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अटल बिहारी ने किसे किताब में रख भेजा था प्रेमपत्र?

अटल और राजकुमारी के बारे में आपने खूब पढ़ा-सुना होगा, पर ये नहीं.

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ये किस्से 'द अनटोल्ड वाजपेयी- पॉलिटीशियन एंड पैराडॉक्स' से लिए गए हैं.
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सौरभ द्विवेदी
25 दिसंबर 2021 (Updated: 25 दिसंबर 2021, 07:24 AM IST) कॉमेंट्स
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अटल बिहारी वाजपेयी पर एक किताब है. नाम है 'द अनटोल्ड वाजपेयी- पॉलिटीशियन एंड पैराडॉक्स'. इसे लिखा है जर्नलिस्ट उल्लेख एनपी ने. टाइटल देखकर लगा कि अटल के बारे में बहुत सी नई बातें पता चलेंगी. खासतौर पर उनकी राजनीति के अंतरविरोध.

तो नया क्या मिला? कुछ ही नई बातें मिलीं. अटल के भाषणों के सहारे उनके जनसंघ के दौर के बारे में पता चला. बलराज मधोक के साथ झगड़ा तो पता था, मगर नानाजी देशमुख के साथ झगड़े का नहीं पता था. किताब के मुताबिक जनता पार्टी की सरकार के आखिरी दौर में जब जगजीवन राम और चरण सिंह के नाम पर सहमति नहीं बन रही थी, तब नानाजी देशमुख ने जनता पार्टी अध्यक्ष चंद्रशेखर का नाम आगे किया था. इससे वाजपेयी नाराज हो गए. वह मोरार जी देसाई समर्थक माने जाते थे.

किताब में वाजपेयी को पीएम कैंडिडेट घोषित करने के भीतर की कहानी भी बताई गई है. ये नया है. इसके अलावा उनके राजकुमारी कौल के साथ संबंधों पर वही लिखा-सुना-कहा गया है, जो पहले भी अखबारों और पत्रिकाओं में छप चुका है. किताब का फ्लो दुरुस्त है. प्रूफ की कई जगह गलतियां हैं. मसलन, गिरधर गमांग को वर्तमान की जगह तत्कालीन भाजपा नेता लिखा है. कुशाभाई ठाकरे का नाम गलत लिखा है. ऐसी ही कुछ और कमियां हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=iNcT57-vy5k

किताब के कुछ किस्से. आपकी नजर.

1. बीजेपी पर राजीव का मजाक

1984 के चुनाव में बीजेपी जीती दो सीटें. राजीव गांधी लोकसभा में इसकी खूब खिल्ली उड़ाते थे. कहते थे, 'असली परिवार नियोजन तो यहां दिखता है. हम दो हमारे दो वाला.'

2. किताब में रखकर भेजा था प्रेमपत्र

वाजपेयी की करीबी मित्र राजकुमारी, इंदिरा गांधी की सेकंड कजिन थीं. इंदौर में पैदा हुईं, फिर पापा की नौकरी के चलते ग्वालियर आ गईं. यहीं विक्टोरिया कॉलेज में उन्हें अटल मिले. ग्रेजुएशन के दौरान. अटल ने उनके लिए किताब में प्रेमपत्र रखा, पर ये राजकुमारी को नहीं मिला. कहीं और चला गया. ऐसे ही राजकुमारी का खत अटल को नहीं मिल पाया. फिर राजकुमारी की शादी दिल्ली के प्रोफेसर कौल से हो गई. वाजपेयी इनके साथ ही रहा करते थे. जब सांसद हो गए, तो कौल परिवार उनके साथ रहने आ गया. राजकुमारी की छोटी बेटी नमिता वाजपेयी की दत्तक पुत्री हो गईं और अभी भी उनके साथ ही रहती हैं. मिसेज कौल का 2014 में देहांत हो गया.

https://www.youtube.com/watch?v=vD0UdMtFxWg

3. मनमोहन अटल के चक्कर में इस्तीफा लिख बैठे

1991 में मनमोहन ने बजट पेश किया. आर्थिक उदारीकरण वाला. अटल पिल पड़े उन पर भाषण के दौरान. खूब खिल्ली उड़ाई उनकी नीतियों की. आखिरी में बोले गालिब का शेर.

आह को चाहिए एक उम्र असर होने तककौन जीता है तेरी जुल्फ के सर होने तक.

फिर आखिर में टीप जोड़ दी. 'सरदार जी की तो खूब जुल्फ हैं. पता नहीं क्या होगा, जब तक वह इन्हें दुरुस्त कर पाएंगे.' मनमोहन इससे उखड़ गए. इस्तीफा देने को तैयार हो गए. नरसिम्हा राव ने तब वाजपेयी को फोन लगाया. वाजपेयी ने मनमोहन को समझाया. सियासत है. यहां वैचारिक हमले तो होंगे ही. कुछ भी निजी न लिया जाए.

https://www.youtube.com/watch?v=gAf2PZ7xm1Y

4. ह्यूमर-ह्यूमर खेल रहे थे अटल

एक बार किसी ने उन पर तंज कसा. 'आपका नाम अटल है. टिककर तो रहिए.' वाजपेयी ने तुरंत दहला मारा. 'आगे बिहारी भी लगा है.' ऐसे ही एक बार लोकसभा की बहस के दौरान रामविलास पासवान को मुंह की खानी पड़ी. वो उन दिनों जनता दल में थे. बीजेपी की खिंचाई कर रहे थे. राम मंदिर के मुद्दे पर. बोले, 'राम तो मेरे नाम में लगा है, बीजेपी कहां से दावा कर रही है.' इस पर अटल बोले, 'नाम की न कहें, राम नाम तो हराम में भी होता है.'

5. सोनिया को नहीं पसंद आया अटल का सम्मान

मनमोहन सिंह के शपथ ग्रहण के दौरान अटल भी पहुंचे. एक कांग्रेसी नेता ने जाकर उनके पैर छुए. बाद में सोनिया से मिला. मैडम ने खूब हड़काया. बोलीं, 'मुझे सब नजर आ रहा था. राहुल गांधी ने भी अशोभनीय टिप्पणी की.'

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किताब- द अनटोल्ड वाजपेयीराइटर- उल्लेख एनपीपब्लिशर- पेंग्विनकीमत- 599 (हार्ड बाउंड एडिशन)


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