The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Lallankhas
  • UP Legislative Council Election Why Did Mafia Brijesh Singh Quits From Varanasi Seat

बाहुबली बृजेश सिंह ने क्यों वापस लिया MLC का पर्चा?

क्या BJP की तरफ से उम्मीदवार खड़ा करने पर कोई खटपट हुई?

Advertisement
Img The Lallantop
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की वाराणसी सीट 1998 से बाहुबली बृजेश सिंह के परिवार के पास रही है. (फोटो: आजतक)
pic
मुरारी
25 मार्च 2022 (Updated: 25 मार्च 2022, 11:48 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
उत्तर प्रदेश में इस समय विधान परिषद के चुनाव हो रहे हैं. विधान परिषद की 36 सीटों के लिए 9 अप्रैल को मतदान होगा. इस बीच वाराणसी सीट से बाहुबली नेता बृजेश सिंह ने अपना नामांकन वापस ले लिया है. उनकी पत्नी अन्नपूर्णा सिंह इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं. बीजेपी और सपा के प्रत्याशी खड़े होने की वजह से इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है. उत्तर प्रदेश विधान परिषद की ये सीट 1998 से ही बृजेश सिंह के परिवार के पास रही है. बृजेश सिंह खुद इस सीट से MLC रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों बृजेश सिंह ने इस सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया? सरकार की 'छवि' तोड़ने की कोशिश इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने कुछ वरिष्ठ पत्रकारों से बात की. वाराणसी से संबंध रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार पवन सिंह काफी लंबे से क्षेत्र में क्राइम बीट कवर कर रहे हैं. उन्होंने बृजेश सिंह के पर्चा वापस लेने के पीछे कई कारण जिम्मेदार बताए. उन्होंने बताया,
"योगी आदित्यनाथ पर ठाकुरों के खिलाफ सॉफ्ट होने के आरोप लगते हैं. इस बार बीजेपी ने बृजेश सिंह के खिलाफ प्रत्याशी उतारकर इस छवि को तोड़ने की कोशिश की है. साथ ही साथ चुनाव से पहले धनंजय सिंह को लेकर जो विवाद हुआ था कि इनामी माफिया खुलेआम टहल रहे हैं, उसे लेकर भी नेतृत्व की तरफ से मेसेज देने की कोशिश की गई है."
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की वाराणसी सीट पर 1998 में बृजेश सिंह के भाई उदयनाथ सिंह ने जीत हासिल की थी. उन्होंने 2004 का चुनाव भी जीता. दोनों ही बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. उदयनाथ सिंह के निधन के बाद साल 2010 में बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह इस सीट से उतरीं. उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता. बाद में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया. अगले चुनाव, यानी 2016 में बृजेश सिंह ने खुद खड़े हुए. बीजेपी ने उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा. बृजेश सिंह ने समाजवादी पार्टी की मीना सिंह को हरा दिया. मीना सिंह, मनोज कुमार की बहन हैं. मनोज कुमार ने साल 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बृजेश सिंह को चंदौली की सैयदराजा सीट से हराया था.
Mukhtar Ansari 3
बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी.

साल 2016 के चुनाव में बीजेपी की तरफ से बृजेश सिंह के खिलाफ उम्मीदवार ना उतारने और अब इस बार उतारने को लेकर वरिष्ठ पत्रकार पवन सिंह ने बताया,
"तब बीजेपी सत्ता में नहीं थी. इसलिए बृजेश सिंह के खिलाफ उम्मीदवार ना उतारकर सत्ता विरोधी संदेश दिया गया. अब बीजेपी सत्ता में है. जिलों में बहुमत होने की बात कह रही है. ऐसे में उसे उम्मीदवार तो उतारना ही था."
पवन सिंह आगे बताते हैं कि बृजेश सिंह ने राजनीति में दखल इसलिए दिया था ताकि मुख्तार अंसारी को काउंटर किया जा सके. इस बार मुख्तार अंसारी ने भी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा. अपने बेटे अब्बास अंसारी को पारंपरिक मऊ सदर सीट से खड़ा किया. अब्बास को जीत मिली. इधर बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह ने भी सैयदाराजा सीट को बचा लिया. ऐसे में एक पॉवर बैलैंस बना हुआ है और कोई इसको बिगाड़ने के बारे में नहीं सोच रहा है. सभी को फायदा जानकार बताते हैं कि बृजेश सिंह के MLC का चुनाव ना लड़ने से सभी पक्षों को फायदा है. एक तरफ जहां सरकार की तरफ से संदेश गया है कि वो बाहुबलियों को अब राजनीति में बर्दाश्त नहीं करेगी, वहीं बृजेश सिंह को ये फायदा है कि 'लो-प्रोफाइल' रहने पर उनके खिलाफ दर्ज मामलों को लेकर ज्यादा शोर नहीं होगा. वहीं पत्नी के जीतने पर प्रभावी तौर पर सीट पर उनका ही कब्जा रहेगा. अपनी पत्नी को इस सीट से खड़ा कर बृजेश सिंह ने संदेश देने की कोशिश की है कि वो ज्यादा परेशानी नहीं चाहते.
वरिष्ठ पत्रकार पवन सिंह ने बताया,
"बृजेश सिंह को शायद इस बात का अंदाजा था. इसलिए उन्होंने अपने साथ-साथ पत्नी का भी नामांकन करा दिया था. खुद का नामांकन कर उन्होंने एक चांस लिया था. लेकिन बात नहीं बनने पर केवल पत्नी को ही मैदान में रखा."
टाइम्स ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार राजीव दीक्षित लंबे समय से पूर्वांचल के बाहुबलियों की गतिविधियों को कवर कर रहे हैं. बृजेश सिंह के नामांकन वापस लेने को लेकर हमने उनसे भी बात की. वरिष्ठ पत्रकार राजीव दीक्षित इसके पीछे कोई खास वजह नहीं मानते. बीजेपी की तरफ से अपना उम्मीदवार खड़ा करने को लेकर उन्होंने बताया कि सत्ता में रहने वाली पार्टी स्वाभाविक तौर पर अपनी पार्टी के लोगों को सत्ता में चाहेगी. इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है.
वहीं, बृजेश सिंह द्वारा अपने साथ-साथ पत्नी को भी चुनाव में खड़ा करने को लेकर वरिष्ठ पत्रकार राजीव दीक्षित बताते हैं कि ऐसा शायद इसलिए किया गया कि अगर कहीं किसी कारण से बृजेश सिंह की उम्मीदवारी रद्द हो जाती, तो ऐसे में कम से उनकी पत्नी की उम्मीदवारी बची रहती. उन्होंने बताया, क्योंकि उम्मीदवारी रद्द नहीं हुई, इसलिए बृजेश सिंह की तरफ से अपना नामांकन वापस ले लिया गया. उनकी पत्नी पहले भी MLC रह चुकी हैं. उनके पास अनुभव तो है ही.

Advertisement