The Lallantop
Advertisement

राहुल गांधी के गोत्र ने बीजेपी-कांग्रेस की पोल खोलकर रख दी है

राहुल गांधी का गोत्र तो पता चल गया लेकिन इससे हमें क्या मिला?

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
आशुतोष चचा
28 नवंबर 2018 (Updated: 28 नवंबर 2018, 01:31 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
चुनावी सीजन में राहुल गांधी की सबसे बड़ी समस्या उनकी जाति और धर्म है. कोई उनकी मम्मी का संदर्भ लेकर इटालियन बताता है. तो कोई उनके दादा का संदर्भ लेकर पारसी बताता है. कुछ दिन पहले बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा झोंक में राहुल गांधी का गोत्र पूछ बैठे थे. उधर यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ भी राहुल गांधी के मंदिरों में जाने को ढोंग कहा. उसका जवाब दो दिन पहले मिला. जब राहुल गांधी पुष्कर गए थे. पहले अजमेर की दरगाह पर चादर चढ़ाई फिर मंदिर गए. कहने को तो ये प्वाइंट भी उनके हिंदुत्व पर सवाल उठाता है. लेकिन राहुल गांधी ने फिर जवाब दिया और अपना गोत्र कौल दत्तात्रेय बताया. खुद को कश्मीरी पंडित बताया. बाकी तीर्थों की तरह पुष्कर के पुरोहित लोग भी अपने जजमानों की लिखापढ़ी करके रखते हैं. तो राहुल गांधी की यात्रा की भी रख ली.
rahul gandhi gotra

ये जो लिखापढ़ी करके रखी जाती है, इसी से साबित हुआ कि राहुल गांधी कश्मीरी ब्राह्मण हैं. कौल दत्तात्रेय उनका गोत्र है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी की तरफ से ब्रह्मा मंदिर में पूजा दीनानाथ कौल और राजनाथ कौल ने कराई थी. दीनानाथ कौल ने बताया कि तकरीबन सौ साल पहले, 1921 में मोतीलाल नेहरू पुष्कर आए थे. वहां पुरोहितों का एक परिवार था जिन्होंने उनके लिए यहां के ब्रह्मा मंदिर में पूजा की. मोतीलाल नेहरू ने खुद का गोत्र कौल लिखते हुए पुरोहित परिवार को अपना सरनेम भी कौल करने को कहा. जो कि उस वक्त तक पराशर था. तब से चौथी पीढ़ी चल रही है. उस परिवार के लोग कौल लिख रहे हैं.
मोतीलाल नेहरू की पहली यात्रा के वक्त का दस्तावेज
मोतीलाल नेहरू की पहली यात्रा के वक्त का दस्तावेज

पुष्कर मंदिर में नेहरू गांधी फैमिली के दौरे का गैप थोड़ा ज्यादा हो गया. राहुल गांधी से 15 साल पहले सोनिया गांधी गई थीं वहां पूजा करने. राहुल के पापा राजीव गांधी को पुष्कर ज्यादा पसंद था. पहली बार 1983 में गए थे, दोबारा 1989 में. दोबारा में वो भारत के प्रधानमंत्री थे. 1991 में भी राजीव गांधी ने पुष्कर यात्रा की थी लेकिन उसके 19 दिन बाद ही बम धमाके का शिकार हो गए थे. फिर 30 मई 1991 को उनकी अस्थियां पुष्कर पहुंची थीं.
नेहरू-गांधी परिवार के लोग कब कब पुष्कर गए
नेहरू-गांधी परिवार के लोग कब कब पुष्कर गए

एक फैक्ट ये भी है कि राजीव गांधी से भी पहले उनके छोटे भाई संजय और भाभी मेनका गांधी पुष्कर जा चुके थे. 21 मार्च 1980 को संजय गांधी पुष्कर गए थे और दो महीने बाद 23 जून को प्लेन क्रैश में उनकी मौत हो गई थी. उस हादसे के चार साल बाद मेनका गांधी फिर पुष्कर गई थीं. दीनानाथ कौल के मुताबिक मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी सभी यहां कश्मीरी कौल ब्राह्मण के रूप में ही पहुंचे थे. फिरोज गांधी, प्रियंका गांधी, रॉबर्ट वाड्रा और वरुण गांधी कभी पुष्कर मंदिर नहीं गए हैं.
हिंदू रीति रिवाज से 2 अगस्त 1942 को इंदिरा की फिरोज के साथ शादी हुई थी.
हिंदू रीति रिवाज से 2 अगस्त 1942 को इंदिरा की फिरोज के साथ शादी हुई थी.

बीजेपी की तरफ से हर बार जुमला उछालने की वजह फिरोज गांधी हैं. जो पारसी थे. उनसे इंदिरा गांधी ने शादी की. लेकिन उन्होंने पारसी धर्म नहीं अपनाया. इंदिरा ने रहन सहन, पहनावे या किसी चीज में हिंदू धर्म का त्याग नहीं किया. लेकिन पुरुष सत्तात्मक सोच इस विचार को जगह ही नहीं देती कि औरत मर्द से अलग भी कुछ हो सकती है. भले वो प्रधानमंत्री बन जाए लेकिन उसकी पहचान, उसके धर्म की पहचान उसके पति के धर्म से ही होगी. मजेदार ये है कि राजीव गांधी को उनके पिता की वजह से और राहुल गांधी को उनकी मां की वजह से विदेशी साबित करने की कोशिश की जाती है.
इधर ये सवाल भी उठा है कि दत्तात्रेय कोई गोत्र ही नहीं है. हमने कश्मीरी ब्राह्मणों की खोज में कुछ वेबसाइट्स सर्च कीं. ये मैटर निकलकर सामने आया. 'द कश्मीरी पंडित' नाम से एक किताब पंडित आनंद कौल ने लिखी है. उसके मुताबिक दत्तात्रेय गोत्र
होता है. जिसमें ये सरनेम इस्तेमाल होते हैं. (सबसे नीचे वाली लाइन देखें)
dattatreya

खैर, गोत्र, जाति, धर्म, खानदान सबका पता तो चल गया. राहुल गांधी और क्या क्या बताना चाहेंगे. प्रॉब्लम ये है कि कभी कभी लगता है बीजेपी विपक्ष में हैं और कांग्रेस को खुद को साबित करना है. इसीलिए राहुल गांधी सरकार से, सत्ता से सवाल करने के बजाय खुद उनके बनाए जाल में फंसते नजर आते हैं. वो गवर्नेंस पर सवाल पूछने की बजाय मंदिरों की खाक छानने लगते हैं. गुजरात चुनाव के वक्त जनेऊ दिखाने लगे थे. इन चुनावों में गोत्र बताने लगे हैं. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों मिलकर देश को शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसी बेसिक जरूरतों से हटाकर मंदिर मस्जिद और जाति-गोत्र में उलझाए हुए हैं.
पुष्कर में राहुल गांधी
पुष्कर में राहुल गांधी

दोनों के चेहरे का नकाब तब उतर जाता है जब जाति और गोत्र की राजनीति में बराबर के भागीदार हो जाते हैं. ये जाति और गोत्र व्यवस्था यही बताती है कि औरत की कोई जाति नहीं होती, जिस मर्द के साथ वो ब्याह दी जाए, उसी की जाति उस औरत से चिपक जाती है. उसकी अपनी कोई पहचान नहीं है. पुरुष को सत्ता का केंद्र रखना और स्त्री को उसकी दासी बताना हर जाति व्यवस्था का मूल स्वभाव है. बीजेपी जाति की पूंछ पकड़कर उस स्त्री विरोधी मानसिकता को आगे बढ़ाने में लगी हुई है और उस पर सफाई देते हुए राहुल गांधी उस आग को और हवा दे रहे हैं. जिनके पेट भरे हैं उनको भी इस जाति धर्म, माता पिता वाली डिबेट में खुलकर मजा आ रहा है.


देखें वीडियो, राजस्थान चुनाव से ग्राउंड रिपोर्ट:

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement