14 दिसंबर 2015 (Updated: 4 जनवरी 2016, 05:52 AM IST) कॉमेंट्स
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समुद्र मंथन में से देवता लोगों ने बहुत सारा माल निकाला. उसमें कल्पवृक्ष भी था जिसे पारिजात भी कहते हैं. इंद्र ने उसे ले जाकर स्वर्ग में लगा लिया.
एक बार नारद मुनि घूमते हुए धरती पर आए और कल्पवृक्ष के कुछ फूल भगवान कृष्ण को दे गए. कृष्ण ने ये फूल रुक्मणी को दे दिए. उन्हें क्या पता था कि उन्हें यह गिफ्ट महंगा पड़ेगा.
किसी ने सत्यभामा से कृष्ण की चुगली कर दी. वो भी पत्नी थीं भई. हो गईं नाराज कि उनको फूल दिया, हमको पूरा पेड़ लाकर दो. कृष्ण ने समझाने की कोशिश की पर सत्यभामा तो अड़ चुकी थीं. हारकर कृष्ण गए इंद्रलोक में और कल्पवृक्ष उखाड़ लाए.
इधर पेड़ उखड़ा, उधर इंद्र का दिमाग. उन्होंने गुस्से में अपनी सेना के साथ कृष्ण पर हमला कर दिया. लड़ाई में कृष्ण जीत गए और पेड़ लाकर सत्यभामा के गार्डन में लगा दिया.
पर इंद्र ऐसे कैसे चुप बैठ सकते थे. उन्होंने शाप दिया कि उस पेड़ पर कभी फल नहीं लगेंगे. कहा जाता है कि इसी वजह से पारिजात के पेड़ पर कभी फल नहीं लगते.
(श्रीमद्भागवत महापुराण)