अपनी पुस्तक 'स्वांग' में व्यंग्यकार ज्ञान चतुर्वेदी ने मूर्खता का पर्यायवाची किसे बताया?
किसी समय मनोरंजन के लिए किया जाने वाला स्वांग अर्थात अभिनय अब लोगों के जीवन का ऐसा यथार्थ बन चुका है जहां पूरा समाज एक विद्रूप हो गया है.
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