हरियाणा के किसानों ने 22 दिसंबर को नए कृषि कानूनों के विरोध में अंबाला में प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को काले झंडे दिखाए थे. अब इस मामले में हरियाणा पुलिस ने घटना में शामिल 13 किसानों पर हत्या की कोशिश और दंगा करने की धाराओं में केस दर्ज किया है.
अंबाला के डीएसपी मदन लाल ने आजतक से बात करते हुए बताया कि 22 दिसंबर की देर रात 13 किसानों के खिलाफ़ अंबाला में ही मामला दर्ज किया गया है. आईपीसी की 9 धाराओं के तहत केस फाइल किया गया है. इनमें 307 (हत्या की कोशिश), 147 (दंगे की कोशिश), 506 (आपराधिक धमकी), 148 (हथियार से मारपीट), 322 (जानबूझ कर चोट पहुंचाना), 149 (अवैध सभा) और सेक्शन 353 आदि शामिल हैं.
पुलिस का दावा है कि 22 दिसंबर की इस घटना में कुछ किसानों ने सीएम के काफिले की ओर भी बढ़ने की कोशिश की थी. कुछ वक्त के लिए रास्ता भी रोक दिया था. कुछ प्रदर्शनकारियों ने तो वाहनों पर लाठियां भी बरसाई थीं.
किसानों का क्या कहना है?
भारतीय किसान यूनियन के अंबाला जिलाध्यक्ष मलकीत सिंह ने किसानों पर FIR के लिए खट्टर सरकार की आलोचना की है. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि किसान सिर्फ विरोध-प्रदर्शन करने गए थे, किसी को मारने नहीं. जब भी किसान आंदोलन को लेकर कोई बात आती है तो पुलिस हमारे खिलाफ़ हत्या की कोशिश से कम के आरोप नहीं लगाती. किसान आंदोलन को लेकर अधिकारियों द्वारा बंद की गई सड़क को खोलने के लिए भी हत्या के प्रयास के आरोप लगा दिए जाते हैं.
मलकीत सिंह ने आगे कहा कि सरकार इस तरह के हथकंडों से किसानों की आवाज़ को नहीं दबा सकती. कभी वे किसानों को कांग्रेसी बता देते हैं, तो कभी किसी और विपक्षी पार्टी का बता देते हैं. हम किसी पार्टी से नहीं जुड़े हैं. हम सिर्फ किसान हैं. हम गांवों में ऐसे बोर्ड लगा रहे हैं, जिनमें लिखा गया है कि किसानों की हित की बात करने वाले नेताओं को ही गांव में एंट्री मिलेगी. किसान विरोधी नेताओं को गांव में प्रवेश की इज़ाज़त नहीं दी जाएगी.
कांग्रेस पार्टी का क्या कहना है?
किसानों पर केस दर्ज किए जाने को लेकर कांग्रेस पार्टी ने विरोध जताया है. हरियाणा कांग्रेस की प्रमुख कुमारी शैलजा ने कहा कि खट्टर सरकार किसानों की आवाज को लगातार दबा रही है. सरकार ने किसानों के खिलाफ मामला दर्ज करके सारी हदें पार कर दी हैं. किसानों के खिलाफ हत्या की कोशिश जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज करने से सरकार की हताशा का ही पता चलता है.
हुआ क्या था?
22 दिसंबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर निकाय चुनावों के लिए पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में जनसभा को संबोधित करने के लिए अंबाला आए थे. इसी दौरान किसानों ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानून का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री के काफिले को रोककर काले झंडे दिखाए थे. सरकार के खिलाफ नारेबाजी की थी. आरोप है कि लाठियां भी चलाई गई थीं.