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कौन हैं ऋषि सुनक, जो भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए?

बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद भारतीय मूल के ऋषि सुनक यूनाइटेड किंगडम के नए प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल थे. वो 2020 में भारतीय मूल के देश के पहले वित्त मंत्री बने थे.

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Rishi Sunak
Rishi Sunak. (फाइल फोटो)
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मुरारी
8 जुलाई 2022 (Updated: 5 सितंबर 2022, 06:46 PM IST) कॉमेंट्स
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"नहीं, बिल्कुल नहीं. प्रधानमंत्री को जिस तरह के काम करने पड़ते हैं, मेरे लिए वो सब करना बहुत मुश्किल है."

यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक (Rishi Sunak) ने अक्टूबर 2020 में एक सवाल का मीडिया को कुछ इस तरह से जवाब दिया था. उनसे पूछा गया था कि क्या वो प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा रखते हैं.

हालांकि सुनक पीएम पद की रेस में काफी समय तक आगे रहे. लेकिन अब भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के पीएम नहीं बन पाएंगे. उनकी प्रतिद्वंद्वी लिज ट्रस अब ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बनेंगी. उन्हें कंजर्वेटिव पार्टी का नया नेता चुन लिया गया है. लिज ट्रस को टोरी लीडरशिप के चुनाव में कुल 81,326 वोट मिले और ऋषि सुनक को 60,399 वोट मिले. अब ट्रस के नेतृत्व में ब्रिटेन में नई सरकार बनेगी.

अब सीधे जुलाई 2022 में आते हैं. यूनाइटेड किंगडम की राजनीति में तमाम उथल पुथल के बाद बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने बीती 7 जुलाई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. बोरिस जॉनसन पार्टीगेट और क्रिस पिंचर स्कैंडल में लगातार फंसते जा रहे थे. उनके ऊपर इस्तीफा देने का दवाब बन रहा था. जून 2022 में उन्होंने विश्वास मत जरूर जीता था, लेकिन इस जीत को भी उनकी हार के तौर पर देखा गया था. क्योंकि उनकी कंजर्वेटिव पार्टी के कई सांसदों ने इस विश्वास मत में उनके खिलाफ वोट डाला था. फिर 6 जुलाई को जॉनसन सरकार के कई मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया. वहीं से तय हो गया कि अब यूनाइटेड किंगडम की टॉप पोस्ट पर जॉनसन के दिन ज्यादा नहीं है.

‘जॉनसन की आलोचना’

जिन मंत्रियों ने इस्तीफा दिया था, उनमें ऋषि सुनक भी शामिल रहे. सुनक भारतीय मूल के ब्रिटेन के पहले वित्त मंत्री रहे. ऋषि सुनक कंजर्वेटिव पार्टी और देश की राजनीति में अच्छा खासा प्रभाव रखते हैं.

वापस से अक्टूबर 2020 में चलते हैं. सुनक को जॉनसन कैबिनेट का हिस्सा बने आठ महीने ही हुए थे. उन्होंने पीएम पद के लिए महत्वकांक्षा होने की खबरों का भी खंडन कर दिया था. सुनक शुरू से ही ब्रेग्जिट पर बोरिस की हां में हां मिलाते रहे थे. ब्रेग्जिट के सपोर्ट में उन्होंने मीडिया से कहा था,

"अपनी मां की छोटी सी केमिस्ट शॉप में काम करने से लेकर बड़ा बिजनेस चलाने तक, मैंने ये समझा है कि हमें एंटरप्राइज और इनोवेशन पर एक मुक्त माहौल देना चाहिए ताकि ब्रिटेन का भविष्य मजबूत हो सके."

फिर जब यूनाइटेड किंगडम में पार्टीगेट स्कैंडल सामने आया और बोरिस जॉनसन की चौतरफा आलोचना हुई, तो खबरें आईं कि कंजर्वेटिव पार्टी का एस्टेब्लिशमेंट ऋषि सुनक को पार्टी के नए लीडर और देश के नए प्रधानमंत्री के तौर पर पेश कर सकता है. सुनक ने भी इन कयासों का खंडन नहीं किया. उल्टा सधे हुए तरीके से बोरिस जॉनसन की आलोचना कर इन कयासों को हवा दे दी. सुनक ने कहा,

"प्रधानमंत्री ने माफी मांगकर सही किया है. मैं उनकी इस अपील से भी सहमत हूं कि इस मामले की जांच पूरी होने तक सबको धैर्य रखना चाहिए."

राजनीति से पहले बिजनेस में सफलता

यूके के नए प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हुए ऋषि सुनक का जन्म 12 मई को 1980 को यूनाइडेट किंगडम के साउथम्पैटन में हुआ. उनके दादा-दादी का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था. वो बाद में पूर्वी अफ्रीका चले गए थे. बाद में अपने बच्चों के साथ यूनाइडेट किंगडम आ गए. ऋषि सुनक के पिता यशवीर डॉक्टर थे और मां एक छोटा सा मेडिकल स्टोर चलाती थीं. पहली बार ब्रिटिश संसद में पहुंचने के बाद सुनक ने अपने परिवार के बारे में बताया था. उन्होंने कहा था,

"जब वो यूनाइटेड किंगडम आए थे, उनके पास कुछ भी नहीं था."

सुनक की शुरुआती पढ़ाई साउथम्पैटन में ही हुई. फिर उन्होंने विंचेस्टर कॉलेज से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की. आगे प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में फर्स्ट क्लास डिग्री हासिल की. आगे और पढ़ाई की. कैलिफोर्निया स्थित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से 2006 में MBA की डिग्री हासिल की. इस दौरान वो फुलब्राइट स्कॉलरशिप पर रहे. इसी दौरान उनकी मुलाकात इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से हुई. बाद में दोनों ने शादी कर ली.

राजनीति में आने से पहले सुनक ने बिजनेस में हाथ आजमाया और सफल रहे. वो एक इनवेस्टमेंट फर्म के को-फाउंडर रहे. इस फर्म ने सिलिकॉन वैली और बेंगलुरु में बिजनेस किया. साथ ही साथ ब्रिटेन में छोटे-छोटे बिजनेस को फंड दिया. ग्रेजुएशन के बाद सुनक ने गोल्डमैन साक्स के साथ भी काम किया था.

सुनक बने सरकार का चेहरा

साल 2015 में सुनक ने राजनीति में कदम रखा. उन्होंने यॉर्कशर की रिकमंड सीट से चुनाव जीता और यूनाइटेड किंगडम की संसद में पहुंचे. रिकमंड सीट कंजर्वेटिव पार्टी का गढ़ रही है. सुनक ने साल 2017 और 2019 में भी इस सीट से चुनाव जीता.

बोरिस जॉनसन ने यूनाइटेड किंगडम का प्रधानमंत्री बनने के बाद फरवरी 2020 में अपना पहला कैबिनेट विस्तार किया. इसी दौरान उन्होंने सुनक को वित्त मंत्रालय का पोर्टफोलियो दिया था. सुनक ने इतिहास रच दिया. बताया जाता है कि इस पोर्टफोलियो को पाने से पहले सुनक की ज्यादा चर्चा नहीं होती थी. फिर कोरोना वायरस महामारी के दौरान उन्होंने देश के लिए कई पैकेज तैयार किए. जिनकी पूरी दुनिया में चर्चा हुई. सुनक नियमित तौर पर न्यूज चैनलों पर नजर आने लगे. एक तरीके से यूनाइटेड किंगडम सरकार का चेहरा बन गए.  

इसी दौरान पार्टीगेट स्कैंडल में भी उनका नाम आया. इस संबंध में उन्हें पेनल्टी नोटिस भी जारी किया गया. फिर अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति के टैक्स स्टेटस को लेकर आलोचना का शिकार हुए. ब्रिटेन के लोगों के कोस्ट लिविंग स्टेटस पर भी उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी. इस बात पर भी उनकी किरकिरी हुई कि यूनाइटेड किंगडम सरकार में इतने बड़े पद पर होने के बाद भी उनके पास अमेरिका का ग्रीन कार्ड है और उन्होंने इसे लौटाया नहीं है.

यूनाइडेट किंगडम के वित्त मंत्री के तौर पर काम करने से पहले ऋषि सुनक ने पूर्व प्रधानमंत्री टेरिसा मे की कैबिनेट में जूनियर मिनिस्टर के तौर पर काम किया था. हाल के दिनों में भले ही 42 साल के ऋषि सुनक अलग-अलग मुद्दों पर आलोचनाओं का शिकार रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी वो प्रभावशाली तरीके से यूनाइटेड किंगडम के नए प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल हुए थे.

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