चंबल और डकैतों का पुराना रिश्ता है. एक और पुराना रिश्ता है, फ़िल्मों और डकैतोंका. पब्लिक से पूछा जाए तो दो नाम ज़रूर आएंगे. एक शेखर कपूर की, ‘द बैंडिट क्वीन’और दूसरी तिग्मांशु धूलिया की ‘पान सिंह तोमर’. पान सिंह तोमर में इरफ़ान एक जगहबोलते हैं, “बीहड़ में बागी होते हैं, डकैत मिलते हैं पार्लियामेंट में.” दोनोंफ़िल्मों का ये अनजाना नाता है कि फूलन देवी बाग़ी बनी, डकैत बनी और फिरपार्लियामेंट भी पहुंची. फिर लगा कि ज़िंदगी सरस हो गई है लेकिन घर के गेट पर हीफूलन की गोली मार कर हत्या कर दी गई. एक कहानी फूलन देवी की है. जिन पर एक फ़िल्मबन चुकी है. एक और कहानी है उस आदमी की जिस पर फूलन की हत्या का इल्ज़ाम लगा, सजाहुई. और वो कहानी भी कम फिल्मी नहीं है. इसमें शामिल है बदले के इरादे से की गईहत्या. फिल्मी स्टाइल में जेल से फ़रार होना. और फिर कहानी 1000 किलोमीटर का सफ़रकर पहुँचती है 1000 साल पीछे. एक राजा की अस्थियों की बात आती है. और जेल से फ़रारहुआ आदमी पब्लिक के लिए रातों रात हीरो बन जाता है. देखिए वीडियो.