1997 के साल में एक ऐसा ही सवाल उठा जब दिल्ली के एक थिएटर में आग लगी. 59 लोग मारेगए. मामला कोर्ट पहुंचा तो अभियुक्त एक दूसरे पर ज़िम्मेदारी थोपने लगे. पूरे 20साल लग गए मामले के निपटारे में. और सवाल आज भी ज्यों का त्यों बना हुआ है कि दोषतो साबित हो गया लेकिन जो सजा दी गई वो जुर्म के मुताबिक़ थी या नहीं? वीडियोदेखिए.