नेपाल की राजशाही में एक प्रथा हुआ करती थी. राजा की मृत्यु पर 11 वें दिन एक ब्राह्मण को आमिष भोजन कराया जाता. इसके बाद ब्राह्मण राजा का भेष बनाकर ब्राह्मण हाथी या घोड़े पर बैठता और काठमांडू से बाहर चला जाता. इस प्रथा को कट्टो कहते थे. माना जाता था कि इस प्रथा के बाद ही राजा की आत्मा देश छोड़ पाती थी. जून 2001 में एक ही हफ्ते में दो बार इस प्रथा को पूरा किया गया. राजा बीरेंद्र शाह और उनके बाद राजा दीपेंद्र शाह की एक ही हफ्ते में मृत्यु हो गई थी. अब सवाल ये कि दो-दो महाराजा कैसे? देखिए वीडियो.