गोवा पर पुर्तगालियों के शासन की शुरुआत हुई साल 1510 में. जब अल्फोंसो डीऐल्बकर्की नाम के एक पुर्तगाली गवर्नर ने बीजापुर की आदिलशाही से गोवा को जीत लिया.इसके लगभग 270 साल बाद पहली बार गोवा की आजादी की पहली कोशिश हुई. इस घटना को पिंटोकॉन्सपिरेसी के नाम से जाना जाता है. कंडोलिम के एक गांव में पिंटू परिवार रहता था.इस परिवार के लोग पादरी नियुक्त होते थे. लेकिन पुर्तगालियों के शासन में इन्हेंभेदभाव का सामना करना पड़ता था. चर्च के ऊच पदों पर स्थानीय लोगों के बजायपुर्तगालियों और यूरोपियन लोगों को तरजीह दी जाती थी. पिंटो परिवार ने इसके खिलाफआवाज उठाई. लेकिन जब इनकी नहीं सुनी गई तो पिंटो परिवार ने मैसूर के टीपू सुल्तानसे हाथ मिला लिया.योजना के अनुसार इन लोगों को पुर्तगाली सैनिकों के खाने में जहर मिलाना था. जिसकेबाद टीपू की फौज गोवा पर हमला कर उस पर कब्ज़ा कर लेती. लेकिन योजना शुरू होने सेपहले ही फेल हो गई. पिंटो परिवार ने एक स्थानीय बेकर से सेना की ब्रेड में ज़हरमिलाने को कहा, लेकिन उसने पुर्तगालियों के सामने इस षड्यंत्र का भांडा फोड़ दिया.पुर्तगालियों ने नजीर पेश करने के लिए 15 लोगों को सरेआम मौत की सजा दे दी.