होश आया तो ख़ज़ान सिंह मैदान में औंधे पड़े थे. लेकिन अगले कुछ सेकेण्ड तक उन्हें यादन आया कि वो कहां हैं. तभी सर से बाएं तरफ दर्द उठा. अब सब याद आने लगा था. कुछ देरपहले चली गोली सीधे खजान सिंह के सर पर लगी लेकिन हेलमेट ने उनकी जान बचा ली.उन्होंने नजर उठाकर देखा, मकसद सामने था. इच्छोगिल नहर का पुल. खजान सिंह के दिमागमें भारत-पाकिस्तान बॉर्डर का पूरा नक्शा उभर आया. 3 जाट बटालियन (3 Jat) के उनकेसाथी एक मशीन गन से लहूलुहान हो रहे थे. जिसके पीछे पाकिस्तानी फौज का एक कमांडरनिशाना लगाए हुए था. ख़ज़ान सिंह ने अपनी बन्दूक निकाली और उसे वहीं ढेर कर दिया.