एंटी-नेशनल. ये शब्द चलन में है. एकदम वैसे ही जैसे 2000 का नोट. दोनों के चलन में आने की वजह, डायरेक्टली और इनडायरेक्टली एक ही है. कैसे? ये आप समझ ही जाएंगे. फ़िलहाल ये समझिए कि एंटी-नेशनल लोगों की लिस्ट में इज़ाफ़ा हुआ है और नई एंट्री पाने वाले शख्स बने हैं रामचंद्र गुहा. 16 अक्टूबर को अहमदाबाद यूनिवर्सिटी ने रामचंद्र गुहा को बतौर श्रेणिक लालभाई चेयर प्रोफ़ेसर और स्कूल ऑफ़ आर्ट्स एंड साइन्सेज़ के गांधी विंटर स्कूल में बतौर डायरेक्टर बुलाया. 19 अक्टूबर को RSS यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्टूडेंट विंग अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् यानी ABVP ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपना विरोध दर्ज किया. अहमदाबाद यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार BM शाह के सामने उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में बुद्धजीवी होने चाहिए न कि देश विरोधी व्यक्तित्व वाले लोग जिन्हें अर्बन नक्सल कहा जाए. इसके बाद गुहा ने गुरूवार यानी 1 नवम्बर को एक ट्वीट किया और बताया कि ऐसी सिचुएशन की वजह से जो कि उनके कंट्रोल में नहीं है, वो अहमदाबाद यूनिवर्सिटी में बतौर प्रोफ़ेसर नहीं जा पाएंगे और वो यूनिवर्सिटी को आल द बेस्ट कहते हैं.
Due to circumstances beyond my control, I shall not be joining Ahmedabad University. I wish AU well; it has fine faculty and an outstanding Vice Chancellor. And may the spirit of Gandhi one day come alive once more in his native Gujarat.
सुशील ऐरॉन एक पत्रकार हैं. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के एक आर्टिकल को ट्वीट करते हुए कहा कि हालात अब ऐसे हो गए हैं कि मॉडर्न इंडिया का एक स्थापित इतिहासकार अपने ही देश में अपनी पसंद की यूनिवर्सिटी में पढ़ा नहीं सकता है. उनकी इस बात का जवाब देते हुए गुहा ने कहा कि इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि गांधी के बारे में इतना कुछ लिखने वाला शख्स गांधी के ही बारे में गांधी के ही प्रदेश में नहीं पढ़ा सकता है. असल में ये दो ट्वीट सिर्फ़ ट्वीट नहीं थे. ये आईना थे जिसमें हम अपने बदलते हुए देश को देख सकते हैं.
Or, more precisely, a biographer of Gandhi cannot teach a course on Gandhi in Gandhi’s own city. https://t.co/5snAdeIXMc
मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है. ये नारा नरेंद्र मोदी ने बतौर प्रधानमन्त्री दो साल पूरे होने पर दिया था. मेरा देश बदला तो है. आगे बढ़ा है या नहीं, इसमें मुझे कुछ सोचना पड़ेगा. ये लिखते हुए भी मैं इस खतरे को उठा रहा हूं क्यूंकि ऐसा पढ़ने पर आप मुझे भी एंटी-नेशनल कह सकते हैं. क्यों ऐसा होगा? क्योंकि मैं रामचंद्र गुहा के अहमदाबाद यूनिवर्सिटी न जाने की खबर के साथ ही JNU में आने वाले नए प्रोफ़ेसर साहब के बारे में भी बात करूंगा. ये साहब हैं राजीव मल्होत्रा. ये कौन हैं, ये बताने से पहले मैं आपको इनके इंट्रो के लिए ये वीडियो दिखाना चाहता हूं. देखिये -
ये हैं परम आदरणीय राजीव मल्होत्रा जी जो कि दुनिया में लोगों को उनकी संपत्ति अगले जन्म में भी ट्रांसफ़र करने का दावा करते हैं. राजीव मल्होत्रा जी ने लगता है कि तैयारी नहीं की ढंग से. गर्भोपनिषद में लिखा है
पूर्व योनि तहस्त्राणि दृष्ट्वा चैव ततो मया।
आहारा विविधा मुक्ता: पीता नानाविधा: ।
स्तना...।
स्मरति जन्म मरणानि न च कर्म शुभाशुभं विन्दति।।
अर्थात "गर्भस्थ प्राणी सोचता है कि अपने हजारों पहले जन्मों को देखा और उनमें विभिन्न प्रकार के भोजन किये, विभिन्न योनियों के स्तन पान किये. अब जब गर्भ से बाहर निकलूंगा, तब ईश्वर का आश्रय लूंगा. प्राणी बड़े कष्ट से जन्म लेता है पर माया का स्पर्श होते ही गर्भ ज्ञान भूल जाता है. शुभ-अशुभ कर्म लोप हो जाते हैं. मनुष्य फिर मनमानी करने लगता है और इस सुरदुर्लभ शरीर के सौभाग्य को गंवा देता है."
और फिर उसे 84 लाख योनियों में भटकना पड़ता है तब जाकर कहीं उसे मनुष्य योनि में जन्म प्राप्त होगा. मुझे नहीं मालूम है कि राजीव मल्होत्रा और उनका बैंक इतना बड़ा ट्रैक रिकॉर्ड कैसे मेन्टेन रखेगा.
यहां एक बात बता दी जाए कि कहीं भी किसी पर भी कीचड़ उछालने की कोशिश नहीं की जा रही है. यहां सब कुछ फैक्ट्स बेस्ड बात होगी. क्यूंकि कीचड़ उछालना और कालिख पोतना कट्टरपंथियों का काम है और हमारी लड़ाई उसी कट्टरपंथ के ख़िलाफ़ है जो किसी एक भयंकर पढ़े लिखे इंसान को मार-पीट के दम पर किसी यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर नहीं बनने देता है या किसी महिला पत्रकार को जाकर उसके घर के बाहर ही उसके सीने में गोलियां उतार देता है.
एक बार के लिये साल 2015 में वापस चलते हैं. एक ऐक्टर ने कहा था कि उसे लगता है कि देश में असहिष्णुता बढ़ गई है. लोगों को उसका ये कहना सहन नहीं हुआ. उसकी फ़िल्म का विरोध किया गया. वो जिस ब्रांड को एंडोर्स करता था, उसकी ऐप अन-इंस्टाल कर दी. और अंततः ये प्रूव कर ही दिया कि हां इस देश में असहिष्णुता है. यहां एक जमात जो सोच रही है, उसके ख़िलाफ़ अगर आप कुछ भी कहते हैं तो किसी को भी सहन नहीं होगा. और यही उस ऐक्टर ने असल में कहा भी था. उसे कुछ करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ जो कि मुझे यकीन है उसने अगले कुछ महीनों में कमा भी लिए होंगे. लेकिन सही वो ही साबित हुआ. हमने क्या किया? हमने कुनाल कामरा को गुजरात में परफॉर्म करने से रोक दिया? कुनाल को क्यों रोका गया, ये वीडियो क्लिप हमें बता देगी. उसने नोट बंदी पर जोक्स बनाए थे.
नोटबंदी पर मज़ाक दिल्ली भाजपा का अध्यक्ष भी बना रहा था. वो भी उस वक़्त जब उसके उपहास के पात्र लाइनों में लगे हुए थे और हर सुबह ये सोचकर टीवी खोलते थे कि अपने ही पैसे निकालने के लिए आज उन्हें कौन से नए नियम को फॉलो करना होगा. कुनाल तो फिर भी सिस्टम का मज़ाक उड़ा रहा था. आप मनोज तिवारी को सुनिए -
एक नाम और है स्वामी अग्निवेश. भारतीय जनता युवा मोर्चा के गुंडों ने स्वामी अग्निवेश को झारखंड में पीटा. इस दक्षिणपंथी संगठन को ऐसा लगता था कि अग्निवेश ईसाई मिशनरीज़ के साथ मिले हुए हैं और झारखण्ड की कुछ जनजातियों को कन्वर्ट कराने की फ़िराक में हैं. इस अटैक के बारे में खुद भाजपा ने जो बात कही वो शॉकिंग से कम कुछ नहीं थी. कहा गया कि 'स्वामी अग्निवेश का ट्रैक रिकॉर्ड ही कुछ ऐसा है कि इस तरह का रिऐक्शन किसी भी तरह से चौंकाने वाला नहीं है.' ये देश जहां एक तरफ़ एक बाबा के ब्रांड का कथित देसी घी खा रहा है, उसी वक़्त एक बाबा को पीट भी रहा होता है क्योंकि दूसरा बाबा उनके मन की बात नहीं कह रहा था. 4 लाइनें हैं जिन्हें मैं अक्सर इस्तेमाल में लाता रहता हूं, लेकिन ये इतनी फ़िट बैठती हैं कि एक बार फिर से दोहराता हूं -
राई पहाड़ है कंकर शंकर,
बात है छोटी बड़ा बतंगड़,
इंडिया सर ये चीज़ धुरंधर
रंग रंगीला परजातंतर
औरंगाबाद में AIMIM कांट्रेक्टर को पीट दिया जाता है क्यूंकि वो अटल बिहारी को श्रद्धांजलि नहीं देना चाहता था. दीपिका पादुकोण की नाक काटने का ऐलान कर दिया जाता है क्योंकि रानी पद्मवाती के भेस में उनकी कमर दिखाई पड़ रही थी. केरल में आई बाढ़ पर घी के दिए जलाए जाते हैं क्योंकि उस प्रदेश में बीफ़ खाया जाता है. राहुल गांधी को पाकिस्तान से हाथ मिलाया हुआ बताया जाता है क्यूंकि वो रफ़ाएल डील की जानकारी मांग रहे थे. JNU में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को दिल्ली में मकान किराए पर मिलने में मुश्किल होती है क्यूंकि बनाए गए माहौल के मुताबिक़ वहां देश विरोधी गतिविधियां होती हैं. और इनसे निपटने के लिए कैम्पस में टैंक लगाने का भी सुझाव दिया जाता है. दुनिया के सबसे ताकतवर देश का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब मोदी से मिलता है तो कहता है कि वो दोनों ट्विटर के रॉकस्टार हैं. लेकिन इसका क्या फ़ायदा? जब लगभग साढ़े 4 करोड़ फॉलोवर्स रखने वाले नरेंद्र मोदी ट्वीट कर के कहते हैं कि एक जनतंत्र के लिए आलोचना उसकी आधारशिला होती है और इसे बढ़ावा मिलना चाहिए. और फिर रामचंद्र गुहा, कुनाल कामरा, स्वामी अग्निवेश, आमिर खान आदि आदि को देशद्रोही का ख़िताब मिलता है. और ये सब कुछ महान सहिष्णु देश भारत में उस वक़्त हो रहा है जब हम सब के ही 2 हज़ार 9 सौ 89 करोड़ रुपयों से बनी एक मूर्ति का अनावरण होता है जिसका नाम है - स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी.