पाइथागोरस याद हैं आपको. वही a स्क्वायर + बी स्क्वायर = c स्क्वायर बताने वाले. गणितज्ञ तो थे ही. लेकिन दार्शनिक भी थे. तो हुआ यूं कि एक रोज़ पायथागोरस ने देखा कि एक कुत्ते के पिल्ले को कोई मार रहा है. पाइथागोरस ने विरोध किया. लोगों ने कहा - ये काटता है सबको. तब पाइथागोरस ने कहा. ये आम कुत्ता नहीं है. इसकी चीख सुनकर मुझे अहसास हुआ कि इसमें मेरे दोस्त की आत्मा है. आत्मा या सोल या रूह. कोई चीज होती है इंसान के अंदर जो मरने के बाद निकल जाती है. ये विश्वास दुनियाभर में रहा है. तमाम सभ्यताओं में. हजारों सालों से. हिन्दू धर्म में माना जाता है कि आत्मा बार बार पुनर्जन्म लेती है. जबकि अब्राहमिक धर्म मानते हैं कि आत्मा मरने के बाद सीधे स्वर्ग या नरक में जाती है. आत्मा हालांकि है ये क्या, ये सवाल मुश्किल है?चूंकि मुश्किल है इसलिए अलग अलग तरीके से इसके जवाब देने की कोशिश की गई है. आज आपको सुनाएंगे कहानी उस वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट की. जिसमें आत्मा का भार तोला गया. कैसे हुआ था ये एक्सपेरिमेंट? किसने किया और क्यों? और क्या रिजल्ट निकला एक्सपेरिमेंट का? जानेंगे आज तरीख के एपिसोड में.