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रोज़ खबरों में रहता है .35 बोर, .303 कैलिबर, 9 एमएम, कभी सोचा इनका मतलब क्या होता है?

ये वाला 'बोर' इंट्रेस्टिंग है!

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दर्पण
1 मई 2018 (Updated: 1 मई 2018, 03:00 AM IST)
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संजय दत्त जब पकड़े गए थे तो उनके घर से तीन AK56 राइफल और 20 हैंड ग्रेनेड के अलावा एक ‘9 एमएम बोर’ की पिस्टल भी मिली थी.
जब भी कोई वारदात खबरों में आती है तो सुनाई देता है – 32 बोर की पिस्टल, या .32 कैलिबर बोर की पिस्टल बरामद हुई.
यानी जहां कहीं भी बंदूकों, पिस्तौलों, राइफल्स आदि की बात होती है – बोर, एमएम और कैलिबर शब्द भी गाहे-बगाहे सुनाई ही दे जाता है. तो हमने सोचा क्यूं न इन्हीं बहुत कॉमन से शब्दों के बारे में जानकारी ली जाए. क्यूंकि कम ही शब्द होते हैं जो अत्यधिक कॉमन होने के बावज़ूद जिनका अर्थ हमें नहीं मालूम होता. तो पेश है एक ऐसी स्टोरी जिसमें बंदूक भी और कारतूस भी और जो इंट्रेस्टिंग भी है मगर जिसमें खून खराबा नहीं है.

# बोर-बोर देखो -

किसी भी खोखले पाइप के ‘अंदर के’ डायमीटर या व्यास को बोर कहते हैं.
‘अंदर के’ को स्पेसिफाई करना इसलिए ज़रूरी था क्यूंकि किसी खोखले पाइप के हमेशा दो डायमीटर होंगे – एक अंदर का और एक बाहर का.
अब देखिए यदि कोई पाइप बहुत पतली शीट से बना हो तो उसके अंदर और बाहर का व्यास लगभग बराबर होगा. लेकिन पाइप का मटेरियल जितना मोटा होता जाएगा, अंदर और बाहर के डायमीटर में उतना अंतर आता रहेगा. इसलिए हमें स्पेसिफाई करना पड़ा कि - ‘अंदर के’ डायमीटर या व्यास को बोर कहते हैं.
इस तस्वीर में पाइप का भीतरी डायामीटर 3 सेमी और बाहरी डायामीटर 5 सेमी है. यानी इस पाइप का बोर हुआ 3 सेमी.
इस तस्वीर में पाइप का भीतरी डायमीटर 3 सेमी और बाहरी डायमीटर 5 सेमी है. यानी इस पाइप का बोर हुआ 3 सेमी.

और ये केवल पिस्तौल या बंदूक के लिए ही नहीं, किसी भी 'सिलेंड्रीकल' शेप के लिए सच है. इसलिए ही तो जो पानी ज़मीन से निकलता है उसे बोरिंग-वॉटर कहा जाता है क्यूंकि ज़मीन से पानी निकालने के लिए पाइप का उपयोग किया जाता है, ज़मीन में छेद किया जाता है, उस होल, उस छेद का भी एक अंदरूनी व्यास होता है.
बोरिंग का पानी (इमरमेश द्वारा खींची फोटो जो मूलतः पैनोरामियो में पब्लिश हुई थी. )
बोरिंग का पानी (इमरमेश द्वारा खींची फोटो जो मूलतः पैनोरामियो में पब्लिश हुई थी. )

तो इसी तरह पिस्तौल, बंदूक या इवन तोप की नली के ‘अंदर के’ डायमीटर या व्यास को बोर कहते हैं.
बहरहाल एक बात और समझने की ज़रूरत है कि हम पिस्तौल के ‘अंदर के’ व्यास को ही क्यूं महत्व देते हैं? उत्तर बहुत सिंपल है – बाहर का व्यास कितना भी हो उससे फ़र्क नहीं पड़ता लेकिन पाइप के अंदर के व्यास से ही पता चल पाएगा कि इसमें कितनी मोटी गोली आएगी. यानी किसी पिस्तौल की गोली के इर्द-गिर्द कोई पाइप बनाया जाएगा तो अंदर का डायमीटर स्पेसिफिक होगा और बाहर का डायमीटर मटेरियल की मोटाई के हिसाब से बदलता चला जाएगा. तो ये बात स्टेब्लिश हुई कि – बोर, बंदूक की बैरल का अंदरूनी भाग या बैरल के अंदरूनी भाग का व्यास होता है.
ये रहे बैरल - वही सिलेंड्रीकल शेप!
ये रहे बैरल - वही सिलेंड्रीकल शेप!

# कैलिबर -

हथियारों में बोर को नापने के लिए दो प्रणालियों (कैलिबर और मिलीमीटर) का उपयोग किया जाता है.
(वैसे ‘कैलिबर’ शब्द दरअसल ‘बोर’ का ही पर्यायवाची है लेकिन अब बन्दूकों, राइफल्स आदि के लिए माप प्रणाली बन गया है.)
आगे बढ़ने से पहले एक लॉजिकल और मज़े की बात बात बताते हैं - यदि किसी बंदूक का अंदर का व्यास x होगा तो उसमें यूज़ होने वाली गोली के बाहर का व्यास भी वही यानी x ही होगा. तो यदि कोई x कैलिबर की बंदूक है तो उसमें x कैलिबर की ही गोली यूज़ होगी.
बंदूक, कारतूस और कैलिबर
बंदूक, कारतूस और कैलिबर

अब आते हैं कैलिबर में – देखिए, इंच और कैलिबर में कोई अंतर नहीं है, क्यूंकि एक इंच और एक कैलिबर बराबर ही हैं, यानी .30 कैलिबर राइफल के बोर का व्यास दरअसल .30 इंच हुआ.
कहीं-कहीं इस इंच या कैलिबर को दशमलब के तीन स्थानों तक शुद्ध मापा जाता था इसलिए आप कभी-कभी .303 कैलिबर राइफल भी पढ़, देख या सुन सकते हैं.
कभी-कभी, जब राइफल्स के नाम कैलिबर पर रखे जाते हैं तो उनमें कैलिबर शब्द ‘साइलेंट’ हो जाता है – जैसे .44 स्पेशल या .38 मैग्नम.
अच्छा एक इंट्रेस्टिंग बात और बताते हैं. हमने कहा था न कि बोर मतलब नली के ‘अंदर का’ डायमीटर. लेकिन शुरुआत में नापने वालों ने बाहर का डायमीटर नाप दिया. और इसी के चक्कर में .38 कैलिबर पिस्तौल का बोर असल में 0.38 इंच नहीं, बल्कि 0.357 इंच होता है. या अगर ऊपर की एक और बात का रिविज़न किया जाए तो .38 कैलिबर की पिस्तौल में .357 इंच डायमीटर की गोली डाली जाती है या आदर्श रूप से डाली जानी चाहिए.
.44 स्पेशल
.44 स्पेशल

और इसी सब कन्फ्यूज़न के चलते ‘आर्म्स विशेषज्ञ’ कहते हैं कि किसी पिस्तौल के नाम से उसके बोर का पता चलना मुश्किल है.
बहुत से बहुत ‘लगभग’ पता चल जाएगा लेकिन फिर भी ज़्यादा जानकारी के लिए पिस्तौल का मैन्युअल रेफर करें. अब यही लगा लीजिए कि .44 स्पेशल और .44 मैग्नम दोनों ही .429 इंच व्यास की गोलियां यूज़ करते हैं.

# मिमी (या मिलीमीटर) -

अब आते हैं मिलीमीटर या एमएम माप प्रणाली पर. एमएम माप प्रणाली जैसी सुनने में आती है, वैसी ही है भी. यानी यदि किसी बंदूक का बोर 5.56 एमएम है तो इसका मतलब ये हुआ कि बंदूक की नली का अंदरूनी व्यास 5.56 मिलीमीटर है. सिंपल!
और हां, उसमें उपयोग में आने वाली गोली का व्यास (या बाहरी व्यास) भी 5.56 एमएम होना चाहिए.
इंच और सेंटीमीटर वाला स्केल जो हमने अपने बचपन में देखा था. मगर सवाल ये है कि इसमें मिलीमीटर कहां है - हर एक सेंटीमीटर में दस मिलीमीटर होते हैं. (और हां, इस फोटो को स्केल की तरह यूज़ मत करिएगा)
इंच और सेंटीमीटर वाला स्केल जो हमने अपने बचपन में देखा था. मगर सवाल ये है कि इसमें मिलीमीटर कहां है? दरअसल हर एक सेंटीमीटर में दस मिलीमीटर होते हैं. (और हां, इस फोटो को स्केल की तरह यूज़ मत करिएगा)

1 कैलिबर यानी 1 इंच, और एक इंच होता है 25.4 मिलीमीटर (एमएम).
तो यदि आपको किसी बंदूक के बोर का व्यास कैलिबर में पता है तो उसे आसानी से एमएम में बदल सकते हैं उसे 25.4 से गुणा करके और यदि आपको बोर का व्यास एमएम में पता है तो उसे 25.4 से डिवाइड करके या 0.0393700787 से गुणा करके कैलिबर में बदल सकते हैं.
उदहारण दें? ये लीजिए - 5.56 एमएम बोर यानी – 5.56/25.4 कैलिबर – या .219 कैलिबर. (वैल, ऑलमोस्ट.)


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