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'चांद पर इंसान' क्या दुनिया का सबसे बड़ा झूठ था?

आज ही के दिन उतरा था 'अपोलो मिशन' चांद की धरती पर. नील आर्मस्ट्रॉग ने चंद्रमा पर पैर रखा. लेकिन क्या सच में? सारी कांसपिरेसी थ्योरीज़ एक जगह, यहां.

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चांद पर इंसान का पहला कदम. Reuters Image
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मियां मिहिर
20 जुलाई 2016 (Updated: 20 जुलाई 2017, 06:47 AM IST) कॉमेंट्स
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क्रिस्टोफर नोलान की 'इंटरस्टेलर' तो याद होगी. एक बच्ची के पिता को स्कूल बुलाया जाता है, संतान की शिकायत करने. बताया जाता है कि उसने अपनी क्लास में ऐसी बात दूसरे बच्चों को सिखाने की कोशिश की, जिसका कोई आधार नहीं. उसने अपने साथी बच्चों को वह कहानी सुनाई जिसमें नासा के अभियान में इंसान चांद पर उतरा था. 'वो सब सरकार अौर अंतरिक्ष एजेंसी का फैलाया झूठ था.' स्कूल के अध्यापक उसे समझाते हैं.

आज उसी फेमस मून लैंडिंग की सालगिरह है. जिस दिन नील आर्मस्ट्रॉग अौर उनके साथी बज़ एल्डरिन चांद की सतह पर उतरे अौर बोले, 'इंसान का ये छोटा सा कदम इंसानियत की बड़ी छलांग है'.

'इंटरस्टेलर' तो साइंस फिक्शन फिल्म थी, लेकिन उसमें इस कांसपिरेसी थ्योरी का ज़िक्र यूं ही नहीं आया था. दरअसल 20 जुलाई 1969 को चांद पर इंसान के पहली बार उतरने के बाद से ही इसके पीछे बहुत सॉलिड कांसपिरेसी थ्योरीज़ का बाज़ार जुड़ गया. आज भी गूगल पर moon landing टाइप पर देख लें तो सबसे पहले fake अौर hoax ही लिखा आता है. हॉलीवुड में कई फिल्में भी बनाई गईं इसे लेकर, जिनमें 'कैप्रिकॉन वन' बड़ी मशहूर है. वो कई बातें जिन्हें गिनाकर अमेरिका की इस 'अमानवीय' उपलाब्धि पर सवाल उठाए गए, कुछ यूं थीं

परछाइयां विपरीत दिशाअों में कैसे?

moon-landing-1969

जो तस्वीरें उस दिन नासा ने जारी कीं, उसमें कई तस्वीरों में दिख रही परछाइयों में समस्या थी. एक ही तस्वीर में दो भिन्न दिशाअों में बनती इंसानी परछाइयों को देखकर सवाल पूछा गया कि जब लाइट सोर्स एक ही था (सूर्य) तो परछाइयां दो अोर कैसे?

पत्थर पर C

मून सरफेस की तस्वीरों में एक तस्वीर वो भी है जिसमें एक ऐसा पत्थर दिख रहा है जिस पर रोमन भाषा का 'सी' लिखा है. अब ये चांद की सतह पर किसने अपने अंग्रेज़ी ज्ञान का प्रदर्शन कर दिया, लोगों ने सवाल उठाया.

झंडा फहराया कैसे?

FILE PHOTO 20JUL69 - Astronaut Edwin E. Aldrin Jr., lunar module pilot, poses beside the deployed fl..

कांसपिरेसी थ्येरी विशेषज्ञों का सबसे बड़ा आरोप अमेरिकी झंडे से जुड़ा है, जिसे चंद्रमा की धरती पर उतरकर नील आर्मस्ट्रांग अौर बज़ आल्डरिन ने फहराया था. तस्वीर में इसे फहराता हुआ देखकर सवाल पूछा जाता है कि चांद पर तो हवा ही नहीं है, फिर ये झंडा फहरा कैसे रहा है.

उतरा कहां?

पूछा गया कि अगर लूनर मॉड्यूल चांद की धरती पर उतरा, तो तस्वीरों में कहीं उसके उतरने से बना गड्ढा क्यों नहीं दिखाई दे रहा? जिस लूनर डस्ट से पूरी चांद की ज़मीन भरी है, उस पर तो ऐसे धमाके का भारी इंपैक्ट दिखना चाहिए था.

सितारे कहां गए?

नासा द्वारा जारी किसी भी तस्वीर में आसमान में सितारे दिखाई नहीं देते. अगर ये चंद्रमा की सतह की तस्वीर है तो आसमान से तमाम सितारे कहां गए?

वो शीशे में कौन दिखा?

एक तस्वीर में अंतरिक्ष यात्री के हैल्मेट कवर के ऊपर एक दूसरी इंसानी आकृति दिखाई देती है, जिसके वहां होने का कोई तर्क समझ नहीं आता.

- FILE PHOTO JULY 1969 - The Apollo 11 Lunar Module ascent stage, with astronauts Neil A. Armstrong..


कांसपिरेसी थ्योरीज़ देनेवाले इस पूरी कहानी के पीछे तीन वजहें बताते हैं

पहली: कोल्ड वार का दौर था अौर अंतरिक्ष में चल रही लड़ाई सोवियत यूनियन अौर यूएसए के बीच नाक का सवाल बनी हुई थी. इसे ही निर्णायक रूप से जीतने के लिए अमेरिका ने यह पूरा 'मून लैंडिंग' का खेल रचा.

दूसरी: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपनी कटती फंडिग बचाने के लिए इस कहानी का इस्तेमाल किया अौर सरकार से खूब धन वसूला.

तीसरी: ये भी कहा गया कि यह अमेरिकी सरकार द्वारा लोगों के मन में वियतनाम युद्ध से बनी खराब छवि को हटाने का प्रयास था.

सबसे मज़ेदार तो ये थ्योरी है कि चांद पर उतरने की यह घटना दरअसल मशहूर फिल्मकार स्टेनले कूबरिक द्वारा फिल्माई गई एक स्टेज्ड फिल्म थी. कुछ लोग बताते हैं कि उन्हें यूएस सरकार ने उनकी 1968 में रिलीज़ हुई फिल्म '2001 : ए स्पेस अॉडेसी' देखकर इस काम के लिए हायर किया था. '2001 : ए स्पेस अॉडेसी' क्लासिक साइंस फिक्शन फिल्म है, जिसमें आउटर स्पेस में ट्रैवल कर रहे अंतरिक्ष यान अौर स्पेस ट्रैवल को बहुत विश्वसनीय तरीके से दिखाया गया है. दूसरी पार्टी तो अौर मज़ेदार है, जो कहती है कि कूबरिक तो पहले से ही नासा के आदमी थे, अौर उनकी फिल्म तो बस मून लैंडिंग का एक सफ़ल अभ्यास मात्र थी.

2001-A-Space-Odyssey

इसके समर्थन में चाहनेवालों ने कूबरिक की फिल्मों से सबूत भी ढूंढ निकाले हैं. 'दि शाइनिंग' में बच्चे ने पहनी 'अपोलो 11' टीशर्ट अौर जैक निकलसन के टाइपराइटर पर लिखा डॉयलॉग "all work and no play makes jack a dull guy" में all को A11 पढ़कर बताया गया कि इनके ज़रिए फिल्ममेकर कूबरिक अपोलो मिशन की मून लैंडिंग से अपने कनेक्शन का इशारा कर रहे हैं. कुछ अौर लोग तो इसे खींचकर वहां तक ले जाते हैं, जहां वो बताते हैं कि फिल्म में कूबरिक का रहस्यमय होटल रूम का नंबर 237 रखना भी धरती अौर चांद के बीच की दूरी की तरफ़ इशारा था, जो कि 238,000 मील है!

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