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डिंपल यादव के खिलाफ लड़ रहे रघुराज शाक्य कौन हैं, जो खुद को मुलायम यादव का शिष्य बताते हैं?

रघुराज शाक्य ने मुलायम सिंह यादव के अपमान की बात कह समाजवादी पार्टी छोड़ थी.

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Raghuraj Singh Shakya
पूर्व सांसद रघुराज सिंह शाक्य. (फोटो- फेसबुक)
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साकेत आनंद
15 नवंबर 2022 (Updated: 15 नवंबर 2022, 08:35 PM IST)
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उत्तर प्रदेश में मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव (Mainpuri By-Election) के लिए बीजेपी ने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. रघुराज सिंह शाक्य (Raghuraj Singh Shakya). इसी साल फरवरी में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के निधन के बाद मैनपुरी सीट खाली हुई है. समाजवादी पार्टी की तरफ से पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की पत्नी डिंपल यादव (Dimple Yadav) चुनाव लड़ रही हैं. उपचुनाव के लिए 5 दिसंबर को वोटिंग होनी है.

कौन हैं रघुराज सिंह शाक्य?

अपने आपको मुलायम सिंह का 'शिष्य' बताने वाले रघुराज सिंह समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं. मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव के करीबियों में एक. लेकिन शाक्य अब दूसरी पार्टी से मैनपुरी में चुनौती देने की कोशिश में हैं, जो समाजवादी पार्टी का गढ़ है. गढ़ इसलिए क्योंकि 26 साल से इस सीट पर समाजवादी पार्टी जीत रही है. बीजेपी से टिकट मिलने के बाद रघुराज शाक्य ने कहा कि यह एक 'ऐतिहासिक' चुनाव होगा.

रघुराज सिंह का जन्म एक जुलाई 1968 को इटावा के धौलपुर खेरा गांव में हुआ. आगरा यूनिवर्सिटी के आदर्श कृष्णा कॉलेज से 1991 में कॉमर्स में मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की. कॉलेज में छात्र संघ की राजनीति से भी जुड़े रहे. बाद में युवा अधिकार जागरन मंच और सूर्यवंशी एकीकरण मंच जैसे संगठनों से भी जुड़े. मई 1998 में सीमा सिंह से शादी हुई. रघुराज के दो बेटे हैं- पीयूष राज शाक्य और आयुष राज शाक्य.

सक्रिय राजनीति में आने से पहले रघुराज सिंह नगरपालिका इटावा में क्लर्क के तौर पर काम करते थे. रघुराज, राजनीति में आने का श्रेय मुलायम सिंह यादव को ही देते हैं. मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव को शाक्य समाज के बीच भी मजबूती चाहिए थी. क्योंकि उस क्षेत्र में यह दूसरी सबसे बड़ी आबादी है. क्षेत्र में रघुराज की पहचान थी. वो मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आए. अक्टूबर 1992 में जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाई, तो रघुराज भी उनके साथ थे.

रघुराज सिंह शाक्य (फोटो- फेसबुक)

जल्द ही रघुराज की संसदीय राजनीति की भी शुरुआत हो गई. 1999 में रघुराज शाक्य इटावा से पहली बार सांसद चुने गए थे. 2004 में इसी सीट से दोबारा लोकसभा पहुंचे. सांसद रहते हुए कई मंत्रालयों की समिति के सदस्य रहे. 2012 में इटावा सदर से विधायक बने. 2017 में टिकट कटने के बाद पार्टी छोड़ दी.

समाजवादी पार्टी छोड़ने के बाद रघुराज शाक्य ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा था, 

"अगर मुलायम सिंह यादव का अपमान किया जा रहा है, तो मेरे विधायक होने का कोई मतलब नहीं है. मैंने टिकट के लिए इस्तीफा नहीं दिया है, ना ही मैं किसी दूसरी पार्टी में शामिल होने जा रहा हूं. क्योंकि 'समाजवाद' मेरे खून में है. लेकिन नेताजी के लिए इसका त्याग किया. मौजूदा परिस्थियों में पार्टी से इस्तीफा देना ही सही है."

पार्टी छोड़ने के बाद वो शिवपाल के साथ आ गए थे. शिवपाल के साथ नजदीकियां पहले से थीं. इटावा क्षेत्र में लंबे समय से पत्रकारिता कर रहे वीपी राजन बताते हैं कि 1999 और 2004 में रघुराज को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया, तो इसके पीछे शिवपाल ही थे. शिवपाल यादव ने ही उनकी पैरवी की थी. 

अखिलेश यादव से नाराजगी

लेकिन रघुराज सिंह की अखिलेश यादव से नहीं बन पाई. बताया जाता है कि मुलायम सिंह यादव ने साल 2017 विधानसभा चुनाव में उन्हें उम्मीदवार घोषित किया था. लेकिन बाद में अखिलेश यादव ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था. नाराज होकर पार्टी छोड़ दी. बाद में वो शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (PSP) के साथ चले गए थे. शाक्य को पार्टी के कानपुर क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया था. बाद में प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए.

रघुराज शाक्य ने दिसंबर 2018 में इंडियन एक्सप्रेस को बताया था, 

"नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने मुझसे कहा था कि मैं शिवपाल जी के साथ रहूं. समाजवादी पार्टी में जिनकी अवहेलना की गई, वे सभी शिवपाल जी के साथ हैं. हम सभी उन्हें (शिवपाल) मुख्यमंत्री बनाने के लिए काम करेंगे."

हालांकि, शिवपाल यादव के साथ भी उनकी दोस्ती इस साल खत्म हो गई. विधानसभा चुनाव में सपा और PSP का गठबंधन हो गया. शिवपाल यादव गठबंधन के बावजूद अपने किसी समर्थक को टिकट नहीं दिला पाए. कहा जाता है कि टिकट ना मिलने से ही रघुराज नाराज हो गए और फिर अपने कई समर्थकों के साथ बीजेपी में चले गए.

अखिलेश यादव से रघुराज सिंह की नाराजगी अब भी दिखती है. शाक्य ने बीजेपी से टिकट मिलने के बाद मीडिया से कहा कि मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी को बुलंदियों पर पहुंचाने का काम किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश ने अपने पिता का अपमान किया. अखिलेश को विरासत मिलनी ही थी, इसके बावजूद उन्होंने पिता को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटा दिया. शाक्य ने कहा कि जो बुजुर्गों का अपमान करता है, वो कभी आगे नहीं बढ़ सकता है.

बीजेपी उम्मीदवार के रूप में रघुराज शाक्य का नाम पहले से आगे था. मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में यादव समुदाय के बाद शाक्य समुदाय की आबादी सबसे ज्यादा है. 17 लाख से ज्यादा वोटर्स में करीब 7 लाख यादव हैं. वहीं शाक्य वोटर्स की संख्या 3 लाख के आसपास है. समाजवादी पार्टी ने भी पिछले हफ्ते पूर्व मंत्री आलोक शाक्य को मैनपुरी जिला अध्यक्ष बनाया था. इसे शाक्य समुदाय के वोटर्स को रिझाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

वीडियो: मुलायम की पॉलिटिक्स, कांग्रेस के लिए सियासी बेदखली की वजह कैसे बनी?

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