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सोने जैसी जमीन अगर ना बेची होती तो पुतिन अमेरिका की बैंड बजा देते!

जमीन का साइज एक तिहाई यूरोप के बराबर है. रूस अब पछता रहा है.

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Alaska Sale America Russia
३० मार्च 1867 के रोज़ अलास्का बेचने वाली डील पर दस्तखत हुए थे (तस्वीर: wikimedia commons )
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31 मार्च 2023 (Updated: 31 मार्च 2023, 07:33 IST)
Updated: 31 मार्च 2023 07:33 IST
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अमेरिका और रूस. आपस में दुश्मनी. एकदम कट्टर वाली. अमेरिका (America) मांगे तो रूस (Russia) शायद एक सुई भी न दे. लेकिन यही रूस एक जमाने में अपनी जमीन अमेरिका को देने के लिए तैयार हो गया था. वो भी कौड़ियों के भाव. जमीन का साइज़ एक तिहाई यूरोप के बराबर. और जमीन भी ऐसी वैसी नहीं. सोने के भंडार वाली. सोना भी दो प्रकार का. एक तो जिससे जेवर बनते हैं. दूसरा काला सोना. यानी पेट्रोलियम. दोनों के भंडार थे इस जमीन में. अमेरिका ने इस जमीन से खूब कमाया. इतना कमाया कि जितने में जमीन खरीदी थी उसका हजार गुना वसूल लिया. अब रूस पछता रहा है. लेकिन चिड़िया तो चुग गयी खेत. चिड़िया आई कहां से? रूस ने अपना एक राज्य अमेरिका को क्यों बेचा? पूरी कहानी विस्तार से जानते हैं.

रूस और अमेरिका के बीच तीन मील की दूरी 

अमेरिका के नक़्शे पर नज़र डालेंगे तो आपको दो हिस्से दिखाई देंगे. नीचे एक बड़ा हिस्सा और एक ऊपर, कनाडा के बगल में छोटा हिस्सा. ये जो छोटा हिस्सा है, ये अमेरिका का अलास्का राज्य है. एरिया के हिसाब से अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य. लोग कम रहते हैं. मतलब, अलास्का और दिल्ली का जनसंख्या घनत्व अगर बराबर होता तो पूरे दिल्ली में महज 16 लोग रहते. इसकी वजह भी है. अलास्का का अधिकतर इलाका जंगलों, नदियों और बर्फीले पहाड़ों से घिरा है.

map alaska
एरिया के हिसाब से अलास्का अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य है (तस्वीर: Wikimedia Commons)

यहां अमेरिका का एक सीक्रेट भी छिपा है. यहां दबे हैं पेट्रोलियम के भंडार. जिन्हें अमेरिका ने मुसीबत के लिए बचाकर रखा है. यहां सोने के भंडार भी हैं. बाकायदा इतनी नेचुरल संपदा है कि यहां के लोगों को कई टैक्स माफ हैं. राज्य की कमाई का हिस्सा हर नागरिक को मिलता है. इस नेमत के लिए अलास्का के लोग शायद भगवान को दुआ देते होंगे. लेकिन इस दुआ का असली हक़दार है उनका पड़ोसी देश, रूस. इससे पहले आप पूछें कि अमेरिका रूस का पड़ोसी कब से हुआ, एक और नक्शा दिखाते हैं आपको. (दोनों नक़्शे ऊपर दिए हैं)

पैसिफिक महासागर में एक समंदर पड़ता है. बेरिंग सी. इसके एक किनारे पर रूस है और एक पर अमेरिका का अलास्का राज्य. यहां रूस और अमेरिका के बीच दूरी महज 3 मील हो जाती है. इसी दूरी को पार कर कुछ 3 सदी पहले रूस के खोजी अलास्का आए थे. पूरी कहानी यूं है कि कुछ 3 सदी पहले रूस के एक सम्राट हुए. नाम था पीटर द ग्रेट. ग्रेट इसलिए क्योंकि उन्होंने रूस की सीमा का विस्तार किया और पहली नौसेना भी बनाई. विस्तार के क्रम में पीटर ने पूर्व की ओर दो नौसैनिक अभियान भेजे. जिसकी जिम्मेदारी मिली वाइटस बेरिंग नाम के एक खोजी को.

खोजते-खोजते बेरिंग पहुंच गए उत्तरी अमेरिका. यहां अलास्का में उन्होंने अपना पड़ाव डाला. अलास्का जंगली इलाका था. जहां जंगली जानवरों की भरमार थी. बेरिंग के लोगों ने खूब शिकार किया और लोमड़ी, ऊदबिलाव जैसे जानवरों की ढेर सारी खाल लेकर साइबेरिया लौटे. साइबेरिया में जमकर ठंड पड़ती थी इसलिए इन जानवरों की खाल की काफी मांग थी. साइबेरिया में जो जानवर थे, रूसी पहले ही उनका सफाया कर चुके थे. इसलिए बेरिंग की देखादेखी वो भी अलास्का पहुंच गए.

क्रीमिया का युद्ध रूस की हालत पतली कर गया 

रूसियों के आने से पहले अलास्का में एस्किमो रहा करते थे. उन्हें मार डाला गया. कुछ नई बीमारियों से मारे गए. और साल 1801 तक उनकी 80 % आबादी ख़त्म हो गई. रूस ने अलास्का पर कब्ज़ा कर लिया. यहां नेचुरल संपदा के भंडार थे. लेकिन एक दिक्कत थी कि खेती नहीं होती थी. लिहाज़ा रूस ने स्पेन से मदद ली. अमेरिका का कैलिफ़ोर्निया राज्य तब स्पेन की कॉलोनी हुआ करता था. 1812 में रूस ने यहां एक पोस्ट भी बना ली थी. रूस के लिए सब सही चल रहा था लेकिन फिर 19 वीं सदी के मध्य में वो एक बड़ी मुसीबत में फंस गया. मुसीबत का मतलब तब एक ही चीज होता था-युद्ध.

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क्रीमिया का युद्ध तीन साल चला जिसका अंत पेरिस की संधि में हुआ (तस्वीर: Wikimedia Commons)

क्रीमिया याद है आपको. यूक्रेन का वो हिस्सा जिसे रूस ने साल 2014 में कब्ज़ा लिया था. और आगे जाकर जो रूस यूक्रेन युद्ध की एक बड़ी वजह बना. इसी जगह पर साल 1853 में एक और युद्ध हुआ था. इस युद्ध की जमीन तैयार हुई थी फिलिस्तीन में. फिलिस्तीन तब ऑटोमन साम्राज्य के अधीन आता था. यहां ईसाई अल्पसंख्यक थे. इनमें भी दो प्रकार के ईसाई थे. एक पोप को फॉलो करने वाले, जिन्हें रोमन कैथोलिक कहा जाता है. ये खेमा ब्रिटेन और फ़्रांस जैसे देशों को अपना सरमायदार मानता था. दूसरे थे वो जो रशियन ऑर्थोडॉक्स चर्च को फॉलो करते थे. इनकी भलाई का जिम्मा रूस ने ले रखा था.  

रूस और फ्रांस अपने-अपने समर्थकों के लिए ज्यादा अधिकार की मांग कर रहे थे. और इसी चक्कर में दोनों में ठन गई. एक बड़ा युद्ध शुरू हुआ जिसमें एक तरफ था रूस और दूसरी तरफ थे, ब्रिटेन, फ़्रांस और ऑटोमन साम्राज्य. ये युद्ध तीन साल चला. अब युद्ध तो हुआ क्रीमिया में. लेकिन इसका एक बड़ा असर पड़ा अलास्का पर. कैसे?    

हुआ यूं कि क्रीमिया युद्ध में रूस को बहुत घाटा उठाना पड़ा. देश की इकॉनमी रसातल में चली गई. उन्हें पैसा चाहिए था. ऐसे में रूस के ज़ार एलेग्जेंडर की नज़र अलास्का पर गई. अलास्का के पड़ोस में था कनाडा, जिसके कुछ हिस्से पर रूस के दुश्मन ब्रिटेन का कब्ज़ा था. यानी अलास्का की रक्षा में अलग खर्चा करना पड़ता था. इसके अलावा अलास्का मुख्य रूस से हजारों किलोमीटर दूर था. संचार माध्यम स्लो थे. यानी अलास्का को संभालना एकदम टेढ़ी खीर था. ये सब देखते हुए रूस के ज़ार ने तय किया कि वो अलास्का को बेच देंगे. लेकिन सवाल ये था कि अलास्का को खरीदेगा कौन?

रूस और अमेरिका की दोस्ती 

यहां से इस कहानी में एंट्री होती है अमेरिका की. अमेरिका को आजाद हुए कुछ ही दशक हुए थे. कई कालोनियां अभी भी स्पेन फ़्रांस आदि की गिरफ्त में थीं. ऐसे में साल 1823 में अमेरिका ने विदेश नीति के लिए एक नया सिद्धांत अपनाया. मनरो सिद्धांत. अमेरिका के पांचवे राष्ट्रपति जेम्स मनरो ने ये सिद्धांत दिया था. क्या कहता था मनरो सिद्धांत?

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वाइटस बेरिंग और विलियम सीवर्ड (तस्वीर: Wikimedia Commons)

वो कहता था कि अमेरिका किसी यूरोपीय हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा. यानी अमेरिका ने यूरोप से साफ़ कह दिया कि हमारे किसी मामले में दखल मत दो. इसी सिद्धांत का असर था कि क्रीमिया के युद्ध में अमेरिका ने रूस का साथ दिया और जब अलास्का को बेचने की बात आई तो उन्होंने इसमें खासी रूचि जाहिर की. मनरो सिद्धांत के तहत वो किसी हालत में अलास्का को ब्रिटेन के हाथ में नहीं जाने दे सकते थे. अमेरिकी स्टेट ऑफ़ सेक्रेटरी विलियम सीवर्ड को लगता था कि अलास्का के जरिए वो पैसिफिक सागर में अपनी स्थिति मजबूत कर लेंगे. वहीं अलास्का के नेचुरल भंडार उन्हें मिलेंगे, सो अलग. 1867 में उन्होंने रूस से डील फाइनल की और अलास्का को अमेरिका ने खरीद लिया.

अलास्का जंगलों और जानवरों से भरा इलाका था. रहना दूभर था. इसलिए अमेरिकी प्रेस ने इसे बेवकूफी भरा निर्णय बताया. उन्होंने यहां तक लिख दिया कि अलास्का सीवर्ड के लिए बर्फ का ताबूत साबित होगा. अगले कुछ दशकों में ये बात सच साबित होती दिखाई दी. लेकिन फिर 1896 में कुछ ऐसा हुआ जिसने अलास्का और अमेरिका की किस्मत बदल दी. हुआ ये कि 1896 में एक अमेरिकी को अलास्का की एक नदी के पास सोना मिला. खबर आग की तरह फ़ैल गई और शुरुआत हुई एक ‘गोल्ड रश’ की. तीन साल के लिए अलास्का में लोगों का तांता लग गया. जिससे इस इलाके में इंसानों की बसावट तेज़ हो गई. लोगों की संख्या बढ़ी तो खोजें बढ़ीं. ज़िंक आदि खनिज के भंडार खोजे गए. और जैसे ही पता चला कि अलास्का में तेल के भंडार हैं, साबित हो गया कि अलास्का वाली डील बहुत ही फायदे की डील थी. 

अमेरिका से रूस दिखाई देता है? 

अलास्का की खरीद-फरोख्त दुनिया के इतिहास में हुई सबसे बड़ी रियल इस्टेट डील थी. गेस कीजिए, अमेरिका ने अलास्का को किस रेट पर ख़रीदा होगा? जवाब है, 2 सेंट यानी लगभग 50 पैसे प्रति प्रति एकड़ की कीमत पर. कुल कीमत- साढ़े पांच सौ करोड़ रूपये. इस कीमत में अमेरिका को पूरे यूरोप की एक तिहाई के बराबर जमीन मिल गई. इस जमीन से अमेरिका ने खूब कमाया. इतना कमाया कि अगले सिर्फ 100 साल में अलास्का की लागत का हजारों गुना वसूल लिया. 21 वीं सदी में ये अमेरिका के सबसे अमीर राज्यों में से एक है. यहां अमेरिका के दो मिलिट्री बेस हैं. जहां न्यूक्लियर मिसाइलों को तैनात किया गया है.

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7.२ मिलियन डॉलर का चेक जिससे अलास्का को ख़रीदा गया (तस्वीर: Wikimedia Commons )

अलास्का का एक और फ़ायदा ये है कि इस रास्ते अमेरिका को आर्कटिक का रास्ता मिलता है. जहां सम्पदाओं को हड़पने की एक नई होड़ लगी है. साल 2008 में अमेरिकी चुनाव के दौरान उप-राष्ट्रपति पद की एक उम्मीवार ने अलास्का को लेकर एक बयान दिया था. जिसने उनकी खूब किरकिरी की थी. इनका नाम था सैरा पेलिन. क्या कहा था पेलिन ने?

हुआ यूं कि एक इंटरव्यू के दौरान पेलिन से विदेश नीति के बारे में पूछा गया. पेलिन ने जवाब दिया कि विदेश नीति में उनका लंबा अनुभव है. जब पूछा गया कैसे, तो उन्होंने कहा कि रूस उनके घर से दिखाई देता है. पेलिन, दरअसल अलास्का की गवर्नर रह चुकी थीं. इस बात को लेकर पेलिन का खूब मजाक उड़ाया गया. हालांकि, अमेरिकी इतिहास को गौर से देखेंगे तो पता चलेगा कि पेलिन की बात इतनी अजीब नहीं थी. अलास्का से रूस दिखाई दे न दे. रूस आज भी ललचाई आंखों से अलास्का को देखता है.

वीडियो: तारीख: हजारों साल से दफ़्न सैनिकों की कब्र का रहस्य!

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