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समोसे वाले को सोनम गुप्ता से प्यार क्यों हुआ

इंटरनेट पर पहली बार सोनम गुप्ता की बेवफाई का सच: पार्ट 3

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30 अगस्त 2016 (Updated: 13 फ़रवरी 2018, 02:58 PM IST) कॉमेंट्स
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Sonam gupta bewafa hai. ये लिखकर गूगल पर एंटर मारो. सबसे ऊपर आएगा 10 रुपए का ये नोट. तुड़ा मुड़ा हुआ सा नोट लेकिन गांधी की मुस्कराहट बरकरार. इस नोट पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है ‘सोनम गुप्ता बेवफा है.’ फेसबुक-व्हॉट्सएप पर बीते दिनों इस नोट की तस्वीर खूब वायरल हुई. लेकिन क्या किसी ने जानने की कोशिश की, कि इसके पीछे क्या कहानी है? इसे देखकर हमारे साथियों ने सोनम गुप्ता की कथित बेवफाई की संभावित कहानियां लिखी हैं. ये सभी कहानियां काल्पनिक हैं, लेकिन उस सनकपन की पड़ताल करती हैं, जिसमें किसी ने इस नोट पर ये बात लिखी होगी. हो सकता है इनमें से कोई कहानी आपको हंसाए, कोई रुलाए. लेकिन हार्ट बीट कंट्रोल करके पढ़ना. पहला और दूसरा पार्ट आप पढ़ चुके होंगे ऐसी उम्मीद है. न पढ़ा हो तो सबसे नीचे लिंक है. यहां तीसरा पार्ट पढ़ो.

1. सोनम ने बदला सरनेम

by केतन बुकरैत भाईसाब! बड़ी सयानी लड़की थी सोनम गुप्ता. पहिले तो ये सोनम कपूर हुआ करती थी. लेकिन फिर इश्क़ में पड़ गयी. गुप्ता से. गुप्ता वही, जिनकी समोसे की दुकान थी. समोसा ऐसा कि आलू अन्दर जाते ही आलू नहीं अनन्नास बन जाए. ऐसा समोसा बना दे कि ये ओबामा-वोबामा अर्गर-बर्गर भूल जायें. लाइन लगती थी लाइन. डेढ़ कमरे की दुकान जिसमें झां* भर की खड़े होने की जगह. लेकिन आदमी माने ही ना. शाम चार बजे के बाद गली में कोई घोड़ा-गाड़ी लेके नहीं जाता था. लड़के ट्यूशन पढ़ने जाएं तो अगली गली से कट मरें. गुप्ता की भीड़ के फेर में कौन पड़े. गुप्ता. आशीष गुप्ता. मात्र 24 साल का लौंडा. शरीर पर चिकनाई ना हो और शर्ट पहन ले तो एकदम हीरो. बाल महीन कटवाता था. बॉडी बनी हुई थी. पिछले साल पापा 'एक्सपायर' तबसे जिम बंद है. दुकान पे ही रहना होता है. वहीं आई एकदिन सोनम कपूर. एकदम छरहरा बदन. गोरी भी और चिट्टी भी. बाकायदे. चेहरा ऐसा कि मन करता था बस देखते रहो. गलीच लौंडे उसे चूमना चाहते थे. मन ही मन में चूमने से भी उन्हें वो संतोष नहीं मिल पाता था जो वो चाहते थे. मोहल्ले के कुछ एक अधेड़ दुनिया में उससे कुछ साल पहले आ जाने को खुद को कोसते थे. वो दो बार कोचिंग बदल चुकी थी. पहली वाली में उसके पीछे बैठे लड़के ने उसके कान में कहा था, "लोगी?" और दूसरी वाली में उसे टेस्ट में 25 में पूरे 23 नम्बर मिले थे. जबकि उसने लिखा ही 8 नम्बर का था. पढ़ाई में अच्छी थी लेकिन उस दिन तबीयत खराब थी उसकी. फिर भी 23 नम्बर? उसे अशोक सर वैसे भी गड़बड़ ही लगते थे. अब तीसरी कोचिंग में जाती थी. इसी के रास्ते में गुप्ता के समोसे की दुकान थी. लौटते वक़्त अपनी एक दोस्त के साथ पहुंची थी. गुप्ता की दुकान पे. आशीष उस दिन भी बंडी पहिने बैठा था. बगलें एकदम ताजी छिली. सोनम ने दो समोसे लिए. दस के दो. खा लेने के बाद अपनी छोटी सी पर्स से दस का एक नोट निकाला. आशीष को पकड़ाया. इस 'लेन-देन' के कार्यक्रम में सोनम की अंगुलियां आशीष की हथेलियों में छू गयीं. वो हथेलियां जो दिन भर मैदे में सनी रहती थीं, उन्होने अब तक उससे नाज़ुक चीज़ को नहीं छुआ था. वैसे आशीष अगर यहां होता तो सोनम की अंगुलियों को चीज़ कहने पर नाराज़ होता. खैर, उस रोज़ ग्राहकों की चांदी थी. रुपये पैसों का कोई हिसाब किताब नहीं था. 1 समोसा लेकर 10 की नोट देने वाले को 45 रुपये लौटाए जा रहे थे. कहीं किसी को बिना चटनी तो कहीं तीन समोसे एक्स्ट्रा दिए जा रहे थे. आशीष गुम था तो बस उस छुअन में. उस रात उसने फ़ोन में संघर्ष का गाना डाउनलोड किया. जो शुरू होता था - "तेरी एक छुअन से जागा, ये कैसा अहसास, पहले तो महसूस हुई न, मुझको ऐसी प्यास!" गाने के बोल उसने अनेकों बार गुनगुनाये थे, मतलब आज समझ आ रहा था. आशीष पहली पहली बार दिल हार चुका था. सोनम की दी हुई वो दस की नोट अब भी उसकी जेब में थी. सोनम कपूर को अब समोसे का स्वाद लग चुका था. और गुप्ता की हथेलियों को सोनम की अंगुलियों की. उस एक छुअन से उसके अन्दर अहसास जाग रहे थे. अपनी प्यास को महसूस करते करते. सोनम का शम को कोचिंग से वापस आना अब गुप्ता की घड़ी बन चुका था. सन्डे से उसे नफरत थी. दफ़्तर वालों से भी. क्यूंकि इन्हीं मनहूसों की वजह से सन्डे को छुट्टी होती थी. वरना सोनम उस दिन भी कोचिंग जाती और वो उसे उस दिन भी छू सकता. गुप्ता को हालांकि ये तो मालूम नहीं था कि सोनम के आगे क्या है लेकिन उसने एक रोज़ मैदे में मोयन का अंदाजा लगाते-लगाते सोनम को सोनम गुप्ता में तब्दील कर दिया. इधर सोनम की कोचिंग में वही हुआ जो सदियों से कोचिंगों में होता आ रहा है. लड़कों में कानाफूसी हुई और तय हो गया कि ये नयी लड़की 'किसकी है'. जिसका तय हुआ, वो हर रोज़ सोनम गुप्ता (बदला हुआ नाम) के पीछे बैठ गाने गुनगुनाने लगा. और इसी क्रम में कोचिंगों के रिवाज़ों के अनुसार सोनम को एक दिन अपनी नोटबुक में एक प्रेम पत्र मिला. इस पत्र को अश्लीलता की रेटिंग में काफ़ी ऊपर रखा जा सकता था. पंद्रह दिन तीसरी कोचिंग के बाद अब सोनम गुप्ता चौथी कोचिंग में जा रही है. गुप्ता की आखिरी शाम उसी रोज़ हुई थी जब सोनम आख़िरी बार समोसे लेने आई थी. अब उसकी दोस्त आती है. किसी और दोस्त के साथ. आज गुप्ता ने शर्ट पहनी है. वो दुकान में नहीं, दुकान के बाहर है. आज पहली बार गुप्ता की दुकान बंद है. वो उस चौराहे पर खड़ा है जहां से हर कोचिंग जाने वाले को गुज़रना ही पड़ता है. उसकी जेब में अब भी वो दस का नोट मौजूद है. सोनम वहीं चौराहे पर खड़ी कुंदन की दुकान पर टिक्की खा रही है. अगर गुप्ता समोसे के लिए मशहूर था तो कुंदन अपनी टिक्कियों के लिए. गुप्ता की हथेलियां जिस छुअन के लिए तड़प रही थीं वो कुंदन के हिस्से में जा रही थीं. जो बात गुप्ता को सबसे ज़्यादा साल रही थी वो ये कि इस बात का सोनम को ज़रा भी अफ़सोस नहीं था. गुप्ता किसी भी हाल में सोनम को अपना बनाना चाहता था. आज उसे सोनम सचमुच कोई चीज़ ही मालूम दे रही थी. उसने अपनी जेब से वो नोट निकाला. और उसपर लिख दिया - "सोनम गुप्ता बेवफा है." और उस दिन से सोनम कपूर सोनम गुप्ता बन हमेशा के लिए आशीष गुप्ता की हो गयी.

2. कॉमा की कमी ने फैलाई भसड़

by श्री श्री मौलश्री बबलू. मोहल्ले का सबसे आवारा लड़का. लोफर. पागल. मंदबुद्धि. ये उसके निकनेम हैं. 27 साल का हो गया है. अभी भी 10-15 साल के लौंडों के साथ कंचे खेलता है. गर्मी की शामों में साइकिल के टायर के पीछे लकड़ी लेकर दौड़ता है. जब सारे लड़के स्कूल गए होते हैं. वो पार्क की दीवार पर बैठ जाता है. नाक से काले-काले खुरजे निकालता है. बहुत देर तक उंगलियों के बीच उनको घुमाता है. फिर किसी की गाड़ी या किसी पेड़ की डाली पर निशाना लगा कर फेंक देता है. ये करने में उसकी आंखों में अलग सी चमक होती है. घर जाना उसको अच्छा नहीं लगता. पापा सरकारी स्कूल में टीचर थे. तीन महीने पहले रिटायर हुए हैं. हर वक़्त नौकरी, पढ़ाई, सीरियस. ऐसे कुछ शब्द इस्तेमाल करके बबलू को खूब डांटते हैं. तो बबलू अब छुप-छुप कर घर जाता है. खाना खाता है. फिर बाहर निकल जाता है. टायर घुमाने, कंचे खेलने और नाक के खुरजे निकलने के अलावा बबलू को एक चीज़ और बहुत पसंद है. सोनम. गुप्ता जनरल स्टोर वाले गुप्ता की पत्नी. सोनम बबलू से अच्छे से बात करती हैं. उसको पागल, आवारा भी नहीं बोलतीं. उसकी बातें सुनती हैं. उसके जोक्स पर हंसती हैं. सोनम एक स्कूल में पढ़ाती हैं. शाम को 4 बजे घर वापस आती है. गुप्ता जनरल स्टोर जाती है. अपने पति से घर की चाभी लेती हैं. 10 मिनट सुस्ताती है. फिर घर चली जाती है. गुप्ता सोनम से बहुत प्यार करता है. बबलू को भी सोनम बहुत पसंद है. वो चाहता है कि सोनम हमेशा खूब खुश रहे. बस. बबलू के पापा को सब लोग मोहल्ले में बहुत मानते हैं. 'मास्टर जी' कह कर अभी भी लोग उनका पैर छूते हैं. मास्टर जी को अपने लड़के की बहुत चिंता होती है. क्या करेगा. कहां जाएगा. कौन बियाहेगा इस पागल से अपनी लड़की. न कमाने की अकल है ना जीने का कोई सहूर. मास्टर जी ने गुप्ता जी से कहा. हमारे लड़के को अपनी दुकान में रख लो. पैसा चाहे एक ना देना. कुछ काम सिखा देना. कम से कम दिन भर की आवारागर्दी कम होगी. कुछ ज़िम्मेदारी आएगी. गुप्ता ने रख लिया. मास्टर जी को कैसे मना करता. अगले दिन से बबलू गुप्ता जनरल स्टोर में शैम्पू के पाउच काटता. निरमा, विम बार के पैकेट कपडे से पोंछकर कस्टमर को देता. भारी बोरियां उठाता. आटा, चावल अलग-अलग कनस्तर में रखता. बदले में गुप्ता मास्टर जी के लड़के को अपने टिफिन में से खाना खिलाता. शाम को जब सोनम आती. चाभी गुप्ता से लेतीं. तब घर जातीं. बबलू सोनम के लिए सबसे सिपेसल चाय लेकर आता. सोनम मुस्कुराकर थैंक्यू बोल देतीं. बबलू का पूरा दिन बन जाता. फिर एक दिन बवाल हो गया. बबलू जब सवेरे दुकान पर पहुंचा. गुप्ता पहले से ही दुकान में था. उसके साथ एक लड़की थी. दोनों हंस-हंस कर खूब बतिया रहे थे. बबलू को खराब लगा. सोनम का पति है. फिर भी दूसरी लड़की के साथ मिलकर हंस रहा है. कितनी अच्छी हैं सोनम. और ये कितना गंदा आदमी है. वो लड़की पूरे दिन दुकान पर रही. पूरे दिन बबलू का मुंह सड़ा हुआ ही रहा. दिमाग खराब हो रहा था उसका. दोनों की बातों से पता चला. ये लड़की गुप्ता और सोनम की कॉलेज की दोस्त है. सोनम से मिलकर ही जाएगी. छी. कैसी लड़की है ये. और ये साला गुप्ता. कैसे हाथ पकड़ कर इससे बातें कर रहा है. सोनम को पता चलेगा तो कितना बुरा लगेगा. वो कितनी परेशान हो जाएगी. बबलू को लग रहा था उसका दिमाग फट जाएगा. उसको अपनी आंखो अपने कानों से धुंआ निकलता हुआ फील हो रहा था. शाम को जब सोनम चाभी लेने दुकान पर आई. बबलू भाग कर चाय लेने निकला. सोनम ने पर्स से 100 की नोट निकल कर उसको दी. कहा समोसे भी ले आना. जल्दी से भागकर वो दुकान पहुंचा. दुकान वाले ने छुट्टे पैसे लौटाए. बबलू सोच रहा था सोनम को पता तो चलना चाहिए. उसका पति आज सुबह से दुकान में क्या कर रहा है. उसने एक 10 की नोट पर लिख दिया जो सोनम को सुबह से बताना चाहता था. जब पैसे लौटाए. वो वाला नोट सबसे ऊपर रख दिया. पैसे गुप्ता ने वापस लिए. ऊपर वाले नोट पर लिखा था, 'सोनम गुप्ता बेवफा है'. गुप्ता ने सोनम को देखा. वो अपनी दोस्त से बतियाने में बिजी थी. गुप्ता ने बबलू को वहां से भगा दिया. थोड़ी देर तक गुप्ता और सोनम के बीच कुछ बातें हुईं. 'मोहल्ले के लोग मुझे तुम्हारे बारे में ये सब बता रहे हैं. मैं कितना प्यार करता था तुमसे.' गुप्ता सोनम से कह रहा था. सोनम की आँखों से आंसू बह रहे थे. फिर गुप्ता दुकान छोड़ कर बाहर निकल गया. उसके पीछे सोनम और उसकी दोस्त भी चले गए. दो दिनों तक दुकान बंद रही. सोनम अपनी मम्मी के घर चली गई थी. गुप्ता ने बबलू को नौकरी से निकाल दिया. बबलू फिर से चौराहे पर बैठकी करने लगा. कंचे और टायर खेलने लगा. पार्क की मुंडेर पर बैठ कर नाक के खुरजे से खेलता था. और सोचता था. एक बढ़िया काम किया ज़िन्दगी में. सोनम को गुप्ता की असलियत बता दी. बिना कॉमा वाली उस एक लाइन ने क्या भसड़ मचाई थी. बबलू को कभी पता नहीं चला.

3. कनफ्यूजन है भौत जादे

by ऋषभ ये सच है कि सोनम गुप्ता बेवफा है. ये बात मैं एक हज़ार बार कहूँगा. पर आप नहीं कह सकते. एक बार भी. नितेश भी नहीं कह सकता. जयंत और मोनू तो कतई नहीं. मैं मुंह तोड़ दूंगा. क्योंकि इन हरामी लौंडों के साथ सोनम ने बेवफाई तो की ही नहीं थी. जम के फायदा उठाया था इन लोगों ने उसका. सोनम सिंपल लड़की थी. बीस रुपये का खर्चा था उसका. इन सालों की पचीस रुपये की औकात थी. सोनम खुले विचारों की लड़की थी. जिज्ञासाएं थीं उसे. खुल के जीना जानती थी. उसे क्या पता था कि इन सालों के दिमाग में क्या चल रहा है? सोनम को ऐतराज भी नहीं था. सटो और हटो. बात ख़त्म. एक लाइफ है. पर मुझे पता था कि ये लौंडे क्या चाहते हैं. मैं लड़का हूँ. मैं सब जानता हूँ. तो सोनम से मैंने बात शुरू कर दी थी. सब कुछ शेयर करता था. उसकी खातिर सिगरेट पीने लगा. चिकन खाने लगा. मूंछें हटा दीं. जीन्स फाड़ ली घुटने पर. इश्क था मुझे. किसी को पता नहीं होगा. जब जयंत ने सोनम की ऐसी-तैसी कर दी थी तब मैं ही था जिसने सोनम का सिर दो घंटे दबाया था. नितेश और मोनू ने सोनम को दोनों तरफ से पकड़ के खींच दिया था. मैं ही उसे साइकिल पर बैठा के घर छोड़ने गया था. रितिक की हर फिल्म मैंने सोनम को दुर्गा टाकिज में दिखाई थी. 20 रुपये गेटकीपर को देने पड़ते थे. कि किसी से बताये ना. सोनम को कौन 'मर्डर' दिखा सकता था? जयंत के साथ जा पाती? मैंने दिखाया था. मल्लिका के हर सीन पर मैं आँखें नीचे कर लेता था. ताकि सिर्फ सोनम देखे. मेरे मन में बुरे विचार ना आयें. गलती से आँख उस समय उठ गयी, जब मल्लिका का पेट हिल रहा था. फिर पता नहीं क्या हुआ कि मैंने सोनम को अपनी तरफ खींच लिया. इतना तो जयंत महालक्ष्मी वस्त्रालय में कर देता था. मैं तो फिर भी बहुत कण्ट्रोल में था. मुझे लगा था सोनम मेरी भावनाओं को समझेगी. पर उसने दो टूक कह दिया: अभी नहीं, शादी के बाद. मुझे इस बात से धक्का नहीं लगा था. दुःख बस इस बात का था कि सोनम ने मेरे इश्क के साथ बेवफाई की थी. किसी को पकड़ ले, छोड़ दे, ये सब तो जिंदगी में चलता ही रहता है. पर इश्क की तौहीन करनेवाला ही असली बेवफा होता है. और सोनम ने उस दिन इश्क की इस परीक्षा में टॉप कर लिया था. किसी को पता हो ना हो, मैं जानता हूँ कि सोनम गुप्ता बेवफा है.
इंटरनेट पर पहली बार सोनम गुप्ता की बेवफाई का सच: पार्ट 1इंटरनेट पर पहली बार सोनम गुप्ता की बेवफाई का सच: पार्ट 2हमारे पास आपकी स्टोरी आईं. लेकिन एकाध को छोड़कर मजेदार नहीं थी गुरू. ऐसा नहीं है कि हमारी ज्यादा अच्छी हों, लेकिन फिर भी लिखने वाले को अपनी भंटास लगती है (आंख मारने वाला स्माइली). खैर, आप भेजें. अपन पढ़कर लगाते हैं.

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