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जब पोखरण में परमाणु बम फट रहे थे, तब अटल बिहारी वाजपेयी क्या कर रहे थे

उस दिन प्रधानमंत्री के ड्रॉइंग रूम में 6 लोग बैठे थे.

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एक मौके पर एपीजे अब्दुल कलाम के साथ अटल बिहारी वाजपेयी.
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विशाल
11 मई 2020 (Updated: 11 मई 2020, 10:40 AM IST) कॉमेंट्स
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तारीख 11 मई, 1998. दिन सोमवार. उस तपती दोपहर को रेसकोर्स रोड पर प्रधानमंत्री के सरकारी घर के ड्रॉइंग रूम में छ: लोग बैठे हुए थे. इन लोगों के लिए ये पल तनावभरे थे. 3 बजकर 45 मिनट पर जब राजस्थान के पोखरण की रेत तीन-तीन परमाणु विस्फोटों से थर्रा रही थी, तब इन छ: लोगों को सिर्फ एसी की घरघराहट सुनाई दे रही थी.

ठीक 10 मिनट बाद साथ वाले एक कमरे में टेलीफोन की घंटी बजी. प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव बृजेश मिश्र ने हिचकते हुए टेलीफोन का रिसीवर उठाया. दूसरी तरफ से उन्हें उत्तेजना भरी आवाज़ सुनाई दी, 'काम फतह'.


वाजपेयी के साथ बृजेश मिश्रा
वाजपेयी के साथ बृजेश मिश्रा

बृजेश ने फोन करने वाले शख्स को इंतज़ार करने के लिए कहा और वो वापस मेहमानों वाले कमरे में दाखिल हुए. कमरे में मौजूद बाकी पांच लोगों- प्रधानमंत्री अटल बिहारी, गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस, वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा और योजना आयोग के उपाध्यक्ष जसवंत सिंह ने बृजेश के चेहरे के भाव पढ़ लिए और फिर उनके लिए अपनी भावनाएं काबू में रखना मुश्किल हो गया.

आडवाणी गीली हो आईं आंखों को पोंछते नज़र आए. वाजपेयी ने फोन का रिसीवर उठाकर भावुक आवाज़ में उन दो वैज्ञानिकों को बधाई दी, जिनके बूते ये काम मुमकिन हो पाया था. पहले तो परमाणु ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष आर. चिदंबरम और दूसरे रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान के प्रमुख एपीजे अब्दुल कलाम.


भारत को परमाणु राष्ट्र बनाने में इन तीन लोगों का बड़ा योगदान है. डॉ. अब्दुल कलाम, आर. चिदंबरम और के. संथानम (दाएं से बाएं)
भारत को परमाणु राष्ट्र बनाने में इन तीन लोगों का बड़ा योगदान है. डॉ. अब्दुल कलाम, आर. चिदंबरम और के. संथानम (दाएं से बाएं)

इसके बाद देश अपनी सरकार के 'दुस्साहस' का जश्न मनाने में मशगूल हो गया. उधर दो दिन बाद अमेरिका के हैरान-परेशान राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत पर कई सारे प्रतिबंध थोप दिए. लेकिन भारत नहीं माना. 13 मई को पोखरण की रेत एक बार फिर थर्राई और ये भूकंप की वजह से नहीं था. भारत ने दो और परीक्षण किए थे. एक बार फिर सरकारी बयान जारी किया गया, जिसमें कहा गया, 'इससे भूमिगत परीक्षणों का ये तयशुदा दौरा पूरा हो गया.'


सफल परमाणु परीक्षण की घोषणा करते अटल बिहारी वाजपेयी
सफल परमाणु परीक्षण की घोषणा करते अटल बिहारी वाजपेयी

इसके एक दिन बाद यानी 11 मई वाले परीक्षण के तीसरे दिन विदेशी टीवी नेटवर्कों की कैमरा टीमें पूरी दिल्ली में घूम रही थीं. वो पोखरण परीक्षण के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों को ढूंढ रहे थे, ताकि उन्हें भारत सरकार की आलोचना करने का कोई सिरा मिले. मगर अफसोस, उन्हें एक भी फोटो खींचने का मौका नहीं मिला.




विडियो- अटल बिहारी बाजपेयी और नरसिंह राव के बीच ये बात न हुई होती, तो इंडिया न्यूक्लियर स्टेट न बन पाता

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