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प्रयागराज: पुलिस की पिटाई के बाद हॉस्टल छोड़कर गए लड़के के कमरे में दिखा सच!

“मैं अपने रूम पार्टनर से 50 रुपए उधार लेकर सब्ज़ी ख़रीदने आया हूं.”

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प्रयागराज का वो लॉज जहां पुलिस ने तोड़फोड़ की थी.
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सिद्धांत मोहन
30 जनवरी 2022 (Updated: 30 जनवरी 2022, 06:22 PM IST) कॉमेंट्स
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सीन-1 प्रयागराज (पहले का इलाहाबाद) में तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स के बीच एक अनकही-सी परंपरा है. माना किसी स्टूडेंट ने अपना एग्ज़ाम क्वालीफ़ाई कर लिया. नौकरी लगने की गारंटी आ गई. तो जिस कमरे में वो स्टूडेंट अब तक रहा आया है, वो उस कमरे में मौजूद अपना सारा सामान अपने रूम पार्टनर या उस हॉस्टल या लॉज में रह रहे दूसरे स्टूडेंट्स को दे देता है.
ये कमरे अक्सर अंधियारे से होते हैं. एक चरमराता-सा पंखा सीलिंग पर होता है, जिसके ब्लेडों पर एक तरफ़ होते हैं जाले. और ऊपर की कटोरी घरघराती आवाज़ करती है. और कोने में होता है एक LED बल्ब, जिसका होल्डर मटमैला होकर अपने खांचे में से लटक चुका है.
पीछे छूटते हैं किताबें, नोट्स, पेन, कापियां, खाली नोटबुक, मेज़ और कुर्सी. इस मेज़-कुर्सी के सामने दीवार पर लगाया हुआ नक़्शा. याद करने के लिए चिपकाई गई कुछ चीज़ें. अपने विषयों का टाइम टेबल, बिछौना, गद्दा, रज़ाई. उसी कमरे में कोने में पड़ा हुआ एक छोटा-सा किचन.
छोटा बघाड़ा प्रयागराज
छोटा बघाड़ा के एक लॉज का कमरा

स्टूडेंट साथ लेकर जाता है अपनी मार्कशीट की फ़ाइल, अपने कुछ कपड़े, अपना फ़ोन वग़ैरह, अपना बहुत कुछ निजी और एक आत्मविश्वास, जो उसने सलोरी और छोटा बघाड़ा की गलियों में सालों साल की मेहनत के बाद अर्जित किया हुआ है. ये परंपरा दरअसल आत्मविश्वास को साझा करने की जुगत है. आत्मविश्वास के साथ ये भरोसा नत्थी होता है -
“मेरा एग्ज़ाम क्लीयर हो गया, अब तुम भी निकालकर आगे बढ़ो.”
लेकिन इसी प्रयागराज के छोटा बघाड़ा में एक लॉज है. इस लॉज के दूसरी मंज़िल पर बालकनी की ओर एक कमरा है. इस कमरे में रहने वाले ने नौकरी लगने के पहले ही कमरा छोड़ दिया है. अपना अधिकतर सामान समेटकर ले गया है. दीवार पर मानचित्र लगे हुए हैं. एक भारत का. एक यूपी का और एक है पूरे विश्व का. बग़ल में पीरियोडिक टेबल चस्पा है. संख्याओं के वर्ग और घनवर्ग की शीट चस्पा है. कारकों की सूची चस्पा है, जिसपर “कर्ता ने, कर्म को” लिखा हुआ है. और साथ में एक काग़ज़ और चिपका है दीवार पर. इस पर लिखा है,
“NDA के लिए रोज़ 4 सब्जेक्ट पढ़ना है. इंडियन एयरफ़ोर्स के लिए रोज़ 3 सब्जेक्ट पढ़ना है.”
ये काग़ज़ जनवरी 2022 का सबसे दुर्दांत सत्य है. इस कमरे में रहने वाला कहां का रहने वाला था, कहां रह रहा, किसी को नहीं पता. लेकिन इस कमरे के भीतर खिड़की के कांच टूटकर गिरे हुए हैं.

25 जनवरी 2022 को इस लॉज में पुलिस आई थी. RRB की भर्ती को दुरुस्त करने की मांग लेकर प्रोटेस्ट पर बैठ छात्रों की ‘तलाश’ में. तलाश को लिखते समय यूं चिह्नित करने का मतलब भी साफ़ है. इस ‘तलाश’ के वीडियो वायरल हुए थे. पुलिस बंदूक़ की बटों, नलियों, लाठियों और जूतों से इस लॉज के दरवाज़ों और खिड़कियों पर हमले कर रही थी. छात्रों को कमरों से निकाला जा रहा था. उन्हें पीटा जा रहा था. उन पर लाठियां चल रही थीं. उन्हें पुलिसकर्मियों द्वारा गाली भी दी जा रही थीं. और इस दिन के बाद से प्रयागराज के सलोरी और छोटा बघाड़ा में बहुत कुछ बदल गया. कई सारे स्टूडेंट्स अपने सपनों को छोड़कर चले गए. अपने गांवों और अपने क़स्बों की ओर.
प्रयागराज इलेक्शन कवरेज
पुलिस की कार्रवाई के बाद छात्रों के कमरे का नंगा सच
सीन-2 सलोरी का ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज के सामने मिला एक छात्र. मुझसे बात करते हुए अपने खर्चे बताने लगा. कहने लगा कि मकान मालिक को समय से चाहिए किराया. घर वालों को समय से चाहिए नौकरी. हमको चाहिए समय से भर्ती. फिर जनवरी 2022 का सबसे बड़ा वाक्य भी सामने आया -
“मेरी हालत ऐसी है कि मैं अपने रूम पार्टनर से 50 रुपए उधार लेकर सब्ज़ी ख़रीदने आया हूं.”
अभिशप्तता का नोट -

मैं इन सबसे 5-6 किलोमीटर दूर सफ़ेद चादरों वाले बिस्तर पर सोकर और बुफ़े में लगा हुआ नाश्ता खाने के बाद ये लिख रहा हूं.

आत्मबोध का नोट -

“हम सभी छात्र हैं.”


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