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नागालैंड में BJP को पूर्ण-बहुमत नहीं, लेकिन राम माधव सरकार बनवाने के लिए रवाना

जानिए नागालैंड में बीजेपी की बढ़त की बड़ी वजह.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोेदी से हाथ मिलाते राम माधव (फाइल फोटो)
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3 मार्च 2018 (Updated: 3 मार्च 2018, 13:24 IST)
Updated: 3 मार्च 2018 13:24 IST
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पूर्वोत्तर के तीन राज्यों- नागालैंड, मेघालय और त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव के नतीजे साफ हो गए हैं. मेघालय और त्रिपुरा के नतीजे आप यहां क्लिक करके
जान सकते हैं. इस आर्टिकल में जानेंगे नागालैंड का सियासी हाल:

#. नागालैंड में कुल सीटें

कुल विधानसभा सीटें: 60 (11 जिले)

#. किस पार्टी ने कितनी सीटें जीतीं


भारतीय जनता पार्टी (BJP): 9 सीट (14.7% वोट) नागा पीपल्स फ्रंट (NPF): 24 सीट (39.1% वोट) जनता दल यूनाइटेड (JDU): 0 सीट (4.6% वोट) नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP): 1 सीट (7% वोट) नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP): 11 सीट (25.1% वोट) कांग्रेस (INC): 0 सीट (2.1% वोट) निर्दलीय (IND): 1 सीट (4.4% वोट) नोटा (NOTA): 0.6%

* खबर लिखे जाने तक


दिल्ली में जीत का जश्न मनातीं बीजेपी कार्यकर्ता
दिल्ली में जीत का जश्न मनातीं बीजेपी कार्यकर्ता

#. पिछले यानी 2013 के चुनाव में क्या हाल था

भारतीय जनता पार्टी (BJP): 1 सीट (1.75%) नागा पीपल्स फ्रंट (NPF): 38 सीटें (47.04%) जनता दल यूनाइटेड (JDU): 1 सीट (1.65%) कांग्रेस (INC): 8 सीटें (24.89%) नेशनल कांग्रेस पार्टी (NCP): 4 सीटें (6.05%) निर्दलीय: 7 सीटें (17.75%)

कौन किसके साथ गठबंधन में?

2018 विधानसभा चुनाव में नागालैंड में दो सबसे बड़े गठबंधन BJP+NDPP और NPF+अन्य पार्टियां के रहे.

बीजेपी केंद्र में सत्ता में है. नागालैंड में वो 2003 से नेशनल पीपल्स फ्रंट (NPF) के साथ गठबंधन में रहते हुए 2018 तक सत्ता में रही. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने NPF से गठबंधन तोड़ते हुए नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) के साथ गठबंधन कर लिया. NDPP के मुखिया नेफियो रियो हैं, जिन्होंने 2003 से 2014 तक NPF का नेतृत्व किया. 2017 में NPF के नए सर्वे-सर्वाओं ने रियो को पार्टी-विरोधी गतिविधियों के आरोप में सस्पेंड कर दिया. फिर रियो ने अपनी पार्टी बनाई और बीजेपी उनके साथ हो गई. गठबंधन के बाद बीजेपी 20 सीटों पर चुनाव लड़ी, जबकि NDPP 40 सीटों पर.


प्रधानमंत्री मोदी के साथ रियो
प्रधानमंत्री मोदी के साथ रियो

क्या हैं बढ़त और पिछड़ने के फैक्टर

पहली और मजबूत बात ये कि नागालैंड में कुछ भी अप्रत्याशित नहीं घटा है. बीजेपी को बढ़त मिली है, उसकी पुरानी सहयोगी पार्टी NPF कुछ पिछड़ी है और NDPP का तो ये पहला चुनाव है. पार्टी के आधार पर बात करें, तो:

#. बीजेपी की इसलिए तारीफ होनी चाहिए कि उसने अपने वोट 1% से बढ़ाकर 14% किए. सीटें भी 1 से बढ़ाकर दहाई के आंकड़े तक पहुंचाईं. इसकी एक वजह उसका केंद्र की सत्ता में होना भी है. फिर उसने अपनी पार्टी मशीनरी का इस्तेमाल करते हुए आक्रामक इलेक्शन कैंपेन किया. लेकिन सूबे में उसकी सियासी हालत में कोई खास फर्क नहीं है. सत्ता में आने के लिए वो पहले भी स्थानीय पार्टी पर निर्भर थी और इस बार भी ऐसा ही है. देखना ये है कि वो अपने नए सहयोगी NDPP के साथ सरकार बनाती है या पुराने सहयोगी NPF के पास वापस लौटती है.


चुनाव नतीजे आने के बाद बीजेपी हेडक्वॉर्टर पहुंचे नरेंद्र मोदी
चुनाव नतीजे आने के बाद बीजेपी हेडक्वॉर्टर पहुंचे नरेंद्र मोदी

#. NPF ने वोट भी खोए हैं और सीटें भी. पिछले चुनाव में उसे 38 सीटें और 47.04% वोट मिले थे. सीटें इस बार बहुमत के आंकड़े से नीचे हो गईं और वोट प्रतिशत भी घटा है. इसका खामियाज़ा ये हुआ कि अब उसे अपने सहयोगी पार्टियों के साथ भी सरकार बनाने में दिक्कत होगी. ज़ाहिर है, उसकी सीटें और वोट बीजेपी और उसके नए सहयोगी ने काटे हैं.

#. NDPP भी तारीफ की हकदार है. पार्टी में सबसे बड़ा नाम नेफियो रियो का है, जो पहले NPF में थे. 2003 में बीजेपी से गठबंधन के अगुवा भी वही थे. NPF से सस्पेंड किए जाने पर उन्होंने अपनी पार्टी बना ली. इस पार्टी के लगभग NPF जितनी सीटें जीतने के पीछे बड़ा फैक्टर रियो ही हैं. वो 2003 से 2014 तक सीएम रहे. ज़ाहिर है उनका अपना वोट बैंक होगा, जिसे उन्होंने अपनी पार्टी से कैश कराया. पर वो सत्ता में आएंगे या नहीं, ये बीजेपी पर निर्भर करेगा.


NPF के मंच पर नेफियो रियो
NPF के मंच पर नेफियो रियो

क्या रहे नागालैंड के मुद्दे

#1. कनेक्टिविटी नागालैंड में लोगों की सबसे बड़ी परेशानी खराब सड़कें हैं. बाकी राज्य की हालत छोड़ दीजिए, यहां तक कि नेशनल हाइवे 29 की हालत भी खस्ता है. राजधानी कोहिमा को राज्य के सबसे बड़े शहर दीमापुर से जोड़ने वाले इस हाइवे पर भयंकर धूल रहती है. इसके आसपास के गांव के लोग बताते हैं कि ऊपर से देखने पर हरियाली दिखती है, सब खूबसूरत लगता है, लेकिन खराब सड़कों से उन्हें दिक्कत होती है. जो लोग टूरिज़्म पर निर्भर हैं, वो बहुत घाटे में रहते हैं.

#2. बिजली नॉर्थ ईस्ट के दूसरे राज्यों की तरह ही बिजली नागालैंड की एक बड़ी समस्या है. इस बार चुनाव प्रचार में सभी पार्टियों ने जनता को बिजली के वादे से लुभाने की कोशिश की. खुद पीएम मोदी ने तुनसांग की अपनी रैली में बिजली के मुद्दे का ज़िक्र किया था.


नागालैंड में चुनावी रैली के दौरान नरेंद्र मोदी
नागालैंड में चुनावी रैली के दौरान नरेंद्र मोदी

#3. खेती-किसानी नागालैंड के लोग मुख्यत: खेती और टूरिज़्म पर निर्भर हैं. यहां चावल, मक्का, तम्बाकू, दालें, गन्ना और आलू समेत फाइबर वाली फसलें होती हैं. नेताओं ने इस बार किसानों से ढेर सारे वादे किए, जिनमें ऑर्गेनिक खेती भी शामिल है.

अब आगे क्या

जो पार्टी गठबंधन के अपने साथियों के साथ 15 साल से सत्ता में थी, चुनाव से पहले उसका साथ छोड़कर बीजेपी ने बड़ा दांव खेला था. नतीजे बताते हैं कि बीजेपी का ये दांव सही रहा. उसका सत्ता में आना भले अभी साफ न हो, लेकिन उसकी खुद की सीटें और वोट प्रतिशत बढ़ा है. आगे के सियासी घटनाक्रम को संभालने के लिए बीजेपी ने सेक्रेटरी राम माधव को नागालैंड भेज दिया है.


राम माधव
राम माधव

NDPP को अगर बीजेपी का साथ मिल जाता है, तब भी उसे बहुमत हासिल करने के लिए कुछ और विधायकों की ज़रूरत होगी. ज़ाहिर है, फिर दूसरी पार्टी के और निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में करने की कोशिश की जाएगी. NPF भी ऐसी ही स्थिति में होगी. देखना रोचक होगी कि बीजेपी किस तरफ झुकती है.




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