उपराष्ट्रपति निवास छोड़ते ही जगदीप धनखड़ रहने के लिए अभय चौटाला के फार्म हाउस क्यों चले गए?
जगदीप धनखड़ और चौटाला परिवार का संबंध लगभग 40 साल पुराना है. साल 1989 में हरियाणा के सबसे बड़े जाट नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री देवीलाल ने राजस्थान के इस युवा वकील को एक संभावित नेता के रूप में पहचाना था. जाट समुदाय से आने वाले धनखड़ भी हमेशा देवीलाल को अपना ‘गुरु’ कहा करते थे.

जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति का आधिकारिक निवास छोड़ा दिया है. सरकार की तरफ से उन्हें एक बंगला आवंटित हुआ है, लेकिन ये अभी बनकर तैयार नहीं है. इसे बनने में अभी करीब तीन महीने का समय लगेगा. तब तक जगदीप धनखड़ ने रहने के लिए दिल्ली के छतरपुर एन्क्लेव में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) प्रमुख अभय सिंह चौटाला के फार्म हाउस को चुना है (Jagdeep Dhankhar Abhay Chautala farmhouse).
धनखड़-चौटाला परिवार 40 साल से साथजगदीप धनखड़ और चौटाला परिवार का संबंध लगभग 40 साल पुराना है. साल 1989 में हरियाणा के सबसे बड़े जाट नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री देवीलाल ने राजस्थान के इस युवा वकील को एक संभावित नेता के रूप में पहचाना था. जाट समुदाय से आने वाले धनखड़ भी हमेशा देवीलाल को अपना ‘गुरु’ कहा करते थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 25 सितंबर 1989 को धनखड़ ने देवीलाल का ध्यान आकर्षित किया था. देवीलाल के जन्मदिन के दिन आयोजित विपक्षी रैली के लिए उन्होंने राजस्थान से 500 गाड़ियां जुगाड़ी थीं. ये रैली इंडिया गेट के पास बोट क्लब में आयोजित की गई थी.
देवीलाल ने चुनाव लड़वायादेवीलाल उस समय राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र की कांग्रेस सरकार को चुनौती देने के लिए बने विपक्षी गठबंधन के प्रमुख नेताओं में से एक थे. बोट क्लब रैली की सफलता उस दिशा में एक बड़ा कदम था. इसके बाद बारी आई 1989 के लोकसभा चुनावों की. जिसमें विपक्षी गठबंधन जनता दल के रूप में लड़ा था. ये चुनाव धनखड़ के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुए.
चुनाव में देवीलाल ने धनखड़ को झुंझुनू लोकसभा सीट से जनता दल का टिकट दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने उनके लिए सक्रिय रूप से प्रचार भी किया. इससे न केवल दोनों के बीच का रिश्ता मजबूत हुआ, बल्कि धनखड़ को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया. कांग्रेस की जगह जनता दल ने सरकार बनाई, जिसमें देवीलाल उप-प्रधानमंत्री बने. उन्होंने धनखड़ को केंद्रीय राज्य मंत्री (संसदीय कार्य) के तौर पर जगह दी.
जहां देवीलाल, वहां धनखड़हालांकि, सरकार बनने के बाद देवीलाल और पीएम वीपी सिंह के बीच संबंध खराब हो गए. 1990 में जब वीपी सिंह ने देवीलाल को बर्खास्त किया तो धनखड़ ही एकमात्र मंत्री थे जिन्होंने जाट नेता के समर्थन में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. जब जनता दल गठबंधन टूटा, तो वीपी सिंह की जगह चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने. इसी के साथ देवीलाल उप-प्रधानमंत्री और धनखड़ संसदीय कार्य राज्य मंत्री के रूप में वापस आ गए.
ये सरकार भी ज्यादा दिन नहीं चली सकी, और देवीलाल ने INLD की स्थापना कर दी. पार्टी के बनने के कुछ ही समय बाद धनखड़ ने जनता दल छोड़ दिया. साल 1991 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर अजमेर से चुनाव लड़ा. लेकिन वो अपनी सीट जीतने में असफल रहे. यही वो समय था जब धनखड़ राजस्थान की राजनीति में आ गए. 1993 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने किशनगढ़ से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, और विधायक बने. इसी चुनाव में देवीलाल के दूसरे पोते अजय सिंह चौटाला ने INLD के टिकट पर राजस्थान की नोहर सीट से जीत हासिल की थी.
ओम प्रकाश का निधन, धनखड़ के लिए क्षति21 दिसंबर, 2024 को INLD के तत्कालीन मुखिया और देवीलाल के पुत्र (अभय और अजय के पिता) ओम प्रकाश चौटाला का निधन हुआ. इस दिन राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले पहले लोगों में जगदीप धनखड़ का नाम शामिल था. रिपोर्ट के मुताबिक धनखड़ ने उस समय कहा था,
"पांच दिन पहले, मैंने चौटाला साहब (ओम प्रकाश चौटाला) से बात की थी और वो मेरे स्वास्थ्य के बारे में पूछ रहे थे. उन्हें मेरी ज्यादा चिंता थी... उनका निधन मेरे लिए बहुत बड़ी क्षति है... किसानों की उन्नति और गांवों का विकास चौटाला की प्राथमिकता थी."
मार्च 2025 में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धनखड़ ने देवीलाल के बारे में कहा था,
इस्तीफे के लिए किया मजबूर“उन्होंने मुझे “pleader” से “P” हटाने और “leader” बनने के लिए प्रेरित किया. जिससे मुझे राजनीति में आने की प्रेरणा मिली.”
संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन (21 जुलाई) जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद अभय सिंह चौटाला ने इसे एक षड्यंत्र करार दिया था. उन्होंने दावा किया कि धनखड़ को पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा इस्तीफा देने के लिए ‘मजबूर किया गया’ था. X पर एक पोस्ट में अभय चौटाला ने किसानों से किए गए वादों को पूरा न करने के लिए मोदी सरकार को घेरा और कहा,
"भाजपा ऐसे व्यक्ति को स्वीकार नहीं कर सकती जो किसानों और उनके कल्याण की बात करे. चौधरी देवीलाल से राजनीति सीखने वाले धनखड़ जी सिर्फ किसानों के कल्याण की बात करते हैं. उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं दिया है, बल्कि मोदी-शाह नेतृत्व ने उन्हें इस्तीफा दिलवाया है."
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए अभय ने कहा,
अभय ने कॉल कर फार्म हाउस आने को कहा"हम बचपन से ही धनखड़ जी से मिलते रहे हैं. वो हमारे परिवार के साथ हर दुख-सुख में रहे हैं. मैं उनसे नियमित रूप से मिलता रहता हूं, और उनके उपराष्ट्रपति बनने के बाद भी ये सिलसिला जारी रहा."
फार्म हाउस में धनखड़ की शिफ्टिंग को लेकर अभय ने बताया कि उन्होंने ही पूर्व उपराष्ट्रपति को कॉल कर अपने फार्म हाउस आने की बात कही थी. अभय ने बताया,
“जब मुझे पता चला कि धनखड़ जी रहने के लिए घर ढूंढ रहे हैं और उनका अपना घर तैयार नहीं है, तो मैंने उन्हें फोन किया और हमारे घर पर रहने के लिए कहा. ये उस व्यक्ति के प्रति एक पारिवारिक सम्मान है जिसे हम परिवार के एक बड़े सदस्य के रूप में देखते हैं.”
अभय ने बताया कि उन्होंने धनखड़ से कहा कि उन्हें कोई वैकल्पिक आवास ढूंढने की जरूरत नहीं है, ये उनका अपना घर है और उन्हें यहां आना चाहिए. जिसे धनखड़ ने विनम्रतापूर्वक स्वीकार कर लिया.
बता दें कि देवीलाल के बेटे रणजीत सिंह भी धनखड़ को परिवार का सदस्य मानते हैं. हालांकि रणजीत, अभय चौटाला के परिवार से अलग-थलग हैं. निर्दलीय विधायक रणजीत 2019-2024 तक मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार में मंत्री रहे हैं.
जगदीप धनखड़ का चौटाला के फार्म हाउस जाना उनका फैसला है या नहीं, इसके कई मायने निकालने जा सकते हैं. देखना होगा सरकार उन्हें आधिकारिक आवास कब तक अलॉट करती है.
वीडियो: चौधरी चरण सिंह का नाम लेकर भिड़े जगदीप धनखड़ और मल्लिकार्जुन खरगे