रिपब्लिक डे पर इंडिया आने वाला मेहमान बोलता नहीं, ज़हर उगलता है
बातें सुन लेंगे तो आपका भी मन खट्टा हो जाएगा.
Advertisement

ब्रासिलिया में हुए 11वें BRICS समिट में पीएम मोदी ने जायेर को मुख्य अतिथि के रूप में गणतंत्र दिवस पर बुलाने की बात कही. जायेर ने उनका निमंत्रण स्वीकार भी कर लिया. 26 जनवरी 2020 को गणतंत्र दिवस पर होने वाले आयोजन मेंजायेर आयेंगे. (तस्वीर: Getty Images)
ब्राज़ील में बिजनेस की दुनिया का हाल देखकर मुझे दुःख होता है. क्योंकि इतने सारे लेबर लॉज़ वाले इस देश में बॉस होना एक दुर्भाग्य है. एक पुरुष और एक जवान महिला के बीच अगर चुनना हो, तो व्यवसायी क्या सोचेगा? इस औरत की उंगली पर तो अंगूठी है (यानी इसकी सगाई हो गई है), जल्द ही प्रेगनेंट हो जाएगी, फिर छह महीने की मैटरनिटी लीव पर चली जाएगी. इन सबके पैसे कौन देगा? जिसका बिजनेस है वो. अंत में पैसा सोशल सिक्योरिटी से कट जाएगा लेकिन काम का फ्लो तो टूट गया न. और जब वो वापस आएगी, तो एक महीने की छुट्टी भी लेगी. आखिर में एक साल में सिर्फ पांच महीने काम करेगी.
ऊपर लिखी बातें किसी वॉट्सऐप फॉरवर्ड से नहीं ली गई हैं. ये बातें कही हैं ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायेर बोल्सोनारो ने.औरतों, अश्वेतों,समलैंगिकों को लेकर जितना उन्होंने ज़हर उगला है, वो किसी का भी मन खराब कर दे.

इनकी बात क्यों कर रहे हैं हम?
हाल में ख़बरों में आए जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इनकी मुलाक़ात हुई. 11वें BRICS समिट में. वहीं पर 13 नवंबर को पीएम मोदी ने उनको न्यौता दिया. कि आइए. हमारे गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनकर. बोल्सोनारो ने कहा, आ जाएंगे. तो कुल मिलाकर बात ये है कि अगले गणतंत्र दिवस पर ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायेर बोल्सोनारो मुख्य अतिथि बनकर भारत तशरीफ़ लायेंगे.
आर्मी में रह चुके बोल्सोनारो ने जब राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था, तब ब्राज़ील की औरतें सड़क पर उतर आई थीं. नारे लगाने के लिए. एले नाओ. यानी वो नहीं. नॉट हिम. बोल्सोनारो को ट्रंप ऑफ़ ट्रॉपिक्स भी कहा जाता है. ट्रंप के खिलाफ जिस तरह अमेरिका में महिलाएं मोर्चा लेकर खड़ी हुई थीं, वैसे ही ब्राज़ील में बोल्सोनारो के खिलाफ महिलाओं का ऐतिहासिक हुजूम उतरा था.

लेकिन दोनों में सिर्फ इतनी ही समानता नहीं है.
बोल्सोनारो राईट विंग से हैं. यानी दक्षिणपंथी. सोशल लिबरल पार्टी से हैं. 1 जनवरी, 2019 को ब्राज़ील के राष्ट्रपति बने थे. पहले आर्मी में थे. कैप्टन के पद पर. उसके बाद 1989 में राजनीति में आए. 2018 में हुए चुनावों में उन्होंने वर्कर्स पार्टी के नेता फर्नान्डो हद्दाद को हराया और राष्ट्रपति बने. इनके बयान इन्हें चर्चा में बनाए रखते हैं. अधिकतर ये बयान बेहद स्तरहीन और भड़काऊ होते हैं.
जैसे बोल्सोनारो ने धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देते हुए एक कार्यक्रम में कहा था,
ईश्वर सबसे ऊपर है. धर्म निरपेक्ष राज्य का कोई इतिहास नहीं रहा है. ये एक ईसाई राज्य है. जो इसके खिलाफ हैं वो इसे छोड़कर जा सकते हैं. अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों के सामने झुकना ही होगा.खुद को आउटसाइडर कहने वाला ये व्यक्ति एक देश का राष्ट्रपति बना. एक ऐसा व्यक्ति जो टॉर्चर का समर्थन करता है. नरसंहार की वकालत करता है. मूलनिवासी लोगों को निकाल बाहर करने की बात करता है. उनकी ज़मीन उनसे छीनने का आह्वान करता है. होमोसेक्सुअल लोगों के लिए नफरत भरी बातें करता है.
एक ऐसा नेता जो कहता है कि मेरा बेटा एक्सीडेंट में मर जाए तो ठीक रहे. लेकिन समलैंगिक हो जाए, ये मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा.
जो कहता है,
अगर मेरी बिल्डिंग में कोई गे कपल रहने आएगा, तो उसकी कीमत घट जाएगी. अगर वो आस-पास हाथ पकड़ कर चलें, एक दूसरे को चूमें, तो उसकी कीमत गिर जाएगी. कोई भी ये इस डर के मारे इसलिए नहीं कहता कि कहीं उसे होमोफोब (समलैंगिकों से घृणा करने वाला) का तमगा न मिल जाए.एक ऐसा नेता जो एक महिला सांसद से कहता है कि मैं रेपिस्ट नहीं हूं, लेकिन अगर होता भी तो तुम्हारा रेप नहीं करता क्योंकि तुम मेरे टाइप की नहीं हो. तुम बदसूरत हो.
ये सब कुछ. खुलेआम. बिना किसी डर के.
और तालियां बजाई जाती हैं. लोग उसे अपना प्रतिनिधि चुन लेते हैं. इतना ही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी का मुखिया उसे पलक पांवड़े बिछा अपने देश आने का न्यौता दे देता है.

किसी की पलक नहीं झपकती. कोई सवाल नहीं उठाता. डिप्लोमेसी और राजनीति के नाम पर एक नफरत से भरे आदमी के साथ गलबहियां करना जायज़ ठहरा दिया जाता है. लोग कहते हैं एवरीथिंग इज फेयर इन लव एंड वॉर. उसमें पॉलिटिक्स जोड़ना कौन भूल गया, पता नहीं. पर जोड़ ही देना चाहिए.
वीडियो: 1983 में कपिल देव का जो नटराज रूप दुनिया नहीं देख पाई, क्या उसे रणवीर सिंह सच में दिखा देंगे?