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कैसी थी कैप्टन गोपीनाथ की जिंदगी, जिस पर फिल्म बनी तो नेशनल अवॉर्ड्स की झड़ी लग गई?

तमिल फिल्म 'सूराराई पोट्रू' ने 7 नेशनल फिल्म अवार्ड जीते.

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जी आर गोपीनाथ. (फोटो क्रेडिट- india Today/Vanu Dev, Bangalore)
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सौरभ
25 जुलाई 2022 (Updated: 25 जुलाई 2022, 09:33 PM IST)
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"मैंने दूध बेचने के लिए जानवर पाले, मुर्गी फार्मिंग की, सिल्कवॉर्म फार्मिंग की, एक मोटर साइकिल का डीलर बना, स्टॉक ब्रोकर बना, सिंचाई से जुड़े सामान बेचे, कृषि सलाहकार बना, नेता बना और अंत में एक एविएशन ऑन्त्रप्रेन्योर बना- struggling, falling, rising, falling, rising again and taking off."

'सिंपली फ्लाईंग' किताब की इन दो पंक्तियों में एक जिंदगी की पूरी कहानी है. वो कहानी जिसे इस बार नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला. ये कहानी है कैप्टन जी आर गोपीनाथ की. जिन पर कॉलीवुड यानी तमिल सिनेमा इंडस्ट्री ने एक फिल्म बनाई जिसका नाम है 'सूराराई पोट्रू'. इस फिल्म को 2020 के नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में 7 कैटेगरी में सम्मानित किया गया है.

कैप्टन जीआर गोपीनाथ

कैप्टन गोपीनाथ का जन्म 13 नवंबर, 1951 को कर्नाटक में मैसूर के गोरूर में हुआ था. अपने गांव में शुरुआती पढ़ाई के बाद गोपीनाथ ने सैनिक स्कूल का एंट्रेंस दिया और पास हो गए. इसके बाद उनकी आगे की पढ़ाई सैनिक स्कूल में हुई, जहां वो सेना के अफसर के रूप में तैयार हुए. स्कूलिंग के बाद उनका चयन NDA यानी नेशनल डिफेंस एकेडमी में हुआ. गोपीनाथ ने सेना में 8 साल नौकरी की. लेकिन बताया जाता है कि सेना में वो खुद को बंधा हुआ महसूस कर रहे थे. कुछ नया करने की चाहत थी. सो गोपीनाथ ने इस्तीफा दे दिया. तब उनकी उम्र मात्र 28 साल थी.

इसके बाद उन्होंने कई क्षेत्रों में हाथ आज़माया. गोपीनाथ ने दूध बेचने के लिए मवेशी पाले. मुर्गी पालन भी किया. इसके बाद इकोलॉजिकल सस्टेनेबल सेरीकल्चर फार्म चलाया. इसे सरल भाषा में समझें तो रेशम के कीड़े पाले. इस काम के लिए उनकी दुनियाभर में तारीफ हुई. लेकिन गोपीनाथ को अभी तक वो नहीं मिला जिसे वो ढूंढ रहे थे. इसके बाद गोपीनाथ ने उडुपी में एक होटल भी चलाया और एक बाइक का बिज़नेस भी किया.

फिर 1997 में गोपीनाथ को वो मिल गया था जिसकी उन्हें तलाश थी. उन्होंने डेक्कन एविएशन नाम की एक कंपनी बनाई. ये कंपनी चार्टर हेलिकॉप्टर सर्विस देती थी. मतलब प्राइवेट हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराती थी. गोपीनाथ इस कंपनी के को-फाउंडर थे. लेकिन अभी गोपीनाथ को वो मुकाम हासिल करना बाकी था जिसके पीछे वो सालों से लगे थे.

NDTV को दिए एक इंटरव्यू में गोपीनाथ कहते हैं,

"मैंने देखा कि पूरे देश में लोग सबकुछ खरीद रहे हैं सिवाए हवाई जहाज के टिकट के."

और गोपीनाथ की इसी सोच ने देश को एक किफायती एयरलाइंस दी. 2003 में गोपीनाथ ने एयर डेक्कन बनाई. एक लो कॉस्ट एयरलाइंस. हालांकि गोपीनाथ के इस वेंचर को सक्सेसफुल बिज़नेस की गिनती में रखना थोड़ा मुश्किल होगा. वो एयरलाइंस को ज्यादा दिन चला नहीं पाए. साल 2007 में एयर डेक्कन का मर्जर विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइन्स के साथ हो गया.

लेकिन गोपीनाथ ने यहां भी हार नहीं मानी. एयर डेक्कन के बाद 2009 में गोपीनाथ ने डेक्कन 360 नाम की कंपनी बनाई. ये एक कार्गो एयरलाइन्स थी. यानी माल ढुलाई वाले हवाई जहाजों की कंपनी. हालांकि ये बिज़नेस भी सफल नहीं रहा. जुलाई 2013 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने इसे बंद करने का आदेश दे दिया. कोर्ट ने आदेश इस लिए दिया था क्योंकि डेक्कन 360 ने दो कंपनियों का बकाया नहीं चुकाया था और कोर्ट से अपील की थी कि डेक्कन 360 को बेच कर भुगतान कराया जाए.

राजनीति में भी आजमाया हाथ

कैप्टन गोपीनाथ ने 2009 में बेंगलुरु साउथ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. इसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली. 2014 में गोपीनाथ ने AAP के टिकट पर चुनाव लड़ा. लेकिन इस बार भी वो खाली हाथ रहे.

गोपीनाथ ने दो किताबें भी लिखीं. एक अपनी जीवनी ‘सिंपली फ्लाइंग’ और दूसरी ‘यू कैन नॉट मिस द फ्लाइट: ऐसेज ऑन इमर्जिंग इंडिया’. तमिल फिल्म 'सूराराई पोट्रू' गोपीनाथ की जीवनी सिंपली फ्लाइंग पर ही आधारित है. जिसे 2020 के नेशनल अवॉर्ड्स में इस फिल्म को सबसे ज्यादा सम्मानित किया गया.

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