुंच रहे हैं ताकि कोई अप्रिय घटना न होने पाए. पंचायत चुनावों के बाद से ही इलाके में धारा 144 लागू है, लेकिन धार्मिक जगहों पर लोगों के जुटने पर पाबंदी नहीं है.
सभा में ओम महेश भी पहुंचे थे, जिनके बेटे होमगार्ड कांस्टेबल विनय को मामले में आरोपी बनाया गया और बाद में क्लीनचिट दे दी गई. ओम महेश ने कहा, '28 सितंबर को जो कुछ हुआ उससे हम भी दुखी हैं. एक आदमी मर गया. ऐसा नहीं होना चाहिए था. लेकिन प्रशासन ने पक्षपात और कायरता से एक्शन लिया है. पुलिस आधी रात को हमारे घर में घुसी, हमारे सोते हुए बच्चों को उठाया और उन्हें बिना जांच के जेल भेज दिया. महीनों तक हम पर क्या गुजरी है. मेरा बेटा पुलिस के साथ ही काम करता था, वो ड्यूटी पर था जब उसे उठा लिया गया और 6 दिन तक पूछताछ की. डीएम, एसएसपी सबने उससे पूछताछ की. फिर उसे क्लीन चिट देकर 6 दिन बाद भेज दिया. लेकिन इस पर भी बवाल हो गया कि ये लड़का कैसे छूट गया.'
महेश ने कहा, 'मैं मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि क्या हिंदू उनके लिए वोट नहीं करते? क्या सिर्फ मुस्लिम उनके लिए वोट करते हैं? रिपोर्ट से साफ हो गया है कि उस आदमी (अखलाक) ने गोहत्या की थी. उनके खिलाफ केस क्यों नहीं होना चाहिए? उनका परिवार जेल में क्यों नहीं होना चाहिए, जब हमारे बच्चे जेल में हैं? आप आरोपी को क्यों बचा रहे हैं?'

आप आरोपी को क्यों बचा रहे हैं?

ये सवाल हर पक्ष के लोग खुद से पूछ लें. हर पक्ष के लोग.

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