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सबरीमाला मंदिर में तड़के 2 औरतों के घुसने के बाद जो हुआ, वो बेहद शर्मनाक है

महिलाओं के प्रवेश के बाद मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए गए हैं.

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सबरीमाला मंदिर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तीन महीने बाद दो महिलाओं ने घुसाने में कामयाबी हासिल की.
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विनय सुल्तान
2 जनवरी 2019 (Updated: 2 जनवरी 2019, 11:58 AM IST) कॉमेंट्स
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मैं वहां से बोल रहा हूं जहां मोहनजोदड़ो के तालाब की आख़िरी सीढ़ी है जिस पर एक औरत की जली हुई लाश पड़ी है और तालाब में इंसानों की हड्डियां बिखरी पड़ी हैं

इसी तरह से एक औरत की जली हुई लाश बेबीलोनिया में भी मिल जाएगी और इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां मेसोपोटामिया में भी

मैं सोचता हूं और बार-बार सोचता हूं ताकि याद आ सके- प्राचीन सभ्यताओं के मुहाने पर एक औरत की जली हुई लाश मिलती है और इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां इसका सिलसिला सीरिया के चट्टानों से लेकर बंगाल के मैदानों तक चला जाता है और जो कान्हा के जंगलों से लेकर सवाना के वनों तक फैला हुआ है.

-रमाशंकर यादव 'विद्रोही'

राजा जनक के दरबार में वाचकन्वी गार्गी ने याज्ञवल्क्य से पूछा, "और ब्रह्मलोक किसमें जाकर मिल जाता है?" गार्गी सृष्टि की उनकी व्याखा को उधेड़ते चली जा रही थी. अब तक याज्ञवल्क्य गार्गी के सवालों की लंबी श्रृंखला से झुंझला चुके थे. उन्होंने गार्गी से कहा, 'गार्गी, माति प्राक्षीर्मा ते मूर्धा व्यापप्त्त्'. मतलब, "हे गार्गी, इतने सवाल मत पूछ वर्ना तेरा सिर गिर जाएगा." इस बात को तीन हजार साल हो गए. माथे पर चंदन चुपड़े हुए तमाम पुरोहित इस देश की आधी आबादी की पवित्रता और अपवित्रता के बारे में आखिरी फैसला देते रहे.

2019 की शुरुआत बेहद नाटकीय तरीके से हुई. 1 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को 1 घंटे 35 मिनट का मैराथन इंटरव्यू दिया. इस इंटरव्यू के दौरान सबरीमाला में औरतों की एंट्री के सवाल पर उन्होंने कहा कि देश में कई ऐसे मंदिर हैं जहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित है. वहां इस नियम का पालन किया जाता है. इस पर किसी को समस्या नहीं होती. अगर लोगों की आस्था है कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश न हो, तो उसका भी खयाल रखा जाना चाहिए. इधर, केरल में औरतें लैंगिक समानता की मांग को लेकर 620 किलोमीटर लम्बी मानव श्रृंखला बनाकर खड़ी थीं .

इन दो विरोधाभासी स्थितियों के बीच कनकदुर्गा और बिंदु नाम की दो औरतें खुद को भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए तैयार कर रही थीं. 2 जनवरी के तड़के 3 बजकर 45 मिनट पर बिंदु और कनकदुर्गा नाम की दो औरतों ने आखिरकार भगवान अयप्पा के मंदिर में छापामार तरीके से प्रवेश किया और मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने में कामयाब रहीं. 1991 में सबरीमाला मंदिर में औरतों के प्रवेश को लेकर केरल हाईकोर्ट में पहली पीआईएल दाखिल हुई थी. उस समय हाईकोर्ट ने आस्था के नाम पर औरतों पर लगे प्रतिबंध को सही करार दिया था. 28 सितंबर 2018 को सुप्रीमकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तीन महीने बाद 2 जनवरी को 10 से 50 साल के बीच की उम्र की कोई महिला अयप्पा मंदिर में घुसने में कामयाब रही है.

अयप्पा मंदिर के दरवाजे बंद

बिंदु और कनकदुर्गा के मंदिर में प्रवेश का वीडियो 2 जनवरी की सुबह मीडिया के सामने आया. सूबे के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सुबह खुद महिलाओं की एंट्री की पुष्टि की. इसके बाद मंदिर के आस-पास तनाव की स्थिति पैदा हो गई. मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए गए. कहा जा रहा कि महिलाओं के प्रवेश की वजह से अशुद्ध हो चुके मंदिर की फिर से शुद्ध किया जा रहा है. यह अजीब स्थिति है. भगवान महिलाओं के स्पर्श से अशुद्ध हो रहे हैं. और शुद्धता और अशुद्धता के मसले पर अंतिम फैसला करने का अधिकार किसके पास है? 32,87,263 वर्ग किलोमीटर में फैले इस देश में अगर एक वर्ग फीट जमीन ऐसी है, जहां देश की आधी आबादी को जाने की इजाजत नहीं है, तो यह सोचने की बात है.


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