पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत. यूं जाना जाता है उन बेज़ुबान आवाज़ों के लिए जोदबा दी जाती हैं. फ़ौजी तानाशाहों के एक इशारे पर. बलूचिस्तान की राजधानी हैक्वेटा. साल 2000, अक्टूबर के महीने में किसी रोज़ यहां रहने वाले एक क़बीलाई सरदारके घर एक दस्तक हुई. बाहर पुलिस थी. बाहर खड़े लोग सोच रहे थे, आज किसकी बारी है.कुछ देर में अंदर से एक ताबूत निकला. मौत रोज का मसला है, लेकिन आज ये ताबूतकिसलिए. सवाल सबके होंटों पर था. और जवाब किसी के पास नहीं. ताबूत क्वेटा से कराचीपहुंचा. और कुछ ही दिनों में ताबूत की खबर दुनिया भर में फैली और ईरान,अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में तनातनी शुरू हो गई. सब उस ताबूत पर अपना हक़ जतारहे थे. लेकिन क्यों? ऐसा क्या था उस ताबूत में. ताबूत के अंदर थी एक लड़की.पट्टियों में जकड़ी हुई. जिसके सीने पर लिखा था. "मैं महान जरसीज की बेटी हूं. मैं हूं रोडुगून. मैं हूं"जरसीज कौन. लड़की कौन. और मसला क्या. बताएंगे आज के एपिसोड में