बिना मालिक के घूमने वाला कुत्ता समाज के लिए ख़तरा है और उनका झुंड उसके अस्तित्वके लिए ख़तरा है... अगर हम शहरों या गांवों में कुत्तों को सभ्य तरीके से रखनाचाहते हैं, तो किसी भी कुत्ते को भटकने नहीं देना चाहिए. क्या हम इन आवारा कुत्तोंकी व्यक्तिगत देखभाल कर सकते हैं? क्या हम उनके लिए पिंजरापोल बना सकते हैं? अगर येदोनों ही चीज़ें असंभव हैं, तो मुझे लगता है कि उन्हें मार डालने के अलावा कोईविकल्प नहीं है.” ये शब्द हैं मोहनदास करमचंद गांधी के. आज सुप्रीम कोर्ट आवाराकुत्तों पर सख़्ती से पेश आ रही है. लेकिन कुत्ते और इंसान के म्यूच्यूअल इतिहास मेंये पहली मर्तबा नहीं है. गांधी के इस विचार से कुछ लोग सहमत होंगे, कुछ असहमत.इतिहास में ऐसे विचारों पर, वाकयों पर बात करेंगे. क्या थे इस मुद्दे पर गांधी जीके विचार, जानने के लिए तारीख का ये एपिसोड.