साल 1983. बिहार विधानसभा में काम करने वाली एक लड़की की मौत होती है. और चार घंटेके अंदर चुपचाप उसके शरीर को ले जाकर दफना दिया जाता है. ये खबर एक अखबार के हाथलगती है. और फिर हरकत में आते हैं एक IPS ऑफिसर. तफ्तीश जैसे-जैसे आगे बढ़ती है,एक-एक कर परतें खुलती हैं. लड़की को दफनाने की जल्दबाज़ी यूं ही नहीं की गई थी. उसकीमौत के बाद दो-दो रिपोर्ट तैयार हुई थीं. दोनों में मौत की वजह अलग-अलग. आगे तफ्तीशमें कुछ बड़े नाम जुड़ते हैं. पता चलता है कि लड़की के रसूख वाले लोगों से संबंध थे.पुलिस पर दबाव था, मामले को निपटाने का. लेकिन जांच अफसर अड़ जाते हैं. लड़की के शरीरको निकालकर पोस्ट मॉर्टम किया जाता है. जो रिपोर्ट आती है, उससे बिहार में हड़कंप मचजाता है. फिर शुरू होता है राजनीति का असली खेल. सत्ता के हाथ न्याय का गला किस कदरदबोच लेते हैं, ये कहानी उसकी एक बानगी है.