भारत आजाद होने वाला था. कुछ दूरदर्शी नीति निर्माताओं को अहसास हुआ कि एक नए आजादहुए देश को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी में दीक्षित लोगों की जरुरत पड़ेगी. एक स्कालरशिपप्रोग्राम के तहत कुछ लोगों को अमेरिका ब्रिटेन जाकर सीखने का मौका मिला. उनमें सेएक वो युवक भी था. लाहौर से शुरू हुई यात्रा अब अमेरिकी की ओर अग्रसर थी. जिसकाअगला पड़ाव अमेरिका का कैलिफोर्निया शहर था. युवक कैलिफ़ोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफटेक्नोलॉजी में एडमिशन लेना चाहता था. लेकिन कैलटेक ने एडमिशन देने से इंकार करदिया. इसके बाद उस युवक ने मिनेसोटा विश्वविद्यालय में मास्टर्स ऑफ एयरोनॉटिकलइंजीनियरिंग में दाखिला लिया. 1947 में उसे कैलटेक जाने का मौका मिला. कैलटेक मेंउस दौर में एक टीचर हुआ करते थे. हान्स लीपमैन. लीपमैन का इंजीनियरिंग की दुनियामें बड़ा नाम था. लीपमैन को जैसे ही पता चला कि एक भारतीय युवक उनसे मिलना चाहता है,उन्होंने मुलाक़ात से इंकार कर दिया. क्या थी वैज्ञानिक सतीश धवन की कहानी? देखिएवीडियो.